पंजाब के किसान शहरों में दूध और सब्जियों की सप्लाई करेंगे बंद
पंजाब के किसान राज्य में शहरों में दूध और सब्जियों की सप्लाई बंद करेंगे। ये किसान 1 से 10 जून तक यह सप्लाई बंद करेंगे।
चंडीगढ़, [इंद्रप्रीत सिंह]। पंजाब में किसान शहरों में दूध और सब्जियों की सप्लाई बंद करेंगे। देशभर के 62 किसान संगठन 1 से 10 जून तक शहरों में दूध, सब्जियां, फल आदि की सप्लाई बंद करने जा रहे हैं। जगह-जगह किसानों को इसके लिए तैयार करने के लिए ये संगठन न केवल किसान यूनियनों से बात कर रहे हैं बल्कि दोधी यूनियन, कमर्शियल डेयरी फार्मर्स व ट्रक यूनियनों से भी बात की जा रही है।
देश भर के 62 किसान संगठन किसानों को कर रहे लामबंद
चंडीगढ़, लुधियाना इस आंदोलन के मुख्य केंद्र होंगे, जबकि दिल्ली समेत पूरे एनसीआर में सभी तरह की सप्लाई बंद की जाएगी। इसके अलावा हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में फोकस किया जाएगा। इस आंदोलन का नेतृत्व कर रहे प्रसिद्ध कृषि अर्थशास्त्री दविंदर शर्मा ने बताया कि पूरे देश के 62 विभिन्न किसान संगठनों से बात हो गई है।
पंजाब के किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल और कर्नाटक के किसान नेता चंद्रशेखर कोडीहल्ली सहित अन्य किसान नेता अपने-अपने क्षेत्रों में इस मुहिम को आगे बढ़ा रहे हैं। उन्होंने बताया कि सरकारों का किसानों की समस्याओं को हल करने की ओर कोई ध्यान नहीं है। इससे न केवल उन पर कर्ज बढ़ता जा रहा है बल्कि अलग-अलग राज्यों में उनकी आत्महत्याएं बढ़ती जा रही हैं। पंजाब में दो दिन पहले ही पांच आत्महत्याएं हुई हैं।
दोधी यूनियन, कमर्शियल डेयरी फार्मर्स व ट्रक यूनियनों से कर रहे बात
उन्होंने बताया कि इस मुहिम को देश भर में सराहा जा रहा है। किसान संगठन खुद आगे आ रहे हैं, बस उन्हें दूसरे वर्गों के साथ तालमेल बढ़ाने की जरूरत है। आने वाले दिनों में इस मुहिम को घर-घर तक पहुंचाने के लिए मीडिया का सहारा लेने के साथ ही सेमिनार व नुक्कड़ मीटिंंगें की जाएंगी।
शहरों की सप्लाई बंद करने संबंधी उन्होंने कहा कि आखिर उन लोगों को भी किसानों की पीड़ा का अहसास होना चाहिए जिनका किसानों के प्रति कोई मोह नहीं है। सरकार की भी सारी योजनाएं केवल शहरों को सामने रखकर ही बन रही हैं, गांव और किसान उनकी नीतियों से गायब हैं।
इसलिए किया जा रहा आंदोलन
दविंदर शर्मा ने कहा कि किसानों को निश्चित आमदनी (एश्योर्ड इनकम) करवाना सबसे बड़ी मांग है। जब तक यह मांग सरकारें लागू करने की ओर आगे नहीं बढेंग़ी किसानों की आत्महत्याएं नहीं रुकेंगी। इसके अलावा एक बार उनके सारे कर्ज को खत्म करना होगा, फिर उनकी फसलों की सही कीमत देना सुनिश्चित करना होगा, तभी किसान बचेंगे।