Move to Jagran APP

कर्नाटक: येद्दयुरप्पा की 82 दिनों की यात्रा 25 को हो रही है खत्म, शाह होंगे मौजूद

येद्दयुरप्पा का दावा है कि उन्होंने सिद्धरमैया सरकार को हर मोर्चे पर जनता के सामने बेपर्दा किया है और भाजपा के लिए ओबीसी, दलित समेत हर वर्ग और समुदाय का वोट इकट्ठा किया है।

By Tilak RajEdited By: Published: Tue, 23 Jan 2018 09:15 PM (IST)Updated: Tue, 23 Jan 2018 09:15 PM (IST)
कर्नाटक: येद्दयुरप्पा की 82 दिनों की यात्रा 25 को हो रही है खत्म, शाह होंगे मौजूद
कर्नाटक: येद्दयुरप्पा की 82 दिनों की यात्रा 25 को हो रही है खत्म, शाह होंगे मौजूद

नई दिल्ली, आशुतोष झा। उत्तर पूर्व के तीन राज्यों में चुनाव खत्म होते ही कर्नाटक की बड़ी जंग होनी है। सत्ताधारी कांग्रेस और भाजपा की व्यूह रचना अरसे से जारी है और जीत के दावे अभी से ठोके जा रहे हैं। लेकिन भाजपा के मुख्यमंत्री उम्मीदवार और प्रदेश अध्यक्ष बीएस येद्दयुरप्पा की उम्मीदों का एक कारण पड़ोसी राज्य आंध्र प्रदेश का राजनैतिक इतिहास भी है। जिसने पूरे प्रदेश की यात्रा की वह विजयी हुआ और इस नाते येद्दयुरप्पा एक साल के अंदर दो बार पूरे कर्नाटक की खाक छान चुके हैं।

loksabha election banner

येद्दयुरप्पा के करीबियों के अनुसार 1980 के दशक में एनटी रामाराव ने पूरे प्रदेश का दौरा किया था और वह सत्ता में आए। बाद में 2003 में वाइ एस राजशेखर रेड्डी ने भी 1470 किलोमीटर की पदयात्रा की थी और वह भी सत्ता में आए थे। येद्दयुरप्पा के पिछले दौरों को छोड़ दिया जाए तो 25 जनवरी को मैसूर में जब उनकी 82 दिनों की यात्रा खत्म होगी तो वह भी लगभग 1500 किलोमीटर का दौरा पूरा कर चुके होंगे। इस दौरान वह लगभग दो सौ रैलियां भी कर चुके होंगे जिसे चुनाव घोषणा से पूर्व बड़ी कवायद के रूप में देखा जा रहा है।

ध्यान रहे कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के नेतृत्व में पार्टी का सबसे ज्यादा जोर जनसंपर्क पर होता है। दक्षिण में भाजपा के लिए प्रवेश द्वार रहे कर्नाटक का चुनाव कांग्रेस और भाजपा दोनों के लिए अहम है। यही कारण है कि येद्दयुरप्पा ने यात्रा की शुरुआत की थी तो झंडी दिखाने खुद शाह आए थे। अब जबकि कांग्रेस नेता व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया के गृह क्षेत्र मैसूर में समापन हो रहा है तो भी शाह मौजूद होंगे।

येद्दयुरप्पा का दावा है कि उन्होंने सिद्धरमैया सरकार को हर मोर्चे पर जनता के सामने बेपर्दा किया है और भाजपा के लिए ओबीसी, दलित समेत हर वर्ग और समुदाय का वोट इकट्ठा किया है। उनका यह दावा चुनाव में कितना असर दिखाता है यह तो बाद में पता चलेगा, लेकिन यह मानकर चला सकता है कि अमित शाह ने उनके लिए 150 सीटों का जो लक्ष्य तय किया है वह फिलहाल आसान नहीं दिखता है। दरअसल, कुछ चूकें भी हुई हैं और कुछ तीर निशाने पर नहीं लगे। मसलन, पड़ोसी राज्य गोवा से महादायी का पानी कर्नाटक लाने का चुनावी पैंतरा फेल हो गया। गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर परिक्कर ने घोषणा कर दी थी कि वह पीने का पानी महादायी से दे सकते हैं। लेकिन खुद गोवा में ही कांग्रेस के घेरे में ऐसे आए कि पलटी मार ली। यह वह पैंतरा था जिससे लगभग बीस सीटें सीधे तौर पर प्रभावित हो सकती थी।

अंदरूनी तौर पर कर्नाटक में भाजपा में छिडी खींचतान भी किसी से नहीं छिपी है। जो परिवर्तन यात्रा भाजपा की होनी थी उसमें येद्दयुरप्पा के अलावा प्रदेश के दूसरे नेताओं ने बहुत बढ़ चढ़ककर उत्साह नहीं दिखाया। सूत्र बताते हैं कि शाह ने बहुत पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि कोई भी नेता अपने तरफ से किसी को टिकट देने का आश्वासन नहीं देगा। लेकिन कुछ मौकों पर भी खुद येद्दयुरप्पा भी ऐसा करने से नहीं चूके। पार्टी के कुछ नेता इसे भी तूल देने में लगे हैं।

लेकिन शाह ने अगर येद्दयुरप्पा पर दांव लगाया है तो वह इसे जाया भी नहीं जाने देंगे। माना जा रहा है कि 25 जनवरी को जब शाह वहां जाएंगे तो वह उन नेताओं को आखिरी चेतावनी दे सकते हैं जो येद्दयुरप्पा पर वार कर पार्टी को कमजोर कर रहे हैं। चुनावी घोषणा में अभी दो महीने का वक्त है, लेकिन यह मानकर चला जा सकता है कि अब से संभवत: अप्रैल में होने वाले चुनाव तक सरगर्मी तेज होगी। चुनाव घोषणा से पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का प्रदेश में चार से पांच दौरा हो सकता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.