फिर भाजपा के होंगे बाबूलाल, झारखंड की राजनीति में भारी उलटफेर के संकेत; JVM कार्यसमिति भंग
Babulal Marandi may join bjp अटकलों के मुताबिक पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी को भाजपा अपने विधायक दल का नेता चुन सकती है..
खास बातें
- झाविमो कार्यसमिति भंग, बाबूलाल के भाजपा में जाने की अटकलें
- जुड़ रहीं भाजपा और बाबूलाल मरांडी के भावी प्लान की कड़ियां
- महज संयोग तो नहीं खरमास का बहाना या मधुमास के संकेत
- झाविमो के 2 विधायक बंधु तिर्की और प्रदीप यादव शुरू से ही कांग्रेस के संपर्क में
रांची, राज्य ब्यूरो। यह महज संयोग हो सकता है या बातें इससे आगे भी जा सकती हैं। भाजपा और झारखंड विकास मोर्चा (झाविमो) के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी, दोनों के भावी कार्यक्रमों की कडिय़ां एक दूसरे से जुड़ती नजर आ रही हैं। रविवार को भाजपा विधायक दल की बैठक हुई, लेकिन नेता प्रतिपक्ष का चयन नहीं किया गया। नेता का चयन खरमास तक के लिए टाल दिया गया। इधर, बाबूलाल मरांडी ने अपनी पार्टी की कार्यसमिति को भंग कर दिया। खरमास बाद इस पर पुनर्विचार की बात कही। खरमास के संयोग से बाबूलाल के भाजपा में शामिल होने की अटकलों को बल मिलता नजर आ रहा है।
इधर, बाबूलाल के रुख को लेकर उनके दल के विधायक प्रदीप यादव और बंधु तिर्की भी पसोपेश में हैं। बाबूलाल ने कमेटी भंग की तो प्रदीप यादव ने सवाल उठाया कि ऐसा करना कोई जरूरी नहीं था। इन्हीं बातों से नाराज प्रदीप और बंधु के कांग्रेस में जाने की चर्चा भी जोरों पर है। वे कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के संपर्क में भी हैं।
भाजपा और बाबूलाल में एक दूसरे को लेकर नरमी इस कदर झलक रही है कि खरमास के बाद मधुमास के स्पष्ट संकेत नजर आने लगे हैं। राजनीतिक गलियारे में बाबूलाल की घर वापसी (भाजपा में वापसी) के दावे किए जाने लगे हैं। चर्चा सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं है, कहा यह भी जा रहा है कि पार्टी बाबूलाल को भाजपा विधायक दल के नेता के तौर पर प्रोजेक्ट करेगी। हालांकि, प्रत्यक्ष में भाजपा का कोई नेता इस बाबत टिप्पणी करने को राजी नहीं है। बाबूलाल मरांडी ने भी इसे सिरे से खारिज किया है। बोले, कई बार पहले भी मैं इस पर स्थिति स्पष्ट कर चुका हूं।
बाबूलाल ने हेमंत सरकार को दे रखा है समर्थन
बाबूलाल मरांडी के भाजपा में शामिल होने की अटकलें भले ही जोरों पर हो, लेकिन झाविमो प्रमुख का अब तक का रुख इसे खारिज करता नजर आता है। बाबूलाल ने खुद हेमंत सोरेन सरकार को अपनी पार्टी का समर्थन दे रखा है। महज दस दिन बाद वे अपने रुख से कैसे पलटेंगे यह बड़ा सवाल है।
जब आप लोग कयासों की ही बात कर रहें हैं, तो बेहतर है कि अध्यक्ष से बात करें। प्रदीप यादव, झाविमो विधायक।