मांझी ने मोहन भागवत के बयान पर जतायी सहमति, कहा- आरक्षण की समीक्षा होनी चाहिए
पूर्व सीएम जीतनराम मांझी ने आरक्षण की समीक्षा की मांग की है। कहा कि जरूरतमंदों को आरक्षण का लाभ मिले, इसके लिए इसकी एक बार फिर समीक्षा की जरूरत है।
पटना [जागरण टीम]। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने कहा कि आरएसएस प्रमुख ने आरक्षण की समीक्षा को लेकर बीते दिनों जो बयान दिया था, उससे वे पूरी तरह सहमत हैं। उन्होंने कहा कि आरक्षण की निश्चित रूप से समीक्षा की जानी चाहिए, क्योंकि, यह वर्षों पुरानी बात है। एनडीए से अलग होकर चुनाव लडऩे की संभावनाओं को खारिज करते हुए कहा कि यह निराधार है। मांझी रविवार को ताजपुर में पत्रकारों के सवालों का जवाब दे रहे थे।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि जब कोई कार्य जनहित में नहीं होता है तो वे सरकार से सवाल करते हैं। मामला शिक्षकों से जुड़ा हो या फिर हज से या फिर चौकीदारों व गृह रक्षावाहिनी से जुड़ा हो। हम बराबर इनके पक्ष में आवाज उठाते रहते हैं।
मांझी ने कहा कि अपने मुख्यमंत्रित्व काल में उन्होंने 35 योजनाओं की अनुशंसा की थी। इनमें 21 योजनाओं को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रारंभ किया। वे अन्य योजनाएं शुरू कराने की मांग करते रहते हैं। इसका मतलब यह नहीं कि विरोध कर रहे। कहा कि वे पूरी तरह तरह एनडीए में हैं। वे रचनात्मक कार्य के लिए सरकार को प्रेरित करते रहते हैं।
उन्होंने केंद्रीय बजट को गरीबों के हित में बताते हुए कहा कि पहली बार किसी सरकार ने गरीबों के स्वास्थ्य के बारे में सोचा है।
बता दें कि इससे पहले शनिवार को पार्टी के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ की ओर से आयोजित मिलन समारोह के बाद मांझी ने कहा था कि अल्पसंख्यकों की भी बहुत सारी समस्याएं हैं। हमारी पार्टी गरीबों की मदद करने को संकल्पित है, भले ही वह किसी वर्ग का हो। सरकार में होने के बाद भी गरीबों की समस्याओं के सवाल पर धरना दिया था। लेकिन, हमारी पार्टी में महज एक विधायक है। ऐसे में सरकार पर कितना दबाव बना सकते हैं। 50 विधायक होने पर दलित, अल्पसंख्यक, अतिपिछड़ा और महिला की समस्याओं के खिलाफ सरकार पर कारगर दवाब बना सकेंगे।
क्या 50 सीट मिलने की उम्मीद है, सवाल पर मांझी ने कहा कि उससे ज्यादा सीट मिल सकती है। राजनीति में हमेशा ही संभावनाएं बनी रहती हैं।