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Rajasthan Political Crisis: सचिन पायलट की घर वापसी से अशोक गहलोत खेमे में बढ़ी बेचैनी

Rajasthan Political Crisis अशोक गहलोत खेमा सचिन पायलट की वापसी से इस कदर असुरक्षित महसूस कर रहा है कि पार्टी हाईकमान को संदेश भेजकर उनका पक्ष सुनने की मांग कर डाली।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Thu, 13 Aug 2020 03:51 PM (IST)Updated: Thu, 13 Aug 2020 03:51 PM (IST)
Rajasthan Political Crisis: सचिन पायलट की घर वापसी से अशोक गहलोत खेमे में बढ़ी बेचैनी
Rajasthan Political Crisis: सचिन पायलट की घर वापसी से अशोक गहलोत खेमे में बढ़ी बेचैनी

जयपुर, नरेन्द्र शर्मा। सचिन पायलट की घर वापसी के साथ ही कांग्रेस का आंतरिक संकट अब ऊपर से खत्म होता नजर आ रहा है, लेकिन पार्टी नेताओं का मानना है कि यह संकट कम होने के बजाय बढ़ता जा रहा है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का संदेश लेकर जयपुर आए संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल को दोनों ही खेमों के विधायकों ने जमकर खरी-खोटी सुनाई। वेणुगोपाल ने गुरुवार को विधायकों से बात की तो सीएम खेमे ने साफ कहा कि जो लोग भाजपा के सहयोग से एक महीने तक हरियाणा में रहे सरकार को संकट में डालने का प्रयास किया, उनके साथ समझौता सिद्धांतों के खिलाफ है। वहीं, पायलट खेमे ने सीएम द्वारा दरकिनार किए जाने व उनके बारे में अपशब्दों का उपयोग करने को लेकर खिंचाई की। पायलट खेमे ने राष्ट्रीय महासचिव अविनाश पांडे से तो मिलने से ही इन्कार कर दिया। इस खेमे का मानना है कि संकट को बढ़ाने में पांडे का भी हाथ है। पांडे ने सही समय पर सही बात कांग्रेस अध्यक्ष तक नहीं पहुंचाई।

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असुरक्षित महसूस कर रहा गहलोत खेमा

गहलोत खेमा पायलट की वापसी से इस कदर असुरक्षित महसूस कर रहा है कि पार्टी हाईकमान को संदेश भेजकर उनका पक्ष सुनने की मांग कर डाली। पार्टी सूत्रों का कहना है कि इस डर की असली वजह है गहलोत की मर्जी के खिलाफ पायलट की न सिर्फ सम्मान जनक वापसी करवाई बल्कि पायलट गुट को सरकार-संगठन में भागीदारी दिलाने के लिए एक कमेटी के गठन का भी एलान कर दिया। राहुल गांधी व प्रियंका गांधी ने उन्हें सम्मान देने का भरोसा दिया। गहलोत खेमे को डर है कि कही अब उनकी सियासी फैसलों में पहले से अधिक नहीं चलने लगे। आगामी दिनों में होने वाले मंत्रिमंडल फेरबदल, राजनीतिक नियुक्तयों व संगठन की नियुक्तयों में कहीं पायलट को गहलोत से ज्यादा तवज्जो नहीं मिल जाए। केंद्रीय नेताओं की कमेटी कहीं पायलट को पहले से अधिक प्राथमिकता नहीं दे। पायलट के वापसी के बाद के बयानों ने गहलोत खेमे की असहजता और बढ़ा दी है।

पिछले दो दिन से गहलोत खेमे के विधायक खुद को असहज महसूस कर रहे हैं। हालांकि गहलोत के विश्वस्तों का दावा है कि विधायकों का आलाकमान पर दबाब भी सीएम की रणनीति का हिस्सा है। दबाव का बड़ा कारण पार्टी नेतृत्व को पायलट खेमे को तवज्जो देने से रोकना हो सकता है। इसी वजह से पायलट खेमे की घर वापसी के बावजूद सीएम ने विधायकों की बाड़ेबंदी खत्म नहीं की। एक राष्ट्रीय पदाधिकारी का कहना है कि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने पायलट की वापसी से पहले विभिन्न माध्यमों के जरिए एक फीड बैक लिया था, जिसमें पायलट का समर्थन अधिक था और कांग्रेस में अधिकतर लोग उनकी वापसी चाहते थे। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि पायलट की वापसी के बाद कांग्रेस में सत्ता संघर्ष पहले से अधिक बढ़ेगा। 


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