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चालक पिटाई केस: HC का दिल्ली पुलिस से सवाल- बीच सड़क पर बाप-बेटे को डंडों से क्यों पीटा?

जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति जयंत नाथ व न्यायमूर्ति नज्मी वजीरी की पीठ ने कहा कि ग्रामीण सेवा चालक व उनका बेटा पुलिस की क्रूरता के सुबूत हैं।

By JP YadavEdited By: Published: Thu, 20 Jun 2019 08:50 AM (IST)Updated: Thu, 20 Jun 2019 08:59 AM (IST)
चालक पिटाई केस: HC का दिल्ली पुलिस से सवाल- बीच सड़क पर बाप-बेटे को डंडों से क्यों पीटा?
चालक पिटाई केस: HC का दिल्ली पुलिस से सवाल- बीच सड़क पर बाप-बेटे को डंडों से क्यों पीटा?

नई दिल्ली, जेएनएन। उत्तर-पश्चिमी दिल्ली के मुखर्जी नगर में ग्रामीण सेवा चालक व उसके नाबालिग बेटे के साथ मारपीट के मामले में दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने  दिल्ली पुलिस (Delhi Police) को जमकर फटकार लगाई। इसके साथ ही कोर्ट पूछा है कि आखिर ऑटो ड्राइवर और उसके 15 साल के बेटे को सड़क पर दिनदहाड़े क्यों बेरहमी से पीटा गया? कोर्ट ने इस मामले में दिल्ली पुलिस को एक हफ्ते में अपनी जांच रिपोर्ट सौंपने को कहा है।

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केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआइ) से मामले की स्वतंत्र जांच कराने की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति जयंत नाथ व न्यायमूर्ति नज्मी वजीरी की पीठ ने कहा कि ग्रामीण सेवा चालक व उनका बेटा पुलिस की क्रूरता के सुबूत हैं। पीठ ने कहा, अगर वर्दीधारी फोर्स ऐसा बर्ताव करेगा तो फिर इससे उन लोगों में भय व्याप्त होगा, जिन्हें यह महसूस करने की जरूरत है कि पुलिस उनकी सुरक्षा के लिए है। पीठ ने कहा कि आपको दिखाना पड़ेगा कि आप लोगों के साथ हैं, अगर ऐसा नहीं हुआ तो समाज में बेचैनी पैदा होगी। उक्त टिप्पणी करते हुए केंद्र व दिल्ली सरकार के साथ पुलिस को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

पीठ ने पुलिस से घटना के संबंध में एक संयुक्त पुलिस आयुक्त स्तर के अधिकारी से रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए। साथ ही मीडिया को निर्देश दिया कि ग्रामीण सेवा चालक के नाबालिग बेटे की पहचान न उजागर की जाए। याचिका पर अगली सुनवाई 2 जुलाई को होगी।

याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति जयंत नाथ व न्यायमूर्ति नज्मी वजीरी की पीठ ने पूछा कि हम दिल्ली में रह रहे हैं या फिर कहीं और। पीठ ने कहा कि जब आपने ग्रामीण सेवा चालक को काबू कर लिया था तो उसे दिनदहाड़े सड़क पर लाठी-डंडों से पीटने की क्या जरूरत थी। पीठ ने पूछा, क्या पुलिस से ऐसी उम्मीद की जाती है। पीठ ने पुलिस से दो टूक सवाल पूछा, क्या आप इस कृत्य को न्यायसंगत मानते हैं।

सुनवाई के दौरान पुलिस की तरफ से दिल्ली सरकार के स्टैंडिंग काउंसल सत्यकाम ने कहा कि हम पुलिसकर्मियों द्वारा की गई कार्रवाई का बचाव नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि दोनों तरफ से एफआइआर दर्ज की गई है और मामले की जांच क्राइम ब्रांच को सौंप दी गई है। साथ ही उन्होंने अदालत को बताया कि वीडियो के माध्यम से घटना में शामिल रहे तीन पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है और पूरे मामले की जांच संयुक्त पुलिस आयुक्त रैंक के अधिकारी स्वतंत्र रूप से कर रहे हैं।

यह है याचिका

याचिकाकर्ता अधिवक्ता सीमा सिंघल ने अधिवक्ता संगीता भारती के माध्यम से याचिका दायर कर मामले की सीबीआइ से स्वतंत्र जांच कराने व पुलिस सुधारों के लिए दिशानिर्देश तैयार करने के निर्देश देने की मांग की है। याचिका में मांग की गई है कि मुखर्जी नगर पुलिस स्टेशन से सीसीटीवी फुटेज के साथ मामले की स्थिति रिपोर्ट मांगी जाए और पीड़ितों को मुआवजा देने के संबंध में केंद्र व दिल्ली सरकार को निर्देश दिए जाएं। याचिका में यह भी मांग की गई कि चालक के नाबालिग बेटे की पहचान उजागर करने और उसकी तस्वीरें प्रकाशित करने या किसी भी मीडिया प्लेटफॉर्म पर साक्षात्कार जारी करने पर प्रतिबंध लगाया जाए।

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