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नया पैरोल एक्ट बनाएगी गहलोत सरकार, अपराधों पर लगाम लगाने व जेल में बंदियों की गतिविधियों पर नियंत्रण की योजना

राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार अपराधियों से सख्ती के साथ निपटने के लिए नया पैरोल एक्ट तैयार करेगी। नये एक्ट को विधानसभा के आगामी सत्र में पारित कराया जाएगा।

By Preeti jhaEdited By: Published: Tue, 14 Jan 2020 11:45 AM (IST)Updated: Tue, 14 Jan 2020 11:45 AM (IST)
नया पैरोल एक्ट बनाएगी गहलोत सरकार, अपराधों पर लगाम लगाने व जेल में बंदियों की गतिविधियों पर नियंत्रण की योजना
नया पैरोल एक्ट बनाएगी गहलोत सरकार, अपराधों पर लगाम लगाने व जेल में बंदियों की गतिविधियों पर नियंत्रण की योजना

जयपुर, नरेन्द्र शर्मा। राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार अपराधियों से सख्ती के साथ निपटने के लिए नया पैरोल एक्ट तैयार करेगी। नये एक्ट को विधानसभा के आगामी सत्र में पारित कराया जाएगा। गृह विभाग के अधिकारियों ने विधि विशेषज्ञों एवं पुलिस महकमें के अफसरों के साथ मिलकर पैरोल एक्ट का ड्राफ्ट तैयार किया है।

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नये पैरोल एक्ट में अपराधियों पर लगाम लगाने को लेकर कई अहम प्रावधान किए जा रहे हैं। इसके तहत जेल में यदि किसी कैदी के पास मोबाइल फोन भी मिलता है तो उसे संज्ञेय अपराध की श्रेणी में माना जाएगा। जेल में कैदी के पास मोबाइल फोन मिलने पर उसके खिलाफ जिला एवं सत्र न्यायालय में ट्रायल चलेगा। कैदी की जिला एवं सत्र न्यायालय से नीचे की अदालत में जमानत नहीं होगी। अब तक जेल में कैदी के पास मोबाइल फोन मिलने पर सिर्फ एफआईआर दर्ज होती है,लेकिन इसे संज्ञेय अपराध नहीं माना जाता है।

एक्ट के ड्राफ्ट में हत्या अथवा किसी अन्य गंभीर अपराध में आजीवन कारावास की सजा काट रहे आरोपित को पैरोल की अवधि दो साल करने का प्रावधान किया जा रहा है।राज्य में गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव राजीव स्वरूप और पुलिस महानिदेशक (जेल) एनआरके रेड्डी ने पैरोल एक्ट के ड्राफ्ट को अंतिम रूप दिया है।

नये एक्ट में कैदियों को कुछ राहत भी दी जाएगी

नये पैराल एक्ट में संज्ञेय अपराधों को लेकर एक तरफ जहां कठोरता बरतने का प्रावधान किया जा रहा है,वहीं दूसरी तरफ कैदियों को कुछ राहत देने की भी मंशा जताई है। अब तक जिला मुख्यालयों पर कलेक्टरों की अध्यक्षता में गठित कमेटी किसी भी कैदी के पैराल संबंधित प्रार्थना-पत्र को खारिज कर देने पर उसकी आगे कहीं सुनवाई नहीं होती थी। लेकिन अब नये एक्ट में जिला कलेक्टर की अध्यक्षता वाली कमेटी द्वारा प्रार्थना-पत्र खारिज होने के बाद कैदी को एक और मौका दिया जाएगा है। वह संभागीय आयुक्त के समक्ष प्रार्थना-पत्र दे सकेगा। कैदियों के शारीरिक एवं स्वास्थ्य संबंधी बिंदुओं को भी नये एक्ट में जोड़ा जा रहा है।

जानकारी के अनुसार सरकार फरवरी में संभावित विधानसभा-सत्र में इस बिल को पास करवाने की तैयारी कर रही है। गृह विभाग के अधिकारियों का मानना है की जेलों में मोबाइल के चलते ही गैंगवार की घटनाएं होती हैं। सूचनाओं का आदान प्रदान करने में मोबाइल का अहम रोल रहता है। अपराधी जेल में रहकर ही गैंगवार जैसी घटनाओं को अंजाम दे देते हैं। मोबाइल मिलने पर इसे संज्ञेय अपराध की श्रेणी में रखे जाने पर गैंगवार की घटनाओं में कमी आएगी।

वसुंधरा सरकार ने किया था संशोधन

इससे पहले पिछली वसुंधरा राजे सरकार ने 10 मई,2017 को राजस्थान प्रिजनर पैरोल रूल्स1975 में संशोधन किया था ।उस समय तक किसी भी कैदी को सजा का एक चौथाई हिस्सा पूरा करने के बाद तीन पैरोल दिए जाने का प्रावधान था। यह पैरोल पहला 20 दिन का,दूसरा 30 और फिर 40 दिन का था। वसुंधरा सरकार ने संशोधन कर पैरोल अवधि में रेमुनरेशन को शामिल किया। इसके तहत यदि कोई भी कैदी अनुशासन के साथ सजा काटता है तो उसे ढ़ाई साल का रेमुनरेशन दिया गया। 

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