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West bengal: बंगाल से राज्यसभा के लिए पांच सीटों पर आगामी अप्रैल में होगा चुनाव

बंगाल से राज्यसभा के लिए पांच सीटों पर आगामी अप्रैल में चुनाव होना है। इनमें चार सीटें सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के कब्जे था जबकि एक पर माकपा काबिज थी

By Preeti jhaEdited By: Published: Sat, 18 Jan 2020 08:35 AM (IST)Updated: Sat, 18 Jan 2020 08:35 AM (IST)
West bengal: बंगाल से राज्यसभा के लिए पांच सीटों पर आगामी अप्रैल में होगा चुनाव
West bengal: बंगाल से राज्यसभा के लिए पांच सीटों पर आगामी अप्रैल में होगा चुनाव

कोलकाता, राज्य ब्यूरो। बंगाल से राज्यसभा के लिए पांच सीटों पर आगामी अप्रैल में चुनाव होना है। इनमें चार सीटें सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के कब्जे था, जबकि एक पर माकपा काबिज थी। हालांकि माकपा ने दल विरोधी कार्य के चलते अपने राज्य सभा सदस्य ऋतब्रत बनर्जी को पार्टी से निकाल दिया था और ऋतब्रत ममता के खेमे में चले गए थे। यूं कहें तो कुल मिलाकर पांचों ही सीटें तृणमूल के पास ही थी।

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राज्यसभा सदस्य ऋतब्रत बनर्जी(माकपा से निष्कासित) और चार तृणमूल के केडी सिंह, अहमद हसन इमरान,जोगेन चौधरी व मनीष गुप्ता का कार्यकाल दो अप्रैल 2020 को समाप्त हो जाएगा।

राज्य विधानसभा में दलगत स्थिति ऐसी है कि अपने बलबूते माकपा या फिर कांग्रेस या भाजपा एक भी प्रत्याशी को नहीं जीता पाएंगे। क्योंकि, इस समय तृणमूल के पास विधायकों की संख्या 222 है। वहीं पूरे वाममोर्चा के विधायकों संख्या 30 के पार भी नहीं है।

यही हाल कांग्रेस की भी है। क्योंकि, वामममोर्चा और कांग्रेस के कई ऐसे विधायक हैं जो तृणमूल और भाजपा में शामिल हो चुके हैं। परंतु, वे वे गिनती में वाममोर्चा व कांग्रेस के विधायक ही माने जाते हैं। भाजपा के पास सात विधायक है। ऐसे में इस बार रास चुनाव में क्रास वोटिंग का डर काफी है। क्योंकि, चार सदस्यों को अकेले ही जिताने की शक्ति तृणमूल के पास है। हालांकि, पांचवें को लेकर लड़ाई हो सकती है। हालांकि चुनाव में अभी वक्त है आने वाले समय में क्या स्थिति होगी यह तो मार्च में पता चलेगा। 

जानकारी हो कि बंगाल से राज्यसभा के लिए पांच सीटों पर आगामी अप्रैल में चुनाव होना है। इनमें चार सीटें सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के कब्जे था, जबकि एक पर माकपा काबिज थी। हालांकि माकपा ने दल विरोधी कार्य के चलते अपने राज्य सभा सदस्य ऋतब्रत बनर्जी को पार्टी से निकाल दिया था और ऋतब्रत ममता के खेमे में चले गए थे। यूं कहें तो कुल मिलाकर पांचों ही सीटें तृणमूल के पास ही थी।


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