हार्दिक पटेल ने दंगा मामले में गुजरात हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की याचिका
Hardik Patel. कांग्रेस नेता हार्दिक पटेल ने विसपुर दंगा मामले में गुजरात हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। कांग्रेस नेता हार्दिक पटेल ने विसपुर दंगा मामले में सोमवार को गुजरात हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। उनकी याचिका का तत्काल सुनवाई नहीं होगी। उनके वकील लोकसभा चुनाव लड़ने के रास्ते में आने वाले उच्च न्यायालय के 29 मार्च के आदेश की प्रतीक्षा करेंगे।
गौरतलब है कि 25 साल के हार्दिक पटेल ने 12 मार्च को कांग्रेस में शामिल होने के बाद जामनगर से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने की तैयारी शुरू कर दी थी। नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख चार अप्रैल है। गुजरात में 26 लोकसभा सीटों के लिए 23 अप्रैल को मतदान होगा। मेहसाणा जिले के विसनगर के सत्र न्यायालय ने पाटीदार कोटे की हलचल के दौरान 2015 में विसनगर शहर में दंगे और आगजनी के लिए पटेल को पिछले साल दो साल की सजा सुनाई थी।
गुजरात उच्च न्यायालय ने गत शुक्रवार को कांग्रेस नेता हार्दिक पटेल की याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें मेहसाणा में 2015 के एक दंगा मामले में उनकी सजा को निलंबित करने की मांग की गई थी। जनप्रतिनिधि अधिनियम, 1951 के अनुसार, हार्दिक पटेल अपनी सजा के कारण आगामी लोकसभा चुनाव नहीं लड़ पाएंगे।
पाटीदार नेता हार्दिक पटेल के लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारियों को हाईकोर्ट ने तगड़ा झटका दिया है। बार-बार कानून को धता बताने वाले हार्दिक लॉ मेकर कैसे बन सकते हैं। हार्दिक महिलाओं का सम्मान नहीं करते और उनकी आपराधिक छवि को देखते हुए चुनाव लड़ने की इजाजत नहीं देना चाहिए। गुजरात सरकार के महाधिवक्ता कमल त्रिवेदी की इन्हीं दलीलों को रखते हुए न्यायाधीश एजी उरेजी ने हार्दिक की याचिका को खारिज कर दिया।
पाटीदार आरक्षण आंदोलन समिति के संयोजक हार्दिक पटेल ने गुजरात हाईकोर्ट के समक्ष याचिका दाखिल कर विसनगर सेशन कोर्ट की ओर से उन्हें सुनाई गई सजा को स्थगित करने की मांग की थी। भाजपा विधायक ऋषिकेश पटेल के कार्यालय में तोड़फोड़ व आगजनी के मामले में हार्दिक व उनके साथियों को दो साल से अधिक की सजा सुनाई गई थी।
हार्दिक के वकील आईएच सैयद व रफीक लोखंडवाला ने न्यायाधीश उरेजी की अदालत में कहा कि हार्दिक लोकसभा चुनाव लड़कर समाज का काम करना चाहते हैं, लेकिन अदालत की सजा के चलते कानूनन इसके लिए अयोग्य हैं। इसलिए निचली अदालत की सजा को स्थगित किया जाए।
राज्य सरकार के महाधिवक्ता कमल त्रिवेदी ने अदालत को बताया कि आंदोलन व उसके बाद हार्दिक ने इतनी बार कानून तोड़ा है तो अब वह लॉ मेकर कैसे बन सकता है। हार्दिक पर बीस से अधिक एफआइआर दर्ज हैं, उस पर राजद्रोह का मामला चल रहा है। हार्दिक की छवि आपराधिक है और पिछला रिकार्ड ठीक नहीं है। महिलाओं का सम्मान नहीं करते हैं। त्रिवेदी की इन्हीं सब दलीलों को हाईकोर्ट ने मान्य रखते हुए हार्दिक की सजा स्थगित करने की अर्जी को खारिज कर दिया। हाईकोर्ट के फैसले को हार्दिक उच्चतम न्यायालय में चुनौती देंगे।
गौरतलब है कि गुजरात में लोकसभा चुनाव के लिए नामांकन की अंतिम तिथि चार अप्रैल है, इससे पहले फैसला नहीं हुआ तो हार्दिक चुनाव नहीं लड़ पाएंगे।
कानून सिर्फ मेरे लिए ही क्यों: हार्दिक पटेल
हाईकोर्ट से याचिका खारिज किए जाने के बाद पाटीदार नेता हार्दिक पटेल ने कहा कि अदालत के फैसले का स्वागत है। देश में इतने अपराधी नेता चुनाव लड़ रहे हैं फिर कानून सिर्फ मेरे लिए ही क्यों है। हार्दिक ने कहा मैं डरने वाला नहीं हूं, सत्य, अहिंसा व ईमानदारी से जनता की आवाज उठाते रहेंगे। हार्दिक ने कहा कि देशभर में कांग्रेस का प्रचार करके जनता की सेवा करने वाली कांग्रेस सरकार बनाएंगे। भाजपा संविधान विरोधी काम कर रही है, सत्ता के सामने लड़ने का यह परिणाम है। भाजपा के सामने नहीं झुकने वाला नहीं हूं।