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हरियाणा में दोराहे पर कांग्रेस, राहुल गांधी ने मसला नहीं सुलझाया तो हुड्डा दे सकते हैं बड़ा झटका

हरियाणा कांग्रेस में नेतृत्‍व के छिड़े विवाद पर राहुल गांधी बैठक करेंगे। इस बैठक से पहले संकेत मिल रहे हैं कि य‍दि मसला नहीं सुलझा तो भूपेंद्र सिंह हुड्डा अलग राह अपना सकते हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Wed, 26 Jun 2019 09:06 PM (IST)Updated: Thu, 27 Jun 2019 08:46 AM (IST)
हरियाणा में दोराहे पर कांग्रेस, राहुल गांधी ने मसला नहीं सुलझाया तो हुड्डा दे सकते हैं बड़ा झटका
हरियाणा में दोराहे पर कांग्रेस, राहुल गांधी ने मसला नहीं सुलझाया तो हुड्डा दे सकते हैं बड़ा झटका

नई दिल्ली, [बिजेंद्र बंसल]। हरियाणा कांग्रेस में जारी खींचतान व विवाद अब निर्णायक दौर में पहुंचता लग रहा है। प्रदेश कांग्रेस नेतृत्‍व में बदलाव की मांग कर रहा पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा का खेमा आक्रामक मूड में आ गया है। ऐसे में प्रदेश के कांग्रेस नेताओं व कार्यकर्ताओं की नजर अब राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के अंतिम निर्णय पर लगी हैं। राहुल गांधी ने प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष पद को लेकर छिड़े विवाद को शांत करने के लिए बृहस्‍पतिवार को बैठक करेंगे। माना जा रहा है कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा अपनी मांग से पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। उनको हरियाणा कांग्रेस की कमान नहीं दी गई तो वह पार्टी को बड़ा झटका दे सकते हैं और अलग राह अपना जा सकते हैं।

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भूपेंद्र सिंह हुड्डा को हरियाणा कांग्रेस की कमान नहीं मिली तो अपना सकते हैं अलग राह

राहुल ने यह बैठक बृहस्पतिवार सायं 4.30 बजे अपने दिल्ली स्थित निवास 12 तुगलक लेन पर बुलाई है। कांग्रेस के लिए यह बैठक अहम इसलिए भी है कि इसमें पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा सहित राज्य में पार्टी इकाई का राजनीतिक भविष्य तय होगा।

राज्य कांग्रेस के नेताओं में प्रदेश अध्यक्ष पद को लेकर छिड़ा है घमासान

राहुल ने मामले की गंभीरता समझते हुए हुड्डा की अध्यक्षता में बनाई गई 15 सदस्यीय प्रदेश कांग्रेस समन्वय समिति के सदस्यों को बुलाया गया है। समिति में हुड्डा सहित कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रणदीप सुरजेवाला, प्रदेशाध्यक्ष अशोक तंवर, कुलदीप बिश्नोई, कुलदीप शर्मा, किरण चौधरी, पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा सहित दीपेंद्र हुड्डा भी शामिल हैं। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के बुलावे से हरियाणा कांग्रेस के नेता काफी उत्साहित हैं। इन नेताओं को उम्मीद है कि प्रदेश अध्यक्ष पद को लेकर उनके बीच छिड़ा घमासान राहुल गांधी सुलझा देंगे।

लोकसभा चुनाव में हारने के बाद एक-दूसरे पर गंभीर आराेप लगा रहे हैं कांग्रेस नेता
राज्य में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं और राज्य कांग्रेस के नेता लोकसभा चुनाव में हार के बाद एक बार फिर आमने-सामने आ गए हैं।  कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी और राष्ट्रीय महासचिव गुलाम नबी आजाद ने लोकसभा चुनाव के बाद राज्य की दस लोकसभा सीटों पर हार की समीक्षा और आने वाले विधानसभा चुनाव की रणनीति बनाने के लिए 4 जून को नई दिल्ली में समन्वय समिति की बैठक बुलाई थी।

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बताया जाता है कि इसमें प्रदेशाध्यक्ष डॉ.अशोक तंवर और पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के समर्थक विधायक कुलदीप शर्मा के बीच खूब तकरार हुई। आजाद के सामने ही दोनों गुटों ने एक दूसरे पर गंभीर आरोप लगाए। आजाद यह बैठक बीच में छोड़कर चले गए थे। इसके बाद अब समन्वय समिति की 23 दिन बाद बैठक होगी जबकि भाजपा विधानसभा चुनाव के लिए अपनी पूरी योजना भी तय कर चुकी है।

अपने हाथ में कमान चाहता है हुड्डा गुट

राज्य विधानसभा चुनाव के लिए पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा गुट अपने हाथ में कांग्रेस की कमान चाहता है। इसके लिए हुड्डा समर्थकों ने कई बार कांग्रेस आलाकमान तक अपनी बात पहुंचाई है। 4 जून की बैठक के बाद 9 जून को हुड्डा ने अपने समर्थकों को दिल्ली में एकत्र भी किया था। हालांकि तब हुड्डा की अपने समर्थकों के बीच कोई बड़ा ऐलान करने से पहले नई दिल्ली के जोधपुर हाउस में कांग्रेस नेता आनंद शर्मा और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से विस्तृत बातचीत हुई थी।

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सूत्र बताते हैं कि इसमें गहलोत ने हुड्डा को आश्वस्त किया था कि राहुल गांधी तक वे हरियाणा कांग्रेस की स्थिति पहुंचा देंगे। अब राहुल के साथ कांग्रेस नेताओं की 27 जून की बैठक भी इसी आश्वासन के तहत मानी जा रही है। अपने राजनीतिक भविष्य के लिए तीन दिन पहले विधायक कुलदीप बिश्नोई ने भी राहुल गांधी और प्रियंका वाड्रा से मुलाकात की थी।

पूर्व मंत्री एसी चौधरी ने भी तरेरी आंखें

राज्य में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री एसी चौधरी ने भी कांग्रेस में चल रही गुटबाजी के चलते पार्टी से किनारा करने की ठान ली है। चौधरी का कहना है कि जब ये कांग्रेस नेता एकजुट नहीं हो रहे हैं और कार्यकर्ता लगातार पिस रहे हैं तो फिर वे कांग्रेस में रहकर क्या करेंगे। राज्य में पंजाबी बिरादरी के बड़े नेता एसी चौधरी तीन बार राज्य सरकार में मंत्री रह चुके हैं और माना जा रहा है कि भाजपा उन पर डोरे डाल रही है।

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