कमाल: पंजाब के साढ़े 12 हजार करोड़ के कर्ज पर साढ़े 18 हजार करोड़ रुपये का ब्याज
पंजाब के वित्तमंत्री मनप्रीत बादल ने केंद्रीय ऋण पर लगे ब्याज पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि पंजाब के साढ़ 12 हजार रुपये के कर्ज पर साढ़े 18 हजार करोड़ रुपये का ब्याज लगा है।
चंडीगढ़, [इन्द्रप्रीत सिंह]। पंजाब के वित्तमंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने कहा है कि केंद्र सराकर पंजाब के 31 हजार करोड़ रुपये के फूड अकाउंट पर ब्याज की राशि ज्यादा ले रहा है। उन्होंने इसमें डेढ़ फीसद कटौती किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि वह इस मामले को केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के पास उठाएंगे। केंद्र सरकार ने 12,500 करोड़ रुपये के इस विवाद पर 18,500 करोड़ का ब्याज लगाया हुआ है।
वित्तमंत्री मनप्रीत बादल खफा, निर्मला सीतारमण के पास उठाएंगे मुद्दा
मनप्रीत ने खास बातचीत में कहा कि देश के अनाज भंडारों को भरने के लिए पंजाब जो कैश क्रेडिट लिमिट लेता है उसका केंद्रीय एजेंसियों के साथ खाते के मिलान का सालों से विवाद चल रहा है। केंद्र सरकार ने 12,500 करोड़ रुपये के इस विवाद पर 18,500 करोड़ का ब्याज लगाया हुआ है। अब इसे लांग लोन में कन्वर्ट करके इस पर 8.50 फीसद ब्याज लेने की शर्तें लगा दी हैं, जबकि राज्य सरकार अपनी जरूरतों के लिए जो बांड जारी करती है उस कर्ज पर ब्याज मात्र 7 फीसद है।
कहा, औसत से ज्यादा ब्याज दर, डेढ़ फीसद कटौती की मांग की
उन्होंने कहा कि ऐसे में हमसे 1.5 फीसद ज्यादा ब्याज उस कर्ज पर क्यों लिया जा रहा है जिसके मूल से डेढ़ गुणा ब्याज सरकार पहले ही ले चुकी है। मनप्रीत ने कहा कि केंद्र सरकार को सोचना चाहिए कि जब बाजार में कर्ज की दर कम है तो स्टेट पर ज्यादा बोझ क्यों डाला गया है? उन्होंने बताया कि यदि राज्य सरकार की बात केंद्र सरकार मान लेती है तो पंजाब को 45 करोड़ सालाना की बचत होगी जो किसी भी वेल्फेयर योजना में लगाए जा सकते हैं।
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रिपोर्ट वित्त आयोग को सौंपी, 6100 करोड़ की मिलेगी राहत
काबिले गौर है कि 31 हजार करोड़ रुपये की फाइल फिर से खुलवाने का मामला पंजाब सरकार ने 15वें वित्त आयोग के पास भी उठाया था। इस पर नीति आयोग के मेंबर रमेश चंद्र के नेतृत्व में कमेटी का आयोग ने गठन कर दिया। पता चला है कि कमेटी ने अपनी रिपोर्ट वित्त आयोग को सौंप दी है और इसमें राज्य सरकार को 6100 करोड़ की राहत दी गई है।
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केंद्र सरकार ने कर दिया था मना
यह भी दिलचस्प है कि पांच खरीद एजेंसियों पर खड़े इस लोन को राज्य सरकार ने अपने ऊपर लिया और तब भी केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को भरोसा दिया था कि 18 हजार करोड़ के ब्याज के तीन हिस्से होंगे जिसमें से एक-एक तिहाई हिस्सा पंजाब, बैंक और केंद्र सरकार वहन करेगी। लेकिन जब पंजाब ने लोन पर हस्ताक्षर कर दिए तो केंद्र सरकार ने यह राशि माफ करने से मना कर दिया। अब वित्त आयोग भी 6100 करोड़ तक ही सरकार को राहत दे सकता है।
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