Fight Against Corona Virus : उत्तर प्रदेश में खुलेंगे राजस्व के कई रास्ते, उद्योग भी होगा 'लॉकइन'
Fight Against Corona Virus देशभर को कोरोना वायरस पर नियंत्रण का कारगर मॉडल देने वाली उत्तर प्रदेश की योगी सरकार अब आर्थिक संकट के संक्रमण से उबरने का इलाज भी दे सकती है।
लखनऊ, जेएनएन। Fight Against Corona Virus : देशभर को कोरोना वायरस पर नियंत्रण का कारगर मॉडल देने वाली उत्तर प्रदेश की योगी सरकार अब आर्थिक संकट के संक्रमण से उबरने का 'इलाज' भी दे सकती है। राज्य सरकार की सक्रियता का शानदार उदाहरण पेश करते हुए उद्योग और राजस्व संबंधी कमेटी ने इसकी कार्ययोजना भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भेज दी है। इसमें अहम यह है कि सरकार एक जिला एक उत्पाद के दायरे में आने वाली छोटी इकाइयों के साथ ही उन बड़ी इकाइयों को भी खोलने की तैयारी में है, जहां लॉकइन यानी परिसर के अंदर ही श्रमिकों के रहने-खाने की व्यवस्था हो। साथ ही राजस्व प्राप्ति के कई रास्ते भी सुझाए गए हैं। खजाने की बिगड़ती सेहत को सुधारने के लिए पेट्रोल-डीजल पर वैट बढ़ाने के साथ ही संपत्तियों की रजिस्ट्री, खनन का काम भी जल्द शुरू होगा।
लॉकडाउन के हालात से उबरने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वरिष्ठ मंत्रियों की अध्यक्षता में ग्यारह कमेटियां बनाई हैं। मंत्रियों को उनसे संबंधित विभागों की गतिविधयों को सुचारु करने की कार्ययोजना बनाने के लिए कहा है। चूंकि अर्थव्यवस्था की बेहतरी के लिए उद्योग और राजस्व के अन्य माध्यम बेहद जरूरी हैं, इसलिए इस समिति में वित्त मंत्री सुरेश खन्ना के साथ ही औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना और लघु उद्योग मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह को शामिल किया गया है। इन समितियों को बुधवार से काम शुरू करने के निर्देश थे लेकिन, मामले की गंभीरता को देखते हुए अधिकांश मंत्रियों ने सोमवार से ही काम शुरू कर दिया।
वित्त मंत्री सुरेश खन्ना के विधानभवन स्थित कार्यालय में उद्योग और राजस्व संबंधी समिति की बैठक हुई। कई घंटे चले मंथन के बाद कार्ययोजना का प्रस्ताव तैयार कर लिया गया। वित्त मंत्री ने बताया कि शारीरिक दूरी बनाए रखते हुए उद्योगों को शुरू करने और राजस्व आय बढ़ाने के सुझाव संबंधी प्रस्ताव बनाकर मुख्यमंत्री को भेज दिया गया है। मुख्यमंत्री के स्तर से हरी झंडी मिलते ही उन्हें लागू किया जाएगा। सूत्रों के अनुसार समिति ने इसमें सुझाव दिया है कि लॉकइन के रूप में बड़ी इकाइयों को तुरंत शुरू किया जा सकता है। चूंकि हेल्थ प्रोटोकॉल सबसे अहम है, इसलिए सुझाव दिया गया है कि उन इकाइयों को शुरू किया जा सकता है, जहां फैक्ट्री परिसर में ही श्रमिकों के रहने-खाने की उचित व्यवस्था हो सके।
इनमें सीमेंट, स्टील, कैमिकल फैक्ट्री आदि के अलावा आबकारी विभाग की गहन निगरानी में डिस्टिलरियों को भी तत्काल शुरू कराने को कहा गया है। लघु उद्योग मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने बताया कि खादी, माटी कला बोर्ड, एक जिला एक उत्पाद कार्यक्रम में शामिल छोटी इकाइयां, चिकित्सा उपकरण, दवा आदि बनाने वाली इकाइयों को भी शुरू किया जा सकता है। यह सभी सुझाव प्रस्ताव में शामिल हैं। इसके अलावा राजस्व प्राप्ति के अन्य क्या माध्यम हो सकते हैं और कैसे राजस्व बढ़ाकर प्रदेश की स्थिति को संतुलित किया जा सकता है, इसके भी सुझाव दिए गए हैं।
सूत्र बताते है कि समिति की बैठक में ऑनलाइन के साथ ही शारीरिक दूरी रखते हुए ऑफलाइन रजिस्ट्री शुरू करने पर भी सहमति बनी। इसके लिए रजिस्ट्री कार्यालय में ऑनलाइन समय लेना होगा। स्टाम्प मंत्री रविन्द्र जायसवाल ने बताया कि रजिस्ट्री का कार्य एक-दो दिन में शुरू हो जाएगा। समय का मैसेज ही लॉकडाउन में रजिस्ट्री कार्यालय तक जाने के लिए एक तरह का पास होगा। चूंकि निर्माण कार्य शुरू हो रहे हैं, इसलिए बालू-मौरंग आदि के खनन की भी अनुमति देने का सुझाव दिया गया है। बैठक में उद्योग और राजस्व विभाग सहित विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।
महंगा होगा पेट्रोल-डीजल
सरकार की कमाई में अहम भूमिका निभाने वाले पेट्रोल-डीजल पर वैट बढ़ाने का भी सुझाव दिया गया है। बैठक में समिति को बताया गया कि पड़ोसी राज्य बिहार, मध्यप्रदेश, उत्तराखंड व राजस्थान सहित देश के तकरीबन दर्जन भर राज्यों के मुकाबले प्रदेश में पेट्रोल-डीजल पर कम वैट होने से यहां डीजल पांच रुपये लीटर से भी अधिक सस्ता है। चूंकि लॉकडाउन से पेट्रोल-डीजल की खपत बेहद कम हो गई है, इसलिए सरकार का राजस्व भी काफी घट गया है। लिहाजा, प्रस्ताव में संस्तुति की गई है कि पेट्रोल-डीजल पर वैट दर बढ़ा दी जाए। इससे प्रदेश में पेट्रो पदार्थ दो से तीन रुपये प्रति लीटर तक महंगे हो सकते हैं।