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इस वजह से लटका भाजपा-जजपा कैबिनेट का विस्‍तार, दो दिन में शामिल होंगे नए मंत्री

भाजपा-जजपा सरकार में मंत्रियों को दो दिन में शामिल किया जा सकता है। मंत्रियों की सूची तय हो चुकी है और आलाकमान की मुहर बाकी है। महाराष्‍ट्र मामले के कारण इसमें देरी हुई है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Fri, 08 Nov 2019 10:30 AM (IST)Updated: Fri, 08 Nov 2019 10:34 AM (IST)
इस वजह से लटका भाजपा-जजपा कैबिनेट का विस्‍तार, दो दिन में शामिल होंगे नए मंत्री
इस वजह से लटका भाजपा-जजपा कैबिनेट का विस्‍तार, दो दिन में शामिल होंगे नए मंत्री

चंडीगढ़/नई दिल्‍ली, [अनुराग अग्रवाल/बिजेंद्र बंसल]। हरियाणा की नई कैबिनेट का विस्‍तार अब होने ही वाला है। कैबिनेट के विस्तार में हो रही देरी से मंत्री बनने के तलबगार विधायकों की बेचैनी बढ़ गई है। संभावना है कि भाजपा-जजपा सरकार में मंत्रियों को 10 नवंबर तक शामिल किया जा सकता है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल और उप मुख्‍यमंत्री दुष्‍यंत चौटाला अपनी नई टीम के सदस्‍यों नाम लगभग तय कर चुके हैैं। अब इस पर भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुहर लगनी बाकी है। बताया जाता हे कि कैबिनेट के विस्‍तार में महाराष्‍ट्र में सरकार गठन को लेकर जारी गतिरोध के कारण नहीं हाे पा रहा है।

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महाराष्‍ट्र में गतिरोध के कारण देरी हो रही है, 10 नवंबर को हो सकता है मनोहर कैबिनेट का गठन

मुख्यमंत्री अपनी टीम में जातीय संतुलन साधते हुए राज्य के चारों कोनों को प्रतिनिधित्व देंगे। गुरुनानक देव जी के 550वें प्रकाश उत्सव के उपलक्ष्य में 9 नवंबर को अयोजित होने वाले कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल भी शामिल होंगे। यह समारोह पंजाब के डेरा बाबा नानक में होगा। इसके ठीक अगले दिन 10 नवंबर को कैबिनेट का गठन संभव है। तब तक प्रधानमंत्री व भाजपा अध्यक्ष के साथ मनोहर कैबिनेट की नई टीम पर मंथन हो चुका होगा।

छठी बार विधायक चुनकर आए अनिल विज और पूर्व स्पीकर कंवरपाल गुर्जर का मंत्री बनना तय है। विज और गुर्जर के मंत्री बनने के बाद कैबिनेट में किसी दूसरे पंजाबी व गुर्जर विधायक को जगह हासिल करने में खासी मशक्कत करनी पड़ेगी। वाल्मीकि समुदाय से विशंभर वाल्मीकि और दलित समुदाय से डा. बनवारी लाल की मंत्री पद के लिए मजबूत दावेदारी है।

नांगल चौधरी के विधायक डा. अभय सिंह यादव मंत्री पद के प्रबल दावेदार हैैं। नलवा के विधायक रणबीर गंगवा और इंद्री के विधायक रामकुमार कश्यप में से कोई एक मंत्री बन सकता है। ब्राह्मïणों में बल्लभगढ़ के विधायक मूलचंद शर्मा, महिलाओं में सीमा त्रिखा व कमलेश ढांडा, वैश्यों में दीपक मंगला, कमल गुप्ता व घनश्याम सर्राफ की दावेदारी है। सोहना से विधायक संजय सिंह अकेले राजपूत हैैं।

फतेहाबाद व सिरसा जिले में दूड़ा राम बिश्नोई, जीटी रोड बेल्ट पर महीपाल सिंह ढांडा, हरविंद्र कल्याण और सुभाष सुधा, भिवानी जिले में भाजपा के वरिष्ठ नेता जेपी दलाल की दावेदारी मजबूत है।

निर्दलीय विधायकों को भी नाराज नहीं करना चाहती सरकार

भाजपा सूत्रों के अनुसार निर्दलीय विधायकों को कैबिनेट में शायद ही शामिल किया जाए। भाजपा नेतृत्व का मानना है कि यदि किसी एक निर्दलीय विधायक को कैबिनेट में राज्य मंत्री बना भी दिया गया तो बाकी छह विधायक नाराज हो सकते हैैं। इसलिए भाजपा को समर्थन देने वाले सभी सात विधायकों को भाजपा महत्वपूर्ण बोर्ड एवं निगमों का चेयरमैन बना सकती है। हालांकि निर्दलीय विधायकों में जाट समुदाय के रणजीत सिंह चौटाला और राजपूत बिरादरी के नयनपाल रावत दमदार पैरवी करने में जुटे हैैं।

तीन दिनों से मंत्रियों की सूची संग दिल्‍ली में हैं मुख्‍यमंत्री मनोहरलाल

महाराष्ट्र के राजनीतिक संकट के बीच हरियाणा मंत्रिमंडल विस्तार भी अटका हुआ है। मुख्यमंत्री मनोहरलाल अपनी सरकार की नई मंत्रियों की सूची लेकर बुधवार को ही नई दिल्ली पहुंच गए थे मगर अभी तक इस पर भाजपा हाईकमान की मुहर नहीं लगी है। हालांकि बुधवार देर सायं भाजपा मुख्यालय में मुख्यमंत्री की पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा और संगठन महामंत्री बीएल संतोष से मंत्रिमंडल के नए सदस्यों की बाबत चर्चा हो गई थी। मगर जब तक पार्टी अध्यक्ष अमित शाह से उनकी मुलाकात नहीं होगी तब तक मंत्रिमंडल विस्तार की तारीख तय नहीं की जा सकती। गुरुवार को मुख्यमंत्री ने गुरुग्राम से नई दिल्ली लौटने के बाद हरियाणा भवन में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला और प्रदेश संगठन महामंत्री सुरेश भट्ट से भी बैठक की।

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अब जल्‍द मंत्रिमंडल विस्तार के हैं कई राजनीतिक कारण

राज्य में भाजपा सरकार के सहयोगी दल जजपा की तरफ से बेशक मंत्रिमंडल विस्तार के लिए कोई जल्दबाज़ी नहीं दिखाई जा रही है मगर कई अन्य राजनीतिक कारणों से मुख्यमंत्री मंत्रिमंडल विस्तार को अंतिम रूप देना चाहते हैं। सबसे बड़ा कारण तो यह है कि अगले सप्ताह अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक निर्णय आना तय है। ऐसे में क़ानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए यह जरूरी है कि राज्य में मज़बूत व स्थिर सरकार पूरे प्रशासनिक अमले के साथ काम करे।

इसके अलावा भाजपा-जजपा के बीच न्यूनतम साझा कार्यक्रम को लागू करवाना भी मनोहर सरकार की प्राथमिकता रहेगी। प्रदूषण के मामले में जिस तरह सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख सामने आया है उससे भी मुख्यमंत्री मंत्रिमंडल का विस्तार की जल्द करना चाहते हैं। इसके अलावा मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने भी गुरुवार से ही राज्यभर में सरकार के विरोध में प्रदर्शन शुरू कर दिए हैं, इसलिए भी मंत्रिमंडल की दरकार सामने आ रही है । इसलिए मुख्यमंत्री आज भी नई दिल्ली में ही रहेंगे।

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रुका हुआ है सरकारी कामकाज का रूटीन

संबंधित विभागों के मंत्रियों द्वारा अभी तक पदभार नहीं संभालने के कारण हरियाणा के सरकारी कामकाज का रूटीन फिलहाल थमा हुआ है। उप मुख्यमंत्री के होते हुए भी सभी विभाग फि़लहाल मुख्यमंत्री के पद में ही समाहित हैं। उप मुख्यमंत्री ने भी विधानसभा सत्र के दौरान बिना विभाग के ही अपना कार्यभार संभाला है । सरकारी कामकाज भी नए मंत्रियों के शपथ ग्रहण नहीं करने से पूरी तरह रुका हुआ है।

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नए मंत्रियों को लेकर नहीं कोई असमंजस

मनोहर सरकार में नए मंत्रियों की संख्या या चेहरों को लेकर कोई असमंजस नहीं है मगर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की मुहर के बाद राज्य में नई सरकार का स्वरूप देखने को मिलेगा। जिन वरिष्ठ मंत्रियों को मंत्री बनाया जाना है उन्हें बेशक अनधिकृत रूप से सूचना दी जा चुकी है मगर वे भी तब तक समर्थकों के बीच ख़ुशी प्रकट नहीं कर सकते जब तक यह सूचना शपथ ग्रहण समारोह में तब्दील न हो जाए।

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