602 करोड़ के भवन में सांस लेना मुश्किल, दिक्कत बढ़ने पर इन्हेलर लेने को मजबूर कर्मचारी-अधिकारी
जिस भवन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ दोनों उप मुख्यमंत्री बैठते हैं। यहां पर लगातार दो घंटा काम करने के दौरान ऑक्सीजन की कमी महसूस होने लगती है।
लखनऊ, जेएनएन। उत्तर प्रदेश के सबसे महत्वपूर्ण भवन में इन दिनों अजीब सी खलबली मची है। विधान भवन के ठीक सामने 602 करोड़ की लागत से बने इस भवन में इन दिनों सांस लेना भी मुश्किल है। बात लोक भवन की हो रही है, जिसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ दोनों उप मुख्यमंत्री बैठते हैं। इस भवन में गृह, गोपन तथा अन्य महत्वपूर्ण विभागों के कार्यालय हैं। यहां पर लगातार दो घंटा काम करने के दौरान ऑक्सीजन की कमी महसूस होने लगती है। परेशान होने पर कर्मचारी व अधिकारी यहां इन्हेलर का प्रयोग करते हैं।
विकास भवन सचिवालय, जनपथ में बैठने वाले शख्स को जब लोकभवन में मुख्यमंत्री कार्यालय का अनुभाग अधिकारी बनाया गया तो वह उत्साह से भर गए। भारी खर्च और आधुनिक तकनीक से बनी राज्य सरकार की इस सर्वोच्च इमारत में बैठने का गौरव लेकिन, कुछ ही समय में यह उत्साह काफूर भी हो गया। सांस की ऐसी दिक्कत बढ़ी कि इन्हेलर का प्रयोग करना पड़ गया। किसी तरह तबादला लेकर बापू भवन पहुंचे तो जान में जान आई। अब उन्हें कार्यालय में इमरजेंसी के तौर पर इन्हेलर नहीं लेना पड़ता है।
यह बड़ी समस्या केवल एक अनुभाग अधिकारी की नहीं है। लोकभवन में बैठने वाले ज्यादातर अधिकारी-कर्मचारीयहां ऑक्सीजन की कमी की शिकायत कर रहे हैैं। यह सभी बताते हैैं कि लोकभवन में मुख्य द्वार के अलावा ऊपर से नीचे तक न कोई खिड़की खुली है और न ही कहीं से हवा आने-जाने की व्यवस्था है। नतीजा यह कि दो घंटे में यहां बैठे लोगों का दम घुटने लगता है। सचिवालय संघ ने इसकी शिकायत सचिवालय प्रशासन विभाग से की, जिस पर जांच समिति गठित हुई। इस जांच समिति ने पिछले दिनों लोकभवन का दौरा कर तय किया कि भवन में ऑक्सीजन की मात्रा वैज्ञानिक तरीके से जांची जाएगी लेकिन, फिलहाल इस जांच पर बात अटक गई है।
जांच जरूरी पर कराएंगे नहीं
लोकभवन में ऑक्सीजन की जांच के लिए गठित समिति में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से नामित भारतीय विष विज्ञान अनुसंधान संस्थान (आइआइटीआर) के चीफ साइंटिस्ट डॉ.एससी बर्मन कहते हैैं कि लोकभवन में ऑक्सीजन कम है या नहीं, यह इमारत में उपकरण से जांच करने के बाद ही बताया जा सकता है, जबकि जांच समिति के अध्यक्ष व राज्य संपत्ति अधिकारी योगेश शुक्ल के मुताबिक अब किसी जांच की जरूरत नहीं है। वह ऑक्सीजन की कमी की शिकायत को ही निराधार मान रहे हैैं। उनका कहना है कि एनेक्सी और अन्य सचिवालय भवनों में कार्मिक खुले गलियारों वाले माहौल में काम करने के अभ्यस्त हो चुके हैैं, इसलिए लोकभवन के बंद वातावरण में उन्हें समस्या हो रही है।
ऑक्सीजन प्लांट का दावा
राजकीय निर्माण निगम की ओर से लोकभवन की देखरेख करने वाले अधिशासी अभियंता एके मिश्र का दावा है कि लोकभवन के एसी प्लांट के साथ ऑक्सीजन मिक्सिंग प्लांट भी लगा है। इससे एसी की ठंडी हवा के साथ कमरों में ऑक्सीजन भी पहुंच रही है, इसलिए भवन में ऑक्सीजन का स्तर कम होना मुमकिन नहीं है।
कम हो रही उम्र
सचिवालय संघ के अध्यक्ष यादवेंद्र मिश्र का कहना है कि हवा में ऑक्सीजन की मात्रा 21 फीसद से कम होने पर कार्मिकों को तुरंत और सीधा नुकसान तो नहीं होगा लेकिन, लगातार ऐसे माहौल में बैठने से मस्तिष्क, लिवर व किडनी की क्षमता कम हो रही है, जिससे कार्मिकों की उम्र घट रही है। मेट्रो स्टेशन की तरह मिश्र ने लोकभवन में भी ऑक्सीजन प्लांट लगाने की मांग की है।
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