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हम हिमाचल की रूह में उतरे हैं: जयराम ठाकुर

interview of Chief Minister Jairam Thakur. मुख्यमंत्री के रूप में अगले माह एक वर्ष का कार्यकाल पूरा करने जा रहे जयराम ठाकुर को अपनी दिशा पर भरोसा है।

By Sachin MishraEdited By: Published: Sun, 25 Nov 2018 10:48 AM (IST)Updated: Sun, 25 Nov 2018 10:50 AM (IST)
हम हिमाचल की रूह में उतरे हैं: जयराम ठाकुर
हम हिमाचल की रूह में उतरे हैं: जयराम ठाकुर

धर्मशाला, जेएनएन। कामकाज और विकास के लिए रोज अपने परायों की कसौटी पर सरकार को कसे जाने के बीच मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के चेहरे पर प्रदेश और शब्दों में ईमानदार जुनून झलकता है। अपनों की अपेक्षाओं के अंबार हैं, विपक्ष के तीर हैं लेकिन राह साफ है तो दृष्टि भी स्पष्ट है। मुख्यमंत्री के रूप में अगले माह एक वर्ष का कार्यकाल पूरा करने जा रहे जयराम ठाकुर को अपनी दिशा पर भरोसा है। कितना अलग है यह जुनून... कि कुर्सी पर बैठना ही पर्याप्त नहीं है बल्कि प्रदेश की रूह को समझ कर उसे मरहम देना या संवारना जरूरी है।

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पहले वर्ष के लिए तय किए लक्ष्य निर्धारित काफी हद पूरे हुए हैं....ऐसा मानना है मुख्यमंत्री का। दावा है कि सरकार प्रदेश की रूह में उतरी है। अपेक्षाओं की राजनीति की बिसात पर उन्हें जिन तीन शक्तियों पर भरोसा है, उनमें जनमंच, पर्यटन को संवारना, व हर घर में गैस चूल्हा प्रमुख हैं। इनसे भी ऊपर अगर कुछ है तो वह है प्रदेश में केवल औद्योगिक निवेश नहीं, बल्कि हर तरह का निवेश, जिससे प्रदेश बढ़े। 

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की दैनिक जागरण के राज्य संपादक नवनीत शर्मा के साथ हुई बातचीत के प्रमुख अंश :

एक साल बीतने वाला है...अगर क्या पाया की शैली में सवाल करें तो जवाब क्या होगा?

-(मुस्कराते हुए)...कहने को बहुत है। कुछ भी करने से पूर्व प्रदेश को समझना अनिवार्य है। समझ रहा हूं तीस साल से लेकिन अब जिम्मेदारी का एहसास है...प्रदेश के लिए कुछ कर गुजरने का एहसास है...हम सोच समझ कर आगे बढ़ रहे हैं। शिमला में बैठना एक बात है, लेकिन प्रदेश की रूह में उतरना और बात। मैं 68 में से 57 विधानसभा क्षेत्रों का दौरा कर चुका हूं। कोशिश है कि एक वर्ष पूरा होने तक सभी 68 विधानसभा क्षेत्रों का दौरा पूरा हो जाए। यह आवश्यक है कि प्रदेश को जमीनी स्तर पर समझा जाए और फिर आगे बढ़ें। समस्याओं का अनुभव होना जरूरी है तभी विकास की योजनाएं बना सकते हैं। फिर भी मोटे तौर पर जनमंच, कनेक्टिविटी चाहे हवाई हो या सड़क से और हर घर में गैस चूल्हा हमारे ऐसे कार्यक्रम हैं जो सीधे जनता तक पहुंचे हैं।

एक वर्ष के अनुभव से सत्ता को कैसे परिभाषित करेंगे?

-मैंने सत्ता को कभी आराम का साधन या माध्यम नहीं समझा। दृढ़ निश्चय के साथ काम किया है। एक दिन की छुट्टी किए बिना काम किया है। रविवार को भी आराम नहीं किया। जब काम करने की लग्न व इच्छा शक्ति होगी तो आप आराम नहीं कर सकते हैं, क्योंकि आप में प्रदेश को आगे ले जाने का जज्बा होगा और इसी जज्बे के साथ हम आगे बढ़े हैं। एक आराम परस्त व्यक्तित्व कभी जीवन में सफल नहीं हो सकता है।

इन दिनों निवेशकों को आकृष्ट करने के लिए सरकार काम करती प्रतीत हो रही है। निवेश से क्या समझते हैं आप?

-सच यह है कि अब तक यही समझा गया कि दो-चार उद्योग हिमाचल प्रदेश में आ जाएं तो समझो निवेश हो गया। ऐसा है नहीं। यह संकुचित धारणा है। औद्योगिक विकास समय की जरूरत है लेकिन केवल वहीं नहीं, एक होलिस्टिक या सर्वांगीण निवेश चाहिए। मुझे संदेह नहीं कि हमसे पहले केवल औपचारिकताएं हुई हैं। इनवेस्टर मीट को लेकर उत्तराखंड में एक लाख चौबीस करोड़ रुपये के एमओयू साइन हुए। हम मानते हैं कि हिमाचल बड़ा राज्य नहीं है और यहां सुविधाओं की कमी भी है, लेकिन हमारा ध्येय होगा कि प्रदेश में उद्योगों को आकर्षित करने के लिए कदम उठाए जाएं। हम क्या नहीं कर सकते? मेरे नजदीक निवेश का अर्थ है उद्योग, पर्यटन, स्वास्थ्य, शिक्षा और आधारभूत ढांचे में हिमाचल का विकास। शिक्षा के लिए प्रदेश दो दिन पहले ही सम्मानित भी हुआ है।

लेकिन आपको नहीं लगता कि निवेशक का स्वागत हिमाचल कम और यहां की औपचारिकताएं अधिक करती हैं?

-हंसते हुए.... ठीक है लेकिन धारा 118 व वन भूमि की स्वीकृति की अड़चनों को सरल बनाया जाएगा। जहां संसाधनों की आवश्यकता होगी, वहां पर वे उपलब्ध करवाए जाएंगे। सीमेंट उद्योग, पर्यटन व स्वास्थ्य को लेकर कांग्रेस ने सिर्फ औपचारिकताओं को ही निभाया था। लेकिन हम इन्हें पूरा करेंगे।

धारा 118 पर राजनीति हर बार हुई है लेकिन अब क्या है? क्या कोई स्पष्ट विजन है?

-इसे लेकर सहमति बन रही है। इससे छेड़छाड़ तो नहीं ही होगी, लेकिन इसकी औपचारिकताओं को पूरा करने के लिए लगने वाले समय को कम किए जाने का प्रयास किया जा रहा है। कांग्रेस ने भी इस धारा के तहत लोगों को जमीनें दी थी। धारा 118 के तहत स्वीकृति के लिए काफी समय लग जाता है और इससे निवेशक हाथ पीछे खींचते हैं। इसे सरल बनाने के लिए सरकार प्रयासरत है। पता चले कि पटवारी ने ही दो महीने चक्कर कटवा दिए निवेशक महोदय से। यह नहीं होना चाहिए।

लोकसभा चुनाव सामने हैं। क्या इस बार संगठन और सरकार चारों सीटें दे पाएंगे? कहीं चेहरों में बदलाव की संभावना है?

-लोकसभा चुनाव महत्वपूर्ण हैं। ऊपर पहुंचने के बाद वहां पर बने रहना कठिन होता है, लेकिन प्रदेश में फिर से जीत भाजपा की ही होगी। कोई नया चेहरा होगा या नहीं, यह सब पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व तय करेगा। मोदी सरकार का कार्यकाल अच्छा रहा है और लोगों का भी यह मानना है कि पांच साल मोदी के लिए कम हैं, इसलिए उन्हें और समय दिया जाए। इसके लिए प्रदेश व देश की जनता भी तैयार है। देश में मोदी के आगे कोई विकल्प भी नहीं है और न ही विपक्ष के पास बड़े मुद्दे हैं। वादा तो किया है कि चारों सीटें देंगे।

शहर हों या सड़कें, सब सिकुड़ता जा रहा है। क्या फ्लाई ओवर जैसे हल समय की मांग नहीं हैं?

-कंजेशन की समस्या से निजात पाने के लिए कदम उठाने ही होंगे। सरकार ने कमेटी गठित की है जो कि इस समस्या से निजात पाने की संभावनाएं तलाश रही है। मोनो रेल, रोपवे व सुरंग कई विकल्प हैं, जिनका अध्ययन हो रहा है। जहां उचित होगा, फ्लाईओवर के विकल्प भी खुले हैं। विशेषकर पर्यटन स्थलों में इस समस्या से पार पाने के लिए काम होगा। पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश के तीनों हवाई अड्डों के विस्तार व एक नए हवाई अड्डे को लेकर केंद्र से मामला उठाया गया है।

विपक्ष का धर्म है तल्ख होना, लेकिन ऐसा लगता है कि आप वैचारिक मतभेदों के बावजूद वीरभद्र सिंह का सम्मान करते हैं।

-हमारे संस्कार और विचार कहते हैं कि सब को इज्जत देना हमारा धर्म है। हर किसी के विचार अपने-अपने हो सकते हैं। हर किसी का सम्मान हमारी संस्कृति का एक पहलू भी है। विशेषकर वृद्धजनों का सम्मान तो होना ही चाहिए। हालांकि उन्होंने हर बार मुझे हराने में कोई कसर नहीं छोड़ी लेकिन वह अपनी जगह। वीरभद्र सिंह मेरे सम्मानीय हैं। वीरभद्र सिंह ही नहीं, उनकी पार्टी के वरिष्ठ नेता भी सम्मानीय हैं। जीवन में शालीनता रखें और यह हमारे स्वभाव का एक हिस्सा होना चाहिए।

विधानसभा के शीतकालीन सत्र को किस ढंग से लेंगे, क्या रणनीति रहेगी?

-विधानसभा का शीतकालीन सत्र महत्वपूर्ण है। एक वर्ष में सरकार ने क्या किया है, उसे सदन में रखा जाएगा। कमियों को लेकर सुझाव आमंत्रित किए जाएंगे और उन पर अमल भी किया जाएगा। अगर विपक्ष सुचारू ढंग से सदन को चलने देगा तो उसका पूरा सहयोग होगा, लेकिन राजनीतिक ढंग से मुद्दे उठाए जाएंगे तो उनका जवाब उसी ढंग से दिया जाएगा।

पौंग बांध विस्थापितों को राजस्थान सरकार ने फिर अंगूठा दिखा दिया है, अब हिमाचल का क्या रुख होगा?

-पौंग बांध विस्थापितों की समस्या को लेकर सरकार पूरी तरह गंभीर है। यह भी भाजपा सरकार के कार्यकाल में हुआ है कि मुख्य सचिव से लेकर एसडीएम स्तर तक बैठकों का आयोजन इस समस्या के हल के लिए हो चुका है। दोनों राज्यों में मुख्यमंत्री स्तर पर बात होनी थी, लेकिन राजस्थान में विधानसभा चुनाव को लेकर मामला लटक गया। अब राजस्थान में नई सरकार बनते ही एक बार फिर उसके समक्ष यह मामला उठाया जाएगा। हमारा विश्वास है कि पौंग बांध विस्थापितों को शीघ्र उनके हक मिलेंगे।

ऐसा सुना जा रहा है कि पीटीए, पैट और पैरा टीचर के लिए आप कोई अच्छी खबर ला रहे हैं?

-पीटीए व पैट शिक्षकों को लेकर कुछ कानूनी पेचीदगियां हैं। लेकिन कानूनी राय लेकर इस पर सकारात्मक कदम उठाया जाएगा। मेरा मानना है कि इन शिक्षकों के मामले में मानवीय दृष्टिकोण अपनाना जरूरी है। इन शिक्षकों ने पूरा जीवन इसी क्षेत्र में लगा दिया है। विधानसभा के शीतकालीन सत्र में ही हमारा प्रयास है कि इनके लिए कुछ बड़ा करें। अगर उसमें न हुआ तो बजट सत्र में अनिवार्य रूप से करेंगे क्योंकि इस बार बजट सत्र भी जल्दी होगा।

सरकार की तीन बड़ी प्राथमिकताएं

1. जनमंच कार्यक्रम

यह कार्यक्रम लोगों के घर-द्वार पर उनकी समस्याएं हल करने के लिए शुरू किया गया है। पहले लोगों को कार्यालयों के चक्कर काटने पड़ते थे, लेकिन अब मंत्री घर-द्वार उनकी समस्याएं हल कर रहे हैं। यह कार्यक्रम सफल रहा है।

2. पर्यटन को बढ़ावा

प्रदेश में हेलीटैक्सी के लिए उड़ान-2 जनवरी माह से शुरू होगी। पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए रोड मैप बनाया गया है। ताकि हर क्षेत्र की बजाय चुनिंदा क्षेत्रों में प्रथम चरण में बढ़ावा मिले। इसके लिए चांशल, जंजैहली, पौंग डैम व बीड़ बिलिंग को चुना गया है।

3. हर घर में गैस चूल्हा

हर घर में गैस का चूल्हा सरकार की बड़ी प्राथमिकता है। कोशिश है कि एक वर्ष के अंदर प्रदेश के हर घर में गैस का चूल्हा चले। इस दिशा में सरकार आगे बढ़ रही है।


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