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Hathras Case: सरकार बेहद सख्त, माहौल बिगाड़ने के मामले में अब तक 19 केस दर्ज; पांच गिरफ्तार

Hathras Case News सोशल मीडिया पर फोटो शॉप के प्रयोग से सरकार विरोधी गतिविधियां बढ़ने के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ ने शिकंजा कसा और लखनऊ में केस दर्ज कराया गया है। इसके बाद से साजिश करने वाली सभी वेबसाइट बंद हो गई हैं।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Mon, 05 Oct 2020 01:33 PM (IST)Updated: Mon, 05 Oct 2020 09:50 PM (IST)
Hathras Case: सरकार बेहद सख्त, माहौल बिगाड़ने के मामले में अब तक 19 केस दर्ज; पांच गिरफ्तार
सीएम योगी आदित्यनाथ ने शिकंजा कसा और लखनऊ में केस दर्ज कराया

लखनऊ, जेएनएन। हाथरस कांड को लेकर बढ़ती राजनीतिक हलचल के बीच पुलिस ने उत्तर प्रदेश में जातीय संघर्ष की साजिश को लेकर अपनी जांच का दायरा बढ़ाना शुरू कर दिया है। माहौल बिगाड़ने की साजिश को लेकर प्रदेश में 19 मुकदमे दर्ज किए गए हैं। पुलिस ने अब तक पांच आरोपितों को गिरफ्तार किया है। हाथरस में दर्ज कराए गए छह मुकदमों में समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय लोक दल, भीम आर्मी के नेताओं समेत अन्य अज्ञात को आरोपित बनाया गया है। पूर्व विधायक राजवीर सिंह के विरुद्ध भी एफआइआर दर्ज की गई है। 

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सोशल मीडिया के जरिये माहौल बिगाड़ने की साजिश के मामले में लखनऊ कमिश्नरेट, लखनऊ ग्रामीण, बिजनौर, सहारनपुर, बुलंदशहर व प्रयागराज में अलग-अलग 13 मुकदमे दर्ज किए गए हैं, जिनके तहत पांच आरोपित गिरफ्तार किए गए हैं। सूत्रों का कहना है कि पूरे प्रकरण में अब पापुलर फ्रंट आफ इंडिया (पीएफआइ) समेत कुछ अन्य संगठनों की भूमिका की भी गहनता से छानबीन की जा रही है। एक फर्जी वेबसाइट के जरिए सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक व भ्रामक संदेश प्रसारित किए जाने को लेकर भी पड़ताल की जा रही है।

एडीजी कानून-व्यवस्था प्रशांत कुमार ने बताया कि सभी मुकदमों में वीडियो व तस्वीरों के जरिए आरोपितों को चिह्नित कराने की कार्रवाई शुरू कर दी गई है। कई संगठनों की भूमिका की भी गहनता से छानबीन के निर्देश दिए गए हैं। कुछ संगठनों व लोगों ने साजिश के तहत सांप्रदायिक हिंसा भड़काने की कोशिश की है। खुफिया तंत्र को भी उनकी भूमिका की जांच के लिए सक्रिय किया गया है। सोशल मीडिया सेल आपत्तिजनक संदेशों, पोस्टर, आडियो व वीडियो को लेकर सिलसिलेवार पड़ताल कर रही है। जल्द आरोपितों को चिह्नित कर उनके विरुद्ध विधिक कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। 

हाथरस में युवती के स्वजन को दिया गया 50 लाख का प्रलोभन

एडीजी ने बताया कि हाथरस में कुछ राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं व नेताओं ने कोविड-19 की गाइडलाइन का उल्लंघन करते हुए लोगों को जुटाया और माहौल बिगाड़ने का प्रयास किया। युवती के परिवार को 50 लाख रुपये देने का प्रलोभन देकर भड़काने का प्रयास भी किया गया। हाथरस में प्रदर्शनकारी बैरीकेडिंग तोड़कर पुलिस पर भी हमलावर हुए। इन्हें लेकर हाथरस के चंदपा थाने में चार, सासनी कोतवाली में एक और थाना हाथरस गेट में एक मुकदमा दर्ज किया गया है। यह मुकदमे जातीय उन्माद भड़काने, पुलिस पर हमला, यातायात बाधित करने, धारा 144 के उल्लंघन समेत अन्य धाराओं में दर्ज किए गए हैं। इनमें बिना अनुमति के सभा करने व भड़काऊ भाषण देेने के मामले में एक मुकदमा पूर्व विधायक राजवीर सिंह व उनके समर्थकों के विरुद्ध भी है। मथुरा में कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया संगठन की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के कोषाध्यक्ष समेत तीन-चार अन्य पदाधिकारियों को शांतिभंग करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। 

हाथरस के बूलगढ़ी गांव में 14 सितंबर को दलित युवती की बर्बर पिटाई के बाद 29 सितंबर को मौत होने के मामले में उत्तर प्रदेश सरकार को बदनाम करने में विदेशी साजिशकर्ता तथा विदेशी मुद्रा का भी जमकर प्रयोग किया गया। सोशल मीडिया पर फोटो शॉप के प्रयोग से सरकार विरोधी गतिविधियां बढ़ने के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ ने शिकंजा कसा और लखनऊ में केस दर्ज कराया गया है। इसके बाद से साजिश करने वाली सभी वेबसाइट बंद हो गई हैं और साजिशकर्ता सरकार के प्रहार से बचने के प्रयास में हैं। 

मकसद उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार को बदनाम करना

हाथरस कांड के बाद उत्तर प्रदेश में सीएए की तर्ज पर दंगों के साथ जातीय हिंसा को भड़काने की बड़ी साजिश रची गई। मकसद उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार को बदनाम करना था। इस साजिश में विदेशियों के साथ में हमारे देश के लोग भी खेले। इस बड़ी साजिश का योगी आदित्यनाथ सरकार ने राजफाश कर दिया है। इस मामले में एक वेबसाइट justiceforhathrasvictim.carrd.co की भूमिका सामने आई है। जिसको विदेशों से फंड मिल रहा था। इसके माध्यम से लोगों को हाथरस कांड के अभियान से अधिक संख्या में जोड़ने का प्रयास चल रहा था। नकली आईडी का प्रयोग करके देश के लोगों को गलत फोटो के साथ हिंसा भड़काने वाली सामग्री भेजी जा रही था। इसमें दिल्ली, कोलकाता व अहमदाबाद से नकली आईडी का उपयोग कर कुछ ही घंटों में हजारों लोगों को जोड़ा गया। 

प्रदेश सरकार की ओर से दावा किया गया है कि हाथरस की घटना के बाद राज्य में अचानक कई ऐसी वेबसाइट बनकर तैयार हो गईं। जिनका मकसद जातीय तौर पर लोगों को भड़काना है। इन्हीं में से एक जस्टिस फॉर हाथरस नाम से वेबसाइट है, जो सरकार के सबसे पहले निशाने पर आई है। जब सरकार को इस बारे में भनक लगी, तो कई वेबसाइट खुद ही रात-ओ-रात बंद हो गईं। सुरक्षा एजेंसियों के पास इन सभी वेबसाइट के कंटेंट उपलब्ध हैं। इस बड़ी साजिश की जानकारी उत्तर प्रदेश सरकार को होते ही वेबसाइट ने अपना संचालन बंद कर दिया है। अभी ये वेबसाइट डिलीट हो गई है, लेकिन इसका जो लैंडिंग पेज था उससे मालूम हुआ कि वो फ्री में वेबसाइट बनाने के काम आता है। नाम के प्लेटफॉर्म से दुनियाभर के कई प्रोटेस्ट के लिए वेबसाइट बनाती जाई रही हैं, फिर चाहे अमेरिका में चल रहा ब्लैक लाइव मैटर से जुड़ा कोई प्रोटेस्ट हो या फिर इससे जुड़े कुछ और कांड। 

इसके बाद से सुरक्षा एजेंसियां का शिकंजा कस गया है। पता चला है कि इसको इस्लामी देशों से भारी धन मिल रहा था और उनके संबंध पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया और सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ भारत से हैं। यह लोग नागरिकता विरोधी बिल (सीएए) के विरोध में देश में दंगे फैलाने की साजिश में शामिल थे। 

दंगों तथा फसाद के तरीके की कोचिंग

वेबसाइट में बताया गया है कि प्रदर्शन के वक्त क्या पहनें, कब किधर भागें। सोशल मीडिया पर कोई रिकॉर्डिंग ना डालें। अगर पुलिस लाठीचार्ज करती है तो क्या हो, प्रदर्शन वाली जगह माहौल भड़के तो कैसे निपटें। इसके साथ ही वेबसाइट पर जानकारी दी गई कि मास्क पहनकर पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ प्रदर्शन करें, ताकि पहचान ना हो।

सीएम व पीएम की छवि खराब करने का प्रयास

उत्तर प्रदेश सरकार का दावा है कि इस तरह की वेबसाइट का मुख्य लक्ष्य सीएम योगी आदित्यनाथ, पीएम नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश व केंद्र सरकार की छवि को खराब करना है। वेबसाइट पर फर्जी आईडी से कई लोगों को जोड़ा गया। इसके साथ ही इसमें दंगे कैसे करें और फिर दंगों के बाद कैसे बचें, इसके कानूनी उपाय की जानकारी वेबसाइट पर दी गई है। 

UP को दंगों की आग में झोंकने की अंतरराष्ट्रीय साजिश, FIR दर्ज

हाथरस के चंदपा थाने में दंगों की साजिश करके प्रदेश में जातीय और सांप्रदायिक हिंसा भड़काने, अराजकता फैलाने, दंगों के बहाने योगी सरकार को बदनाम करने, अफवाहें फैलाने, पीड़ित के परिवार को गुमराह कर सरकार के खिलाफ भड़काने, फर्जी तस्वीरों, फर्जी सूचनाओं, फोटोशाप्ड तस्वीरों की मदद से नफरत फैलाने के आरोपों में एफआईआर दर्ज हुई है।

इसके अलावा सोशल मीडिया पर झूठे, आपत्तिजनक, संवेदनहीन और बेहद भड़काऊ पोस्ट डाल कर लोगों में जातीय नफरत पैदा करने, गलत व अप्रमाणिक सूचनाएं सार्वजनिक कर यूपी को दंगों की आग में झोंकने के प्रयास का भी मामला दर्ज हुआ है। पुलिस के मुताबिक उपरोक्त साजिश के जरिए यूपी की कानून- व्यवस्था को बिगाड़ने की कोशिश की गई।

हाथरस कांड पर चरम पर राजनीति

हाथरस में मृत दलित युवती के मामले में राजनीति लगातार जोर पकड़ रही है। हाथरस में राजनीतिक जमावड़े के बीच उत्तर प्रदेश की सरकार की ओर से बड़ा दावा किया गया है। यूपी सरकार का दावा है कि नागरिकता संशोधन एक्ट के विरोध में जिस प्रकार प्रदेश में जगह-जगह हिंसा की तरह ही प्रदेश में माहौल बिगाड़ने का प्रयास किया गया है। इसके लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म, सोशल मीडिया आदि का सहारा लिया जा रहा है। हाथरस की घटना के बाद लगातार इस पर राजनीतिक बयानबाजी हो रही है। हाथरस में भी कई राजनेताओं और पाॢटयों का जाना हुआ है। जहां पर हजारों की संख्या में समर्थक इकट्ठा हुए हैं।


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