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Hemant Oath Ceremony: हेमंत के बहाने एकजुट भाजपा विरोधी खेमा, देशभर के क्षत्रपों का रांची में जुटान

Hemant Oath Ceremony रांची के मोरहाबादी में विपक्ष मेगा शो के जरिये विरोधी सुर बुलंद करेगा। भाजपा के खिलाफ राष्ट्रीय स्तर पर भी गठजोड़ की कवायद तेज होगी ।

By Alok ShahiEdited By: Published: Sat, 28 Dec 2019 01:27 PM (IST)Updated: Sat, 28 Dec 2019 09:26 PM (IST)
Hemant Oath Ceremony: हेमंत के बहाने एकजुट भाजपा विरोधी खेमा, देशभर के क्षत्रपों का रांची में जुटान
Hemant Oath Ceremony: हेमंत के बहाने एकजुट भाजपा विरोधी खेमा, देशभर के क्षत्रपों का रांची में जुटान

रांची, राज्य ब्यूरो। Hemant Oath Ceremony झारखंड में भाजपा को परास्त कर मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने जा रहे झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन की जीत के कई मायने हैं। इस प्रकरण ने देशभर में भाजपा विरोधी दलों को एकजुट होने का मौका दिया है। रविवार को हेमंत सोरेन के शपथ ग्रहण समारोह में भी विपक्ष का मेगा शो होगा। पूरब से लेकर पश्चिम और उत्तर से लेकर दक्षिण तक के क्षत्रप इस महत्वपूर्ण मौके पर जुटेंगे। हो सकता है कि इसी बहाने राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा विरोधी गठबंधन का खाका तैयार हो जाए।

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हालांकि हेमंत सोरेन के शपथ ग्रहण समारोह में मौजूदगी दर्ज कराने वालों में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी भी होंगे। उनके झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन से बेहतर संबंध रहे हैं। उनके अलावा कांग्रेस की अग्रिम कतार के सारे नेताओं की मौजूदगी इस मौके पर होगी। राहुल गांधी, पी चिदंबरम, अहमद पटेल, प्रियंका गांधी के अलावा अखिलेश सिंह यादव, तेजीस्वी यादव जहां इस दौरान रहेंगे। वहीं एनसीपी के अध्यक्ष शरद पवार, बसपा अध्यक्ष मायावती और डीएमके अध्यक्ष एमके स्टालिन ने भी आगमन की स्वीकृति दी है।

ममता बनर्जी, कमलनाथ, भूपेश बघेल सहित कई राज्यों के मुख्यमंत्री भी आएंगे

कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों का भी समारोह में जुटान होगा। इसमें बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरिवंद केजरीवाल शुमार हैं। इन कद्दावर नेताओं का जुटान भाजपा को असहज करने के लिए काफी है।

 

इस समारोह के जरिए यह भी संदेश देने की कोशिश की जाएगी कि भाजपा भले ही केंद्र में सत्तासीन है, लेकिन राज्यों में उसकी सरकारों का एक-एक कर खत्म होना उसके लिए खतरे की घंटी है। एक जगह तमाम भाजपा विरोधी नेताओं के जुटने से इनके बीच एकजुटता की गुंजाइश बढ़ गई है। झारखंड में इसके सकारात्मक परिणाम ने इसकी संभावना राष्ट्रीय स्तर पर पैदा की है कि भाजपा के विस्तार को रोकने के लिए विपक्षी दलों का एकजुटता होने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।


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