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चिन्मयानंद को जमानत देते समय हाई कोर्ट की टिप्पणी, 'दोनों ने एक-दूसरे का किया इस्तेमाल'

हाई कोर्ट ने कहा कि एक लड़की जिसका कौमार्य दांव पर हो उसने अपने माता-पिता से या कोर्ट के समक्ष इस बारे में एक शब्द भी नहीं कहा यह एक आश्चर्यजनक व्यवहार है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Tue, 04 Feb 2020 09:07 PM (IST)Updated: Wed, 05 Feb 2020 08:23 AM (IST)
चिन्मयानंद को जमानत देते समय हाई कोर्ट की टिप्पणी, 'दोनों ने एक-दूसरे का किया इस्तेमाल'
चिन्मयानंद को जमानत देते समय हाई कोर्ट की टिप्पणी, 'दोनों ने एक-दूसरे का किया इस्तेमाल'

प्रयागराज, जेएनएन। शाहजहांपुर की एलएलएम छात्रा से दुष्कर्म के मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पूर्व गृह राज्य मंत्री चिन्मयानंद को जमानत भले ही दे दी है, लेकिन पूरे प्रकरण में दोनों पक्षों को लेकर तल्ख टिप्पणियां भी की हैं। शोषण के बावजूद पीड़ित छात्रा की चुप्पी और चिन्मयानंद से लाभ लेने की कोशिश ही जमानत का आधार भी बनी। हाई कोर्ट ने कहा-'एक लड़की जिसका कौमार्य दांव पर हो, उसने अपने माता-पिता से या कोर्ट के समक्ष इस बारे में एक शब्द भी नहीं कहा, यह एक आश्चर्यजनक व्यवहार है।' 

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चिन्मयानंद को हाई कोर्ट ने सोमवार को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है। आदेश में कोर्ट ने उन तथ्यों को भी सामने रखा है, जिनके आधार पर जमानत देने का फैसला किया गया। जस्टिस राहुल चतुर्वेदी ने टिप्पणी की-'यह नहीं कहा जा सकता कि किसने किसका इस्तेमाल किया। तथ्य यह है कि दोनों ने ही एक-दूसरे का इस्तेमाल किया है। यह कुछ के बदले कुछ का मामला है।'

हाई कोर्ट ने कहा कि हम इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि यह पूरा मामला मिस ए (कोर्ट ने छात्रा के लिए इसी शब्द का उपयोग किया है) द्वारा प्रतिफल पाने का था, लेकिन समय के साथ ज्यादा हासिल करने का लालच बढ़ता गया। मिस ए ने अपने साथियों के साथ साजिश रची और चिन्मयानंद को ब्लैकमेल करने का प्रयास किया, वह भी उन वीडियो के जरिये जो उसने खुद रिकार्ड किए थे। कोर्ट ने इस बात का भी संज्ञान लिया कि आरोपित (चिन्मयानंद) से मिस-ए का परिवार लाभान्वित हुआ।  

कोर्ट ने आरोपित की उम्र, पीड़िता की चुप्पी और अपराध की अधिकतम 10 साल सजा को देखते हुए चिन्मयानंद की जमानत अर्जी मंजूर की। कोर्ट ने चिन्मयानंद पर भी टिप्पणी भी कि वह गृह राज्यमंत्री जैसे पद पर रहे और समाज और प्रशासन दोनों पर प्रभावशाली हैं और शाहजहांपुर में सुनवाई के दौरान तथ्यों को प्रभावित करत सकते हैं, इसलिए कोर्ट ने मामले की सुनवाई लखनऊ में करने का आदेश दिया। साथ ही चिन्मयानंद को चेतावनी दी कि वह सुनवाई के समय खुद या अपने वकील के साथ उपस्थित रहें। बता दें कि इस मामले में छात्रा को पहले ही जमानत दी जा चुकी है। 

24 अगस्त, 2019 को शाहजहांपुर की एलएलएम छात्रा ने अपने फेसबुक अकाउंट पर वीडियो अपलोड कर चिन्मयानंद पर दुष्कर्म का आरोप लगाया था, जिसके बाद वह लापता हो गई थी। इसी दिन चिन्मयानंद के वकील ओम सिंह ने अज्ञात के खिलाफ पांच करोड़ की रंगदारी का मुकदमा दर्ज कराया था। अगले दिन 25 अगस्त, 2019 को छात्रा के पिता की ओर से चिन्मयानंद के खिलाफ अपहरण, दुष्कर्म के आरोप लगाते हुए चौक कोतवाली में तहरीर दी गई। 27 अगस्त, 2019 को वकीलों के पैनल की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने मामले को स्वत: संज्ञान लिया, जिसके बाद चिन्मयानंद पर अपहरण व धमकी देने का मुकदमा दर्ज हुआ था।

29 अगस्त, 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने छात्रा को सुरक्षित बरामद कर पेश करने का आदेश दिया था। 30 अगस्त. 2019 को पुलिस ने राजस्थान के दौसा जिले से छात्रा को बरामद कर सुप्रीम कोर्ट में पेश किया था। छात्रा के बयान के बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर तीन सितंबर को शासन ने आइजी नवीन अरोड़ा के नेतृत्व में विशेष जांच दल (एसआइटी) का गठन किया था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ही मामले की जांच हाई कोर्ट की निगरानी में हो रही है। पांच सितंबर, 2019 को छात्रा ने दिल्ली के लोधी कालोनी थाने में चिन्मयानंद के खिलाफ दुष्कर्म की जीरो क्राइम नंबर पर एफआइआर कराई दर्ज थी। 


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