श्रीनगर में रॉ के पूर्व प्रमुख एएस दुलत ने की फारूक अब्दुल्ला से मुलाकात, नई सियासी अटकलें
रॉ के पूर्व प्रमुख एएस दुलत ने जन सुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत हिरासत में लिए गए जम्मू और कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला से इसी महीने में श्रीनगर में मुलाकात की।
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। जम्मू-कश्मीर में आकार ले रहे नए सियासी संगठन की सुगबुगाहट के बीच रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के पूर्व प्रमुख एएस दुल्लत की नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. फारूक अब्दुल्ला के साथ गुप्त बैठक के बाद नई सियासी अटकलबाजियां शुरू हो गई हैं। कहा जा रहा है कि दुल्लत खास पेशकश के साथ फारूक से मिले हैं। हालांकि रॉ के पूर्व प्रमुख ने बैठक के बारे में कुछ भी कहने से इन्कार किया है।
दुल्लत और डॉ. फारूक अब्दुल्ला के बीच गुप्त मुलाकात 12 फरवरी को
दुल्लत और डॉ. फारूक अब्दुल्ला के बीच गुप्त मुलाकात 12 फरवरी को हुई थी। उन्होंने डॉ. अब्दुल्ला के साथ करीब डेढ़ घंटा बिताया। वह श्रीनगर में खास करीबियों से भी मिले। इनमें कुछ पत्रकार और बुद्धिजीवी भी हैं। सूत्रों ने बताया कि जम्मू-कश्मीर के मौजूदा परिप्रेक्ष्य में डॉ. फारूक के मूड को भांपने के लिए दुल्लत आए थे। डॉ. फारूक केंद्र के रवैये को लेकर रुष्ट हैं। उन्होंने दुल्लत के साथ नाराजगी को किसी भी तरह नहीं छिपाया और न अपने स्टैंड से पीछे हटे।
डॉ. फारूक ने कहा कि वह तो इस मुल्क के सिपाही हैं। उनके साथ किसी दुश्मन की तरह व्यवहार किया जा रहा है। इस गुप्त बैठक के बारे में कयास लगाए जा रहे हैं कि फारूक पर पब्लिक सेफ्टी एक्ट (पीएसए) हटेगा या फिर नेशनल कांफ्रेंस स्थगित किए पंचायत चुनाव में भागीदारी का संकेत देगी। नेकां पहले ही स्पष्ट कर चुकी है कि वह अपने नेताओं की रिहाई के बाद पंचायत चुनावों में हिस्सा लेगी।
राजनीतिक गतिविधियां बहाल करने के प्रयास
नई दिल्ली, जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक गतिविधियों को बहाल करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। पूर्व वित्तमंत्री सईद अल्ताफ बुखारी के नेतृत्व में उभर रहे नए सियासी संगठन को केंद्र का आशीर्वाद बताया जा रहा है। केंद्र जम्मू-कश्मीर में बने सियासी गतिरोध को हल करने के लिए स्पष्ट नीति को तैयार नहीं कर पाया है। केंद्र इस बारे में कई विकल्प देख रही है। रॉ के पूर्व प्रमुख की डॉ. अब्दुल्ला से मुलाकात भी इसी प्रक्रिया का एक हिस्सा हो सकती है। राजनीतिक नेताओं को लंबे समय तक पीएसए के तहत बंदी बनाए रखने से बड़ा मकसद हल होता नजर नहीं आ रहा है। जम्मू-कश्मीर आ चुके कई विदेशी राजनायिक हिरासत में लिए गए नेताओं की रिहाई का समर्थन कर चुके हैं।
दुल्लत कई माह से मिलना चाहते थे
अब्दुल्ला परिवार के वरिष्ठ सदस्य ने दुल्लत और डॉ. फारूक के बीच हुई बैठक की पुष्टि करते हुए बताया कि रॉ के पूर्व प्रमुख बीते कई माह से मिलना चाहते थे। डॉ. साहब ने कई बार नजरअंदाज करने का प्रयास किया। आखिरकार वह मिलने के लिए राजी हो गए। दोनों ही पुराने मित्र हैं। दुल्लत ने बैठक पर किसी भी तरह की प्रतिक्रिया से इन्कार किया है। उन्होंने कहा कि मेरे पास बताने के लिए कुछ नहीं है।
फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला हैं कैद
ज्ञात हो कि जन सुरक्षा कानून (पीएसए) को जम्मूकश्मीर में पूर्व मुख्यमंत्री स्व. शेख मोहम्मद अब्दुल्ला ने वर्ष 1978 में लागू किया था। उस समय उन्होंने यह कानून जंगलों के अवैध कटान में लिप्त तत्वों को रोकने के लिए बनाया था, बाद में इसे उन लोगों पर भी लागू किया जाने लगा था, जिन्हें कानून व्यवस्था के लिए संकट माना जाता है।
श्रीनगर के सांसद और जम्मू कश्मीर में तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष डॉ. फारुक अब्दुल्ला को पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर के पुनर्गठन विधेयक को लागू करने से पूर्व चार अगस्त की मध्यरात्रि उनके घर में प्रशासन ने एहतियात के तौर पर नजरबंद किया था। उनके पुत्र पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को भी उसी रात एहतियातन हिरासत में लिया गया था। अलगाववादियों को भी अक्सर इसी कानून के तहत बंदी बनाया जाता है।