कैबिनेट बैठक में पांच प्रस्तावों पर लगी मुहर, बिल्डरों को राहत
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक का आयोजन किया गया। जिसमें पांच प्रस्तावों पर मुहर लगी है।
देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: सरकार ने रियल एस्टेट कारोबारियों और व्यापारियों को खासी राहत दी है। राज्य मंत्रिमंडल ने बुधवार को रियल एस्टेट नियमन व विकास कानून (रेरा) के तहत पंजीकरण नहीं कराने वाले बिल्डरों और कॉलोनाइजर को बड़ी राहत दी है। उन्हें अब तक पंजीकरण नहीं कराने पर विलंब शुल्क नहीं देने का निर्णय किया गया है, साथ ही पंजीकरण के लिए मोहलत बढ़ाकर 28 फरवरी की गई है। वहीं व्यापारियों के लिए भी वर्ष 2016-17 की सालाना विवरणी (रिटर्न) देने की अंतिम तारीख 31 दिसंबर, 2017 से बढ़ाकर 31 मार्च, 2018 की गई है।
सचिवालय में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक में पांच बिंदुओं पर निर्णय हुए। सरकार के प्रवक्ता व काबीना मंत्री मदन कौशिक ने मंत्रिमंडल के फैसलों को ब्रीफ किया। उन्होंने बताया कि रेरा के तहत पंजीकरण नहीं कराने वाले बिल्डरों व कॉलोनाइजर पर विलंब शुल्क लागू किया गया था।
एक नवंबर, 2017 तक पंजीकरण नहीं कराने वालों से पूरी परियोजना लागत का 10 फीसद विलंब शुल्क वसूल किया जा रहा है। इससे पहले 30 सितंबर, 2017 तक पंजीकरण नहीं कराने वालों से परियोजना लागत का एक फीसद बतौर विलंब शुल्क वसूल किया गया था।
अब बिल्डरों व कॉलोनाइजर को मंत्रिमंडल ने राहत देते हुए रेरा के तहत पंजीकरण कराने की समय अवधि बढ़ाकर 28 फरवरी नियत कर दी है। इसके बाद एक मार्च से 31 मार्च तक परियोजना लागत का एक फीसद, एक अप्रैल से 30 अप्रैल तक परियोजना लागत का दो फीसद, एक मई से 31 मई तक परियोजना लागत का पांच फीसद और एक जून के बाद परियोजना लागत का 10 फीसद बतौर विलंब शुल्क लिया जाएगा।
उन्होंने बताया कि अब तक रियल एस्टेट कारोबारियों से वसूल किए गए विलंब शुल्क को वापस अथवा समायोजित किया जाएगा। इसीतरह व्यापारियों को भी वर्ष 2016-17 के लिए जीएसटी का सालाना रिटर्न दाखिल करने के लिए समय अवधि बढ़ाकर 31 मार्च, 2018 की गई है।
दरअसल, जीएसटी लागू होने और इसके नए प्रावधानों के चलते बीते वित्तीय वर्ष का सालाना रिटर्न निर्धारित तिथि 31 दिसंबर, 2017 तक काफी कम व्यापारियों ने जमा किया है। सरकार ने व्यापारियों के अनुरोध को स्वीकार कर समय सीमा तीन माह बढ़ाने का निर्णय लिया है।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी महकमे के अंतर्गत अंतरिक्ष भू उपयोग केंद्र के कार्मिकों को सातवां वेतन देने का निर्णय लिया गया है। इस केंद्र में कुल 43 पद हैं, लेकिन 15 पदों पर नियमित कार्मिक कार्यरत हैं।
इन्हें सातवां वेतन दिया जाएगा। इसीतरह उत्तराखंड सहायक विकास अधिकारी एवं सहायक जिला पंचायत राज अधिकारी नियमावली को मंजूरी दी गई है। मंत्रिमंडल ने स्वामी विवेकानंद धर्मार्थ चिकित्सालय धर्मावाला शिमला बाईपास विकासनगर के लिए 1.45 हेक्टेयर भूमि पर 28.53 लाख स्टांप शुल्क माफ करने पर सहमति दी है।
इस मौके पर मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह, वित्त सचिव अमित नेगी और प्रभारी सचिव व सूचना महानिदेशक डॉ पंकज पांडे मौजूद थे।
कैबिनेट फैसले:
-रेरा में पंजीकरण नहीं कराने पर विलंब शुल्क की देनदारी माफ
-रेरा में बिल्डर और कॉलोनाइजर अब 28 फरवरी तक करा सकेंगे पंजीकरण
-जीएसटी के तहत वर्ष 2016-17 का रिटर्न 31 मार्च तक करेंगे होंगे दाखिल
-अंतरिक्ष भू उपयोग केंद्र के कार्मिकों को सातवां वेतन देने पर मुहर
-उत्तराखंड सहायक विकास अधिकारी एवं सहायक जिला पंचायत राज अधिकारी नियमावली मंजूर
-स्वामी विवेकानंद धर्मार्थ चिकित्सालय के लिए भूमि को स्टांप शुल्क से मुक्ति
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