गरीब परिवारो के लिए बड़ी मुसीबत, शादियों पर होगी चुनाव आयोग की नजर
निर्वाचन आयोग ने 1,156 फ्लाइंग स्कावडस और 1,255 स्टैटिक सर्विलांस टीम को सक्रिय कर दिया है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। कर्नाटक में 12 मई को विधानसभा की 224 सीटों के लिए मतदान होना है, लिहाजा विधानसभा चुनाव के ऐलान के साथ ही राज्य में आचार संहिता लागू हो चुकी है। इसी को ध्यान में रखते हुए चुनाव आयोग अब उम्मीदवारों के खर्च पर नजर रखने के साथ ही, राज्य में चुनाव से पहले हो रही शादियों पर भी पैनी नजर बनाए हुए है।
निर्वाचन आयोग ने 1,156 फ्लाइंग स्कावडस और 1,255 स्टैटिक सर्विलांस टीम को सक्रिय कर दिया है। असल में कर्नाटक में अप्रैल और मई शादी के लिहाज से पीक सीजन होता है। जानकारी के अनुसार आयोग के अधिकारियों की खास तौर पर ऐसी शादियों पर निगाह है, जिनमें राजनेता और उनके समर्थक शामिल हो रहे हैं। कर्नाटक के एक चुनाव अधिकारी के अनुसार 'मैरिज और कम्युनिटी हाल चलाने वालों को हमसे ऐसी शादियों के बारे में पहले से इजाजत लेनी होगी, जिनमें नेता शामिल हो रहे हैं, साथ ही शादी का कार्ड भी उपलब्ध कराना होगा'।
बता दें कि अक्सर ऐसी शादियों में नेता अपने वोटरों को लुभाने के लिए मुफ्त उपहार भी बांटते रहे हैं। कई बार राजनेताओं की ओर से गरीब तबके के लोगों के लिए सामूहिक विवाह कार्यक्रम आयोजित कराए जाते हैं।
वहीं इसके चलते गरीबी रेखा से नीचे वाले परिवारों की शादी में नई मुसीबत खड़ी हो गई है। आयोग ने आचार संहिता की वजह से समाज कल्याण और अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के फंड जारी करने पर रोक लगा दी है। विभाग की ओर से गरीब परिवारों को बेटी की शादी के लिए 50 हजार से एक लाख रुपये मुहैया कराए जाते थे। इस योजना के तहत विधवा विवाह भी होते है।
तमाम दलों ने अपने उम्मीदवारों को ऐसे आयोजनों से दूरी बनाए रखने की सलाह दी है। असल में ऐसे मामलों में चुनाव आयोग के पर्यवेक्षक पार्टी में होने वाले खर्च को प्रत्याशी के चुनाव प्रचार खर्च में जोड़ देते हैं। विधानसभा चुनाव में एक उम्मीदवार के लिए खर्च की सीमा 27 लाख रुपये है।