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जम्मू-कश्मीर Article 370: अब कश्‍मीर नहीं... न्‍यू कश्‍मीर कहिये जनाब

Article 370 जम्मू-कश्मीर 31 अक्टूबर के बाद दो केंद्र शासित प्रदेशों में बंट जाएगा। अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर में धीरे-धीरे पाबंदियां कम हो रही हैं।

By Preeti jhaEdited By: Published: Wed, 04 Sep 2019 11:38 AM (IST)Updated: Wed, 04 Sep 2019 02:54 PM (IST)
जम्मू-कश्मीर Article 370: अब कश्‍मीर नहीं... न्‍यू कश्‍मीर कहिये जनाब
जम्मू-कश्मीर Article 370: अब कश्‍मीर नहीं... न्‍यू कश्‍मीर कहिये जनाब

श्रीनगर, एजेंसी। Article 370: जम्मू-कश्मीर 31 अक्टूबर के बाद दो केंद्र शासित प्रदेशों में बंट जाएगा। अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर में धीरे-धीरे पाबंदियां कम हो रही हैं। केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय के अधिकारियों के जम्मू-कश्मीर के दौरे का दूसरा दिन। 31 अक्टूबर को राज्य के दोनों हिस्से अस्तित्व में आ जाएगा। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को 100 सदस्यीय डेलिगेशन से मुलाकात की और राज्य के हालात का जायजा भी लिया। राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटे जाने के फैसले के बाद कर्मचारियों को लेकर फैसले के संदर्भ में इस बैठक का महत्व बढ़ गया है।

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धीरे-धीरे अब हालात बेहतर

जानकारी हो कि अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर में धीरे-धीरे पाबंदियां कम हो रही हैं। कश्मीर में 92 पुलिस थाने ऐसे हैं, जहां दिन के वक्त कोई पाबंदी नहीं है। जबकि जम्मू, कश्मीर और लद्दाख के 93 प्रतिशत हिस्से में कोई भी प्रतिबंधात्मक आदेश लागू नहीं है। अनुच्छेद 370 हटने बाद जम्मू-कश्मीर व लद्दाख में धीरे-धीरे अब हालात बेहतर हो गये हैं। 

अनुच्छेद 370 हटने के बाद केंद्र सरकार के मंत्रियों और अधिकारियों ने जम्मू-कश्मीर दौरा किया। इस दौरान राज्य प्रशासन से कारोबार और नौकरी को लेकर चर्चा भी हुई इसके अलावा कश्मीर मसले पर मंगलवार को कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी की बैठक भी हुई। 

जम्मू-कश्मीर के प्रिंसिपल सेक्रेटरी रोहित कंसल 

जम्मू-कश्मीर के प्रिंसिपल सेक्रेटरी (प्लानिंग, मॉनिटरिंग और डेवेलपमेंट) रोहित कंसल ने सोमवार को कहा था कि पिछले हफ्ते 81 प्रतिशत थानों में पाबंदियां नहीं थीं, जिसे बढ़ाकर 92 कर दिया गया है। जबकि जम्मू और लद्दाख में दिन में कोई भी प्रतिबंध नहीं है। घाटी में लैंडलाइन सेवा भी बहाल कर दी गई हैं। कंसल ने कहा, 29 अन्य एक्सचेंज को बहाल किया गया है। अब 95 में से 76 एक्सचेंज चल रहे हैं। उन्होंने कहा कि घाटी में 26 हजार लैंडलाइन्स को चालू कर दिया गया है। उन्होंने आगे कहा कि जम्मू और लद्दाख में मोबाइल फोन पूरी तरह चालू हैं। प्रशासन ने बताया कि सरकारी दफ्तर भी पहले की तरह काम कर रहे हैं और स्टाफ भी मौजूद है। 

प्राइमरी, मिडिल और हाई स्कूलों में भी स्टाफ की अटेंडेंस काफी अच्छी है। रोहित कंसल ने कहा कि प्राइवेट ट्रांसपोर्ट पहले से ही चल रहा था। अब पब्लिक ट्रांसपोर्ट की भी सड़कों पर वापसी हो गई है। इसके अलावा दूसरे राज्यों को जाने वाली बसें भी उपलब्ध हैं। प्रिंसिपल सेक्रेटरी ने कहा कि 300 ट्रकों में फल ट्रांसपोर्ट किए जा रहे हैं।घाटी के बाहर 1.5 लाख मिट्रिक टन फल उत्पाद भेजे गए हैं।

ग्राम प्रधानों से मिले अमित शाह 

जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को जम्म-कश्मीर और लद्दाख के 100 सदस्यीय डेलिगेशन से मुलाकात की। इस डेलिगेशन में पुलवामा, कश्मीर, जम्मू और लद्दाख के लोग थे। दिल्ली में हुई इस मुलाकात में गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर के जनप्रतिनिधियों के साथ राज्य के विकास कार्यों पर लंबी चर्चा की।बैठक में गृह मंत्रालय के आला अधिकारी और कश्मीर के डिविजनल कमिश्नर सहित अन्य नुमाइंदे शामिल हुए थे। केंद्रीय मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह, गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय, गृह सचिव एके भल्ला, अतिरिक्त सचिव ज्ञयानेश कुमार भी शामिल हुए थे।

बैठक में इस बात पर चर्चा की गई कि कैसे विकास की राशि सरपंचों तक पहुंचे ताकि इस पैसे से गांव की असल समस्या से निपटा जा सके। इसके अलावा अन्य कई कदमों पर विचार किया गया जिसमें कश्मीर के गांव के सरपंच को गांव के विकास में सीधा भागीदार बनाने की रणनीति पर बात हुई है।

बता दें कि जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा में और ढील के आसार हैं। इससे पहले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से राष्ट्रपति भवन में मुलाकात की।

गृह मंत्री से मिल पंच और सरपंचों के हौसले बुलंद

जम्मू कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बनाने के फैसले से उत्साहित पंचायत प्रतिनिधियों का हौसला केंद्र गृहमंत्री अमित शाह से भेंट करने के बाद और बुलंद हो गया है। अनुच्छेद 370 हटने के साथ ही जम्मू कश्मीर में संविधान के 73वें व 74वें संशोधन को प्रभावी बनाने का मार्ग प्रशस्त हो गया है। पंचों व सरपंचों ने जम्मू कश्मीर में ग्रामीण लोकतंत्र को मजबूत बनाने के लिए लंबी लड़ाई लड़ी है। अब गृहमंत्री से बैठक करने के बाद उनका कहना है कि गांवों के बेहतर भविष्य के प्रति केंद्र सरकार की गंभीरता विकास की नई इबारत लिखेगी।

जम्मू कश्मीर में ग्रामीण लोकतंत्र शुरू से नजर अंदाज होता आया है। पंचों, सरपंचों के संगठन के प्रधान अनिल शर्मा का कहना है कि ग्रामीण विकास के लिए जम्मू कश्मीर में एक नए युग का आरंभ होने जा रहा है। 14वें वेतन आयोग के 3700 करोड़ के अलावा केंद्रीय मंत्री ने अतिरिक्त 1500 करोड़ रुपये देने का फैसला किया है। इससे ग्रामीण विकास को तेजी मिलेगी।

ब्लॉक डेवलपमेंट काउंसिल के चुनाव

गृह मंत्री ने स्पष्ट कर दिया है कि जम्मू कश्मीर में मध्य अक्टूबर में ब्लॉक डेवलपमेंट काउंसिल (बीडीसी) के चुनाव हो जाएंगे। अभी तक जम्मू कश्मीर में कभी भी बीडीसी के चुनाव नहीं हुए हैं। इसके साथ ही हर गांव में पांच युवाओं को सरकारी नौकरी देने का गृहमंत्री का फैसला भी अहम है। गांवों में बेरोजगारी की समस्या विकराल रूप लेती जा रही है।

श्रीनगर के सरपंच जुनैद मीर का कहना है कि जम्मू कश्मीर के विकास के लिए अनुच्छेद 370 का हटना सही है। इससे ग्रामीण लोकतंत्र को मजबूती मिलेगी। इसका अंदाजा गृहमंत्री की बैठक में हो गया। हमने कश्मीर के पंचों, सरपंचों की सुरक्षा का मुद्दा उठाया था। गृहमंत्री ने इस पर गंभीरता दिखाते हुए विश्वास दिलाया है कि इस मामले में कार्रवाई की जाएगी। विकास की दृष्टि से भी गृहमंत्री ने हमारे साथ बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं। 

आरएसपुरा के सरपंच योगराज सिंह का कहना है कि अनुच्छेद 370 के रहते ग्रामीण लोकतंत्र को मजबूत करना आसान नहीं था। अब केंद्र सरकार ने सब कुछ अपने हाथ में लेकर ग्रामीण विकास को तेजी देने की मुहिम छेड़ दी है।

नवंबर के इंतजार में व्यापार पड़ा धीमा

जम्मू-कश्मीर 31 अक्टूबर के बाद दो केंद्र शासित प्रदेशों में बंट जाएगा। 31 अक्टूबर तक यही हाल बने रहने की संभावना है। लखनपुर टोल टैक्स का क्या होगा? इस तरह की तमाम उलझनों के बीच मौजूदा समय में जम्मू का व्यापार धीमी गति से आगे बढ़ रहा है। भविष्य को लेकर असमंजस की स्थिति में व्यापारी मोटा निवेश करने से परहेज कर रहे हैं। केवल रूटीन गतिविधियों को ही आगे बढाया जा रहा है ताकि कार्य न रुके और आने वाले दिनों में कोई दिक्कत भी न झेलनी पड़े। 

राज्य के बड़े हिस्से में लखनपुर टोल टैक्स से व्यापार अधिक प्रभावित होता है। व्यापारियों को लग रहा है कि पहली नवंबर से अगर टोल टैक्स हटता है तो उनको कर की बचत होगी।

कारोबार धीमी गति से चल रहे हैं

सबसे अधिक असर सीमेंट, प्लाईबोर्ड, प्लाई व सरिया के कारोबार पर पड़ रहा है। अगर लखनपुर टोल टैक्स पहली नवंबर से खत्म होता है तो सीमेंट का 50 किलो का बैग ही 68 रुपये सस्ता हो जाएगा।  यही कारण है कि सीमेंट व्यापारी इन दिनों अधिक मात्रा में सीमेंट मंगवाकर भंडारण नहीं कर रहे। ऐसे ही हालात लकड़ी के कारोबार का भी है। प्लाई बोर्ड, सीमेंट टाइल पर एक रुपये प्रति किलो के हिसाब से टोल टैक्स पड़ता है और उस बढ़ी हुई कीमत पर व्यापारियों को जीएसटी देना पड़ता है। स्थिति स्पष्ट होने तक व्यापारी कोई जोखिम नहीं उठाना चाहते। यही कारण है कि खाद्य सामग्री को छोड़ अन्य कारोबार धीमी गति से चल रहे हैं।

यह बिलकुल सही है कि व्यापारी सीमित मात्रा में सामान मंगवा रहे हैं। मौजूदा दौर असमंजस का है। 31 अक्टूबर तक यही हाल बने रहने की संभावना है।

प्रधान चैंबर ऑफ ट्रेडर्स फेडरेशन नीरज आनंद ने कहा कि आज अगर मैं सीमेंट मंगवाता हूं और लखनपुर टोल टैक्स समाप्त हो जाता है तो मुझे 68 रुपये प्रति 50 किलो बैग नुकसान होगा। इसी कारण थोड़ा-थोड़ा करके सीमेंट मंगवाया जा रहा है और पंद्रह से बीस दिन से अधिक का स्टाक जमा नहीं किया जा रहा।  

चैंबर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्री के कोषाध्यक्ष आशु गुप्ता ने कहा कि जीएसटी लगने के बाद भी राज्य में लखनपुर टोल टैक्स जारी रखा गया था। अब जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश बनने से इसके हटने की उम्मीद बंध गई है। ऐसे में हर कोई हालात पर नजर लगाए बैठा है। यह हालात केवल नवंबर तक ही रहेंगे। उसके साथ स्थिति स्पष्ट होने से व्यापार अपने पथ पर आ जाएगा। 

व्यापार के भविष्य 

महासचिव ट्रेडर्स फेडरेशन वेयर हाउस के दीपक गुप्ता ने कहा कि जब कभी भी ऐसा अस्थिरता का माहौल बनता है, कारोबार प्रभावित होता ही है। इस समय अस्थिरता हालात को लेकर नहीं, व्यापार के भविष्य को लेकर है। इसलिए हर कोई पर्याप्त भंडारण से परहेज कर रहा है। व्यापारी केवल उतना ही माल मंगवा रहे है। इससे माल ढुलाई का खर्च अवश्य कुछ बढ़ गया है लेकिन असमंजस की इस स्थिति में कोई रिस्क नहीं लेना चाहता। 

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