चीन के मुद्दे पर मोदी को फिर मिला शरद पवार का साथ, पीएम के लद्दाख दौरे की तारीफ की
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार ने कहा कि देश के नेतृत्व को सैनिकों का मनोबल बढ़ाने के लिए ऐसा ही काम करना चाहिए।
पुणे, प्रेट्र। पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर स्थित हॉट स्प्रिंग और गोगरा से चीनी सेना के बोरिया बिस्तर समेट कर पीछे जाने के बीच राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार ने कहा कि कूटनीतिक चैनलों से यह स्पष्ट है कि चीन ने अपनी सेना पीछे करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा चीन के मसले को सफलता पूर्वक संभालने और पिछले सप्ताह लद्दाख के दौरे पर जाने के लिए पवार ने उनकी सराहना की है।
पीएम के लद्दाख दौरे को लेकर राकांपा प्रमुख पवार ने की तारीफ
उन्होंने कहा कि देश के नेतृत्व को सैनिकों का मनोबल बढ़ाने के लिए ऐसा ही काम करना चाहिए। शरद पवार ने कहा कि 1962 में जब हम युद्ध हार गए, तब तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू और तत्कालीन रक्षामंत्री यशवंत राव चव्हाण एलएसी पर गए और जवानों का हौसला बढ़ाया, ठीक वैसे ही वर्तमान प्रधानमंत्री ने किया है। जब कभी भी ऐसी स्थिति पैदा हो, देश के नेतृत्व को आगे आकर सैनिकों का हौसला बढ़ाना चाहिए। यद्यपि पवार चीन के मुद्दे पर प्रधानमंत्री मोदी का साथ दे रहे हैं लेकिन पवार की सहयोगी पार्टी कांग्रेस के नेता राहुल गांधी रोजाना सरकार पर हमले कर रहे हैं।
संवेदनशील मामलों पर नहीं होनी चाहिए राजनीति
कुछ समय पहले राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने कहा था कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए। किसी को यह नहीं भूलना चाहिए कि 1962 के युद्ध में चीन ने भारत की 45000 वर्ग किलोमीटर भूमि हड़प ली थी। कांग्रेस नेता राहुल गांधी के उस बयान पर प्रतिक्रिया मांगी गई थी, जिसमें राहुल भारतीय क्षेत्र में चीनी घुसपैठ पर प्रधानमंत्री के ‘सरेंडर’ कर देने की बात कह रहे हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने इसका जवाब देते हुए कहा कि यह पूरा मामला बहुत संवेदनशील है। इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए।
गलवन घाटी में चीन ने ही उकसाने वाला काम किया
बता दें कि गलवन घाटी में 20 भारतीय सैनिकों के बलिदान होने पर कुछ दिनों पहले बुलाई गई पीएम मोदी की सर्वदलीय वर्चुअल बैठक में भी शरद पवार ने कांग्रेस के रुख का विरोध करते हुए ऐसा ही वक्तव्य दिया था। शरद पवार ने कहा कि लद्दाख की गलवन घाटी में हुई घटना के लिए सीधे-सीधे रक्षामंत्री को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। क्योंकि वहां पेट्रोलिंग के दौरान भारतीय सैनिक सजग थे। गलवन घाटी में चीन ने ही उकसाने वाला काम किया।