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छोटे दलों के विलय पर महागठबंधन में मतभेद, मुद्दा उछाल बैकफुट पर RJD, कांग्रेस पक्ष में

लोकसभा चुनाव के दौरान छोटे दलों के बड़े दलों में विलय की बात करने वाला आरजेडी अब इसपर एकमत नहीं दिख रहा। उधर कांग्रेस इसके पक्ष में है। क्‍या है मामला जानिए इस खबर में।

By Amit AlokEdited By: Published: Sun, 09 Jun 2019 02:15 PM (IST)Updated: Sun, 09 Jun 2019 10:42 PM (IST)
छोटे दलों के विलय पर महागठबंधन में मतभेद, मुद्दा उछाल बैकफुट पर RJD, कांग्रेस पक्ष में
छोटे दलों के विलय पर महागठबंधन में मतभेद, मुद्दा उछाल बैकफुट पर RJD, कांग्रेस पक्ष में
पटना [जेएनएन]। लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) में हार के बाद अब महागठबंधन (Grand Alliance) के छोटे दलों के विलय की चर्चा है। राष्‍ट्रीय जनता दल (RJD) ने शुरूआत में इस प्रस्‍ताव का समर्थन किया, लेकिन अब इसपर एकमत नहीं दिख रहा। उधर, कांग्रेस (Congress) खुलकर छोटे दलों के बड़े दलों में विलय की बात कर रही है।
विदित हो ह‍ि छोटे दलों के बड़े दलों में विलय की बात आरजेडी ने शुरू की थी। बताया जाता है कि लोकसभा चुनाव के दौरान आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) ने लोकतांत्रिक जनता दल (LJD) के शरद यादव (Sharad Yadav) को इसी शर्त पर मधेपुरा से आरजेडी का टिकट दिया था था कि चुनाव बाद शरद के दल का आरजेडी में विलय हो जाएगा। लेकिन समय के साथ बदलती रणनीति में अब आरजेडी में ही इस मुद्दे पर अलग-अलग सुर सुनाई पड़ रहे हैं।

एकमत नहीं आरजेडी के बड़े नेता
आरजेडी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह (Raghuvansh Prasad Singh) विलय के प्रस्ताव का समर्थन करते हुए कहते हैं कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) को चुनौती देने के लिए छोटे दलों का बड़े दलों में विलय जरूरी है।

लेकिन आरजेडी के ही वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी (Shivanand Tiwary) इससे सहमत नहीं हैं। वे इसे व्‍यवहारिक रूप से संभव नहीं मानते। उन्‍होंने कहा कि कोई भी दल अपना अस्तित्व खोना नहीं चाहेगा। कहा कि रघुवंश प्रसाद सिंह ने इस तरह का बयान किस कारण दिया, वे नहीं जानते।

छोटे दलों के विलय के पक्ष में कांग्रेस
छोटे दलों के विलयका मुद्दा उछाल आरजेडी भलेे ही अब बैकफुट पर हो, लेकिन कांग्रेस इसके पक्ष में है। कांग्रेस चाहती है कि छोटे दलों का बड़े दलों में विलय हो। कांग्रेस प्रवक्ता प्रेमचंद्र मिश्रा कहते हैं कि छोटे दलों के पास मजबूत संगठन नहीं है, बीते लोकसभा चुनाव में उनका जनाधार भी कम हुआ है। कई जगह तो उन्‍हें चुनाव लड़ने के लिए प्रत्‍याशी तक नहीं मिलते। बेहतर होगा कि वे एक चुनाव चिह्न पर चुनाव लड़ें। आज जो परिस्थितियां बन गईं हैं, उनके अनुसार छोटे दलों को इसके लिए सोचना चाहिए।

एनडीए के सामने कोई चुनौती नहीं
छोटे दलों के एकीकरण व उनके बड़े दलों में विलय के इस मुद्दे पर राष्‍ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की अपनी राय है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) के प्रवक्‍ता अफजर शमशी इस विलय को असंभव मानते हैं। वे कहते हैं कि अगर विपक्ष इसमें सफल भी हो जाए तो एनडीए के सामने कोई चुनौती खड़ी नहीं कर सकता।

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