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रोहिंग्याओं से निजात चाहता है जम्मू- कश्मीर, दस हजार से भी अधिक रोहिंग्या बसे हुए हैं कश्मीर में

नागरिकता संशोधन विधेयक केंद्र की कैबिनेट बैठक में पास होने से जम्मू के जनसांख्यिकी स्वरूप को बदलने की पूर्ववर्ती सरकारों की कोशिश पर विराम लग जाएगा।

By Preeti jhaEdited By: Published: Thu, 05 Dec 2019 08:38 AM (IST)Updated: Thu, 05 Dec 2019 08:38 AM (IST)
रोहिंग्याओं से निजात चाहता है जम्मू- कश्मीर, दस हजार से भी अधिक रोहिंग्या बसे हुए हैं कश्मीर में
रोहिंग्याओं से निजात चाहता है जम्मू- कश्मीर, दस हजार से भी अधिक रोहिंग्या बसे हुए हैं कश्मीर में

जम्मू, जागरण संवाददाता। नागरिकता संशोधन विधेयक केंद्र की कैबिनेट बैठक में पास होने से जम्मू के जनसांख्यिकी स्वरूप को बदलने की पूर्ववर्ती सरकारों की कोशिश पर विराम लग जाएगा। जम्मू कश्मीर में 5700 से अधिक रोहिंग्या बसे हुए हैं। अनाधिकारिक रूप में इनकी संख्या दस हजार से भी अधिक है।

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जम्मू आधारित सामाजिक, धार्मिक एवं भाजपा सहित कुछ राजनीतिक संगठन मानते हैं कि जम्मू संभाग के जनसांख्यिकी स्वरूप को बचाना है तो नागरिकता संशोधन विधेयक को पारित करवाना जरूरी है। रोहिंग्याओं को जम्मू से बाहर निकालने को लेकर जम्मू बंद भी हो चुका है। इसमें कोई शक नहीं कि आतंकी संगठन इनको बरगला कर शांत जम्मू के हालात बिगाड़ सकते हैं। रोहिंग्या और बांग्लादेशियों को बाहर निकालने के मुद्दे पर पूर्ववर्ती राज्य सरकार ने गत वर्ष चार मंत्रियों के समूह का गठन किया था, लेकिन पर कुछ नहीं हुआ।

रोहिंग्याओं को संयुक्त राष्ट्र संघ की ओर से भारत में बसने के लिए पहचान पत्र जारी किया है। जम्मू में रोहिंग्याओं की एक कॉलोनी भी है। अनुच्छेद 370 हटने के बाद केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर से रोहिंग्याओं को उनके पैतृक देश में भेजा जा सकता है।

जम्मू कश्मीर नेशनल पैंथर्स पार्टी के चैयरमेन हर्ष देव सिंह ने नागरिकता संशोधित विधेयक को ड्रामा करार देते हुए कहा कि देश के ज्वंलत मुद्दों , मंहगाई, आर्थिक मंदी और बेरोजगारी से ध्यान भटकाने के लिए इसे लाया गया है। उन्होंने पूछा कि ऐसा कानून असम में भी लागू हुआ था, लेकिन क्या वहां से कोई बाहर निकाला गया। रही बात रोहिंग्या कि तो क्या यह संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार समझौते के तहत आते हैं या नहीं और क्या इस कानून के दायरे में लाया जाएगा इस बारे में कोई जानकारी नही है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष रविंद्र रैना का कहना है जम्मू कश्मीर के जनसांख्यिक स्वरूप को बचाना है तो रोहिंग्याओं को उनके देश भेजना ही होगा।

उन्होंने कहा कि रोहिंग्याओं को चुन चुन कर बाहर निकाला जाएगा। यह देश की एकता और सुरक्षा के लिए खतरा हैं। पूर्ववर्ती सरकारों ने जनसांख्यिक स्वरूप तेजी से बदलने की कोशिश का ही नतीजा है कि जम्मू कश्मीर में 10 हजार रोहिंग्या, बंगलादेशी यहां रह रहे हैं। यह कौन लोग हैं, इनकी क्या पृष्ठभूमि है, इसके बारे में सरकारों को कोई जानकारी नही होती। आतंकी संगठन भी इनका इस्तेमाल कर सकते हैं।

कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रविन्द्र शर्मा का कहना है कि भाजपा नागरिकता संशोधन विधेयक पर राजनीति कर रही है। अवैध रूप से रोहिंग्या को निकालने के लिए पार्टी ने चुनाव से पहले बहुत दावे किए थे लेकिन आज तक इस दिशा में कोई भी कार्रवाई नही की गई है। अब एक बार फिर भाजपा राजनीतिक फायदे के लिए इस मुद्दे को तूल दे रही है। इस समय नागरिकता संशोधन विधेयक लाना अपनी नाकामियों को छिपाने की मंशा से की जा रही कार्रवाई का हिस्सा है। 


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