West Bengal: बंगाल के पुलिस महानिदेशक को कानून-व्यवस्था की परवाह नहीं: राज्यपाल
West Bengal राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने कहा कि डीजीपी का यह कथन किसी को हजम नहीं होगा कि बंगाल पुलिस कानून द्वारा निर्धारित मार्ग का दृढ़ता से अनुसरण करती है। किसी कानूनेतर मायने से किसी के साथ पक्षपात या भेदभाव नहीं किया जाता है।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। West Bengal: बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) पर मंगलवार को जमकर निशाना सदा। कहा कि उन्हें कानून-व्यवस्था की कोई परवाह नहीं है और वह शुतुरमुर्ग की तरह आवरण लगाकर चीजों से अनजान बने रहने की प्रवृत्ति दर्शा रहे हैं। राज्य के पुलिस महानिदेशक कड़ी आलोचना करते हुए राज्यपाल ने यह भी आरोप लगाया कि राज्य आतंक व अपराध का ‘पनाहगाह’ बन गया है। धनखड़ ने कहा कि अपने गोपनीय संवाद पर डीजीपी के महज ‘दो वाक्य’ के जवाब से वह चकित हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने पुलिस प्रमुख को ‘कानून-व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति’ और उसमें सुधार के लिए उठाये गये कदमों के बारे में बताने के लिए 26 सितंबर को बुलाया है।
राज्यपाल ने कहा कि डीजीपी का यह कथन किसी को हजम नहीं होगा कि बंगाल पुलिस कानून द्वारा निर्धारित मार्ग का दृढ़ता से अनुसरण करती है। किसी कानूनेतर मायने से किसी के साथ पक्षपात या भेदभाव नहीं किया जाता है। धनखड़ ने आरोप लगाया कि यह कुछ भी हो सकता है, लेकिन भयंकर सच्चाई नहीं है।
राज्य आतंक व अपराध के लिए पनाहगाह बना
विभिन्न मुद्दों पर राज्य सरकार के साथ उलझ रहे राज्यपाल ने आरोप लगाया कि बंगाल की कानून-व्यवस्था पर पुलिस महानिदेशक को परवाह नहीं करने, शुतुरमुर्ग की भांति आवरण डालकर अनजान बने रहने की प्रवृत्ति से पीड़ा हुई है। उन्होंने आगे कहा कि राज्य आतंक, अपराध, के लिए पनाहगाह बन गया है और यहां बम बनाने का धंधा, भ्रष्टाचार और मानवाधिकार का उल्लंघन व सभी विरोधियों का उत्पीड़न हो रहा है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कानून के शासन के सभी विरोधी तत्व लगातार प्रचुर मात्रा में नजर आ रहे हैं।
बंगाल सरकार ‘पुलिस की बैसाखी’ पर चल रही
राज्यपाल ने आरोप लगाया कि बंगाल सरकार ‘पुलिस की बैसाखी’ पर चल रही है और पुलिस ‘राजनीतिक झुकाव’ के चलते अपने वैध सरकारी दायित्व को त्याग रही है। धनखड़ ने कहा कि ऐसे हथियार डाल देना कानून के शासन की धमक खत्म हो जाती है और उच्चतम न्यायालय के फैसले की भावना का कोई अर्थ नहीं रह जाता कि वह कानून के अनुसार और स्वतंत्र रूप से काम कर सकते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि मानवाधिकार का रक्षक होने की बजाय पुलिस ऐसे अधिकारों के लिए खतरा साबित हो रही है।