श्री हरिमंदिर साहिब में माथा टेकने पहुंचे हंस, राहुल पर बोले- चुनाव खत्म, अब विरोधी भी अपने
दिल्ली उत्तर पश्चिमी लोकसभा सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव जीते हंसराज हंस सोमवार को माथा टेकने श्री हरिमंदिर साहिब पहुंचे। उन्होंने अपनी जीत पर शुकराना अदा किया।
जेएनएन, अमृतसर। दिल्ली उत्तर पश्चिमी लोकसभा सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव जीते हंसराज हंस सोमवार को माथा टेकने श्री हरिमंदिर साहिब पहुंचे। इस दौरान जब उनसे कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर गाए गीत को लेकर सवाल पूछे गए तो उन्होंने कहा, चुनाव खत्म हो चुके हैं। अब सभी विरोधी भी हमारे हैं, इसलिए वह इस पर कुछ नहीं कहना चाहते। उन्होंने कहा कि कोई भी पारी शुरू की तो वह संगीत से ही की। अब भी वे आने वाले समय में संगीत का साथ नहीं छोड़ेंगे।
हंस ने कहा, इस चुनाव में भाजपा ने देश में जीत का परचम लहराया है, लेकिन पंजाब में अकाली-भाजपा गठबंधन को चार सीटों पर ही संतोष करना पड़ा। इस पर पंजाब भाजपा को चिंतन करने की जरूरत है। हंसराज चुनाव जीतने के बाद पहली बार अमृतसर पहुंचे थे। अपनी जीत का श्रेय भाजपा के कार्यकर्ताओं और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देते हुए उन्होंने कहा वे खुश हैं कि पार्टी में उन्हें मान-सम्मान मिला है।
पार्टी की पंजाब में मौजूदा हालात पर चिंतन किए जाने की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि पंजाबियों को भी इस पर मंथन करना चाहिए। प्रेस से रूबरू होने से पहले हंसराज ने रामतीर्थ में भी माथा टेका। इससे पहले वह भाजपा कार्यालय भी गए। यहां उन्होंने पार्टी के शहीद नेता हरबंस लाल खन्ना की प्रतिमा पर फूल मालाएं अर्पित कीं।
हंसराज हंस 10 दिसंबर 2016 को भाजपा में शामिल हुए थे। पंजाब में उन्हें स्वच्छ छवि वाले दलित चेहरे के रूप में भी देखा जा रहा है। दोआबा की दलित राजनीति में खासी पैठ रखने वाले हंस पहले अकाली दल व कांग्रेस में भी रहे हैैं। 2009 के लोकसभा चुनाव में जालंधर सीट से चुनाव लड़कर उन्होंने 3,71,658 वोट हासिल किए थे। इस बार लोकसभा चुनाव में दिल्ली में शानदार जीत हासिल करने वाले हंस अब पंजाब की राजनीति में भी सक्रिय हो सकते हैं। हंस के रूप में भाजपा को एक मजबूत दलित चेहरा मिला है।
पीएम ने खुद फोन कर की थी टिकट की पेशकश
लोकसभा चुनाव से ठीक पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं हंस को टिकट की पेशकश की थी। इससे पूर्व करीब दो वर्ष लगातार हंस ने इस हलके में ही नहीं बल्कि दिल्ली में कई रैलियां व जनसभाएं करवाकर पार्टी में अपनी बेहतर स्थिति बना ली थी। जिसके चलते पार्टी ने उन पर विश्वास जताते हुए चुनाव मैदान में उतारा था।
सूफी गायक से लेकर तय किया राजनीति का सफर
हंस ने गायकी से राजनीतिक सफर में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। एक बार तो उन्होंने राजनीति से तौबा करने का फैसला कर लिया था। 2001 में पंजाब की गठबंधन सरकार ने हंस को 'राज गायक' की उपाधि से नवाजा। इसके अगले वर्ष ही पंजाब विधानसभा चुनाव के दौरान उन्होंने गठबंधन के पक्ष में प्रचार किया।
वर्ष 2009 में सक्रिय राजनीति की शुरुआत करने वाले हंस ने शिरोमणि अकाली दल से जालंधर लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ा। अपने प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के मोहिंदर सिंह केपी को उन्होंने कड़ी टक्कर दी थी। इसके बाद शिअद में खुद को उपेक्षित महसूस करते हुए हंस ने 2014 में कांग्रेस का दामन थाम लिया। यहां भी उनकी पारी दो वर्ष की रही। पार्टी से खफा होकर 2016 में हंस भाजपा में शामिल हो गए।
हंसराज के इन गानों पर आज भी झूम जाते हैं लोग
पंजाबी सूफी गायक हंसराज का जन्म 30 नवंबर 1953 को पंजाब के जालंधर जिले के शफीपुर गांव में हुआ था। हंसराज 1983 से ही लगातार म्यूजिक इंडस्ट्री में काम कर रहे हैं। इस इंडस्ट्री को उन्होंने कई ऐसे सुपरहिट गाने दिए हैं जो आज भी काफी फेमस हैं। जैसे, दिल चोरी साडा हो गया, टोटे-टोटे हो गया, ये जो सिली-सिली हवा, अल्लाह हू, तेरे बिन नई जीना मर जाना, छम-छम रोएं अखियां। इन गानों से हंसराज ने अपनी खास पहचान बनाई है। हाल ही में रिलीज हुई फिल्म सोनू की टीटू कि स्वीटी में हंसराज के दिल चोरी साडा हो गया का रिमिक्स भी डाला गया था।
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