राज्यपाल धनखड़ ने कहा- ममता ने हर मौके पर मुझे अपमानित किया, यह उनके कद व पद को शोभा नहीं देता
पद संभालने के बाद से लगातार राज्य की तृणमूल सरकार से राज्यपाल जगदीप धनखड़ के रिश्ते तल्ख हैं। राज्य के मंत्रियों को सीएम की सहमति से उनका अपमान करने का लगाया आरोप।
कोलकाता, जागरण संवाददाता। पद संभालने के बाद से लगातार राज्य की तृणमूल सरकार से राज्यपाल जगदीप धनखड़ के रिश्ते तल्ख हैं। इसी क्रम मे शुक्रवार पीटीआई को दिए साक्षात्कार में राज्यपाल ने एक बार फिर से सीएम को निशाने पर लिया। उन्होंने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर उन्हें लगातार अंधेरे में रखने और हर मौके पर उनका अपमान करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि ऐसा कर वह खुद अपना कद घटा रही हैं, जबकि मैं उनका बहुत सम्मान करता हूं।
राज्यपाल ने साथ ही विधानसभा अध्यक्ष विमान बंद्योपाध्याय को भी आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि 26 नवंबर को संविधान दिवस के मौके पर जानबूझकर विधानसभा में आयोजित कार्यक्रम में प्रोटोकाल का उल्लंघन करते हुए अतिथियों के बाद उन्हें बोलने के लिए बुलाया गया।
उन्होंने कहा कि क्या आपने देश के किसी हिस्से में ऐसा देखा है कि राज्य विधानसभा में वर्तमान राज्यपाल को सदन को संबोधित करने के लिए पांचवें नंबर पर बुलाया जाए। इतना ही नहीं उनकी मौजूदगी में कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्व राज्यपाल (एमके नारायणन), पूर्व लोकसभा अध्यक्ष (मीरा कुमार) और पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त (एसवाई कुरैशी) करें। मामले पर दुख जताते हुए उन्होंने कहा कि प्रोटोकाल के गंभीर उल्लंघन के बावजूद कार्यक्रम की महत्ता को देखते हुए मैं वहां गया। लेकिन उनका यह कदम अवांछनीय था।
सीएम पर अपना वार जारी रखते हुए राज्यपाल ने आगे कहा कि संविधान के अनुसार मुख्यमंत्री को हर बड़े मुद्दे की जानकारी राज्यपाल को देना चाहिए। लेकिन आज तक उन्होंने एक बार भी मुझे सूचित नहीं किया। उन्होंने बताया कि चक्रवात बुलबुल आने के बाद राज्य के हालात की जानकारी के लिए मैंने सीएम को पत्र लिखा। लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से उसका जवाब राज्य के मुख्य सचिव ने दिया। जबकि मेरे किसी भी पत्र का जवाब सिर्फ और सिर्फ मुख्यमंत्री को देना चाहिए, किसी और को नहीं।
खुद पर समानांतर सरकार चलाने के आरोपों का खंडन करते हुए उन्होंने राज्य सरकार को इसे साबित करने की चुनौती दे डाली। उन्होंने कहा कि मैं संविधान के अनुरूप काम कर रहा हूं, सरकार चलाना मेरी जिम्मेदारी नहीं है। लेकिन सरकार संविधान संगत कार्य कर रही है, यह सुनिश्चित करना मेरा काम है। जहां भी संविधान का उल्लंघन होगा, मैं आउंगा। मुख्यमंत्री ने संविधान की शपथ ली है और मैंने संविधान बचाने की।
दुर्गापूजा कार्निवल और संविधान दिवस कार्यक्रम में हुए कथित अपमान का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के कद और पद को ऐसा व्यवहार शोभा नहीं देता। भले ही ऐसे व्यवहार से मेरा अपमान हुआ है, लेकिन नतीजे में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का कद भी बहुत नीचे आ गया गया है। हालांकि उन्होंने उम्मीद जताई की तृणमूल प्रमुख के पास जो राजनीतिक अनुभव है उसके अनुरूप वह जरूर इन मुद्दों पर विचार करेंगी और आगे का कोई सार्थक रास्ता अवश्य निकालेंगी।
लगे हाथ राज्य के मंत्रियों को आड़े हाथों लेते हुए उन्होंने कहा कि राज्य मंत्री बड़े ही असहनीय और नपेतुले अंदाज में उनका अपमान कर रहे हैं। हालांकि तृणमूल नेत्री की जैसी पकड़ पार्टी व सरकार पर है, उनकी सहमति के बिना ऐसा करना संभव नहीं है।
राजभवन में भाजपा का प्रवक्ता होने के मुख्यमंत्री के आरोपों का ख्रंडन करते हुए उन्होंने संविधान दिवस कार्यक्रम में हुई घटना का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि वह कार्यक्रम में शामिल होने के लिए शाम 5.30 पर विधानसभा पहुंचे लेकिन उनकी अगवानी के लिए सीएम वहां मौजूद ही नहीं थी। अब इसे क्या कहेंगे। सीएम खुद दूरी बनाए रखतीं हैं और मेरे व्यवहारों पर सवाल उठाती हैं। उन्होंने आगे कहा कि अंबेडकर तस्वीर पर माल्यार्पण के लिए जा रहे सभी अतिथियों के साथ सीएम खुद रहीं, लेकिन जब मेरी बारी आयी वह गायब थीं।
एनआरसी पर जारी विवाद पर कोई टिप्पणी करने से मना करते हुए उन्होंने इतना भर कहा कि किसी को भी संसद द्वारा पारित किसी भी कानून के विरोध में किसी भी संवैधानिक संस्था को सार्वजनिक रूप से सामने नहीं आना चाहिए।
राज्य की कानून व्यवस्था पर भी सार्वजनिक रूप से कुछ बोलने से इन्कार करते हुए उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर वह सिर्फ राज्य सरकार से बात करेंगे। भविष्य में राज्यपाल व राज्य सरकार के बीच सौहार्दपूर्ण संबंध की संभावना पर उन्होंने कहा कि इसके लिए पहले राज्य सरकार को राज्यपाल के लिए खोदी गई खाई को पाटना होगा।
हेलिकॉप्टर विवाद पर भी सीएम को घेरते हुए उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री चक्रवात बुलबुल के बाद जारी राहत कार्य का बहाना करतीं रहीं। यह शर्मनाक है। मैं 700 किमी रास्ते से गया , जबकि वहीं मुख्यमंत्री खुद हेलिकॉप्टर से उतरतीं हैं। पत्रकार मित्रों को पता लगाना चाहिए कि पिछले चार महीने में राज्य सरकार ने कितनी बार हेलिकॉप्टर का इस्तेमाल किया है।