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दो दशक में राजस्थान से आठ बड़े नेता पहुंचे राज्यसभा

Manmohan Singh. पिछले दो दशक में मनमोहन सिंह राष्ट्रीय स्तर के आठवें नेता हैं जो राजस्थान के मूल निवासी नहीं होने के बावजूद यहां से चुनकर राज्यसभा जा रहे हैं।

By Sachin MishraEdited By: Published: Sun, 18 Aug 2019 04:16 PM (IST)Updated: Sun, 18 Aug 2019 04:16 PM (IST)
दो दशक में राजस्थान से आठ बड़े नेता पहुंचे राज्यसभा
दो दशक में राजस्थान से आठ बड़े नेता पहुंचे राज्यसभा

जयपुर, मनीष गोधा। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का राजस्थान से राज्यसभा जाना लगभग तय हो गया है। पिछले दो दशक में मनमोहन सिंह राष्ट्रीय स्तर के आठवें नेता हैं, जो राजस्थान के मूल निवासी नहीं होने के बावजूद यहां से चुनकर राज्यसभा जा रहे हैं। राजस्थान में पिछले दो दशक से हर पांच साल में सरकार बदल रही है। इस दौरान तीन बार कांग्रेस की और दो बार भाजपा की सरकारें बनी हैं। 2008 को छोड़ दें तो जनता ने हर बार स्पष्ट बहुमत की सरकार बनाई है। इसी के चलते पिछले दो दशक में भाजपा और कांग्रेस को अपने राष्ट्रीय स्तर के नेताओं के लिए राजस्थान से राज्यसभा की सुरक्षित सीट मिल पाई है।

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वर्ष 1998 से अब तक बनी पांच सरकारों में राजस्थान से उद्योगपति आरपी गोयनका, पूर्व विदेश मंत्री आनंद शर्मा, राज्यसभा की पूर्व उपसभापति नजमा हेपतुल्ला, मौजूदा उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू, प्रसिद्ध वकील राम जेठमलानी, पूर्व मंत्री केजे अल्फोंस और पूर्व मंत्री विजय गोयल राज्यसभा जा चुके हैं। इस कड़ी में अब नया नाम पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का जुड़ गया है। उन्हें 19 अगस्त को नाम वापसी का समय समाप्त होने के बाद यहां से निर्वाचित घोषित कर दिया जाएगा। राजस्थान में राज्यसभा की 10 सीटें हैं। 1998 से पहले राजस्थान से राज्यसभा में ज्यादातर यहां के स्थानीय नेताओं को ही भेजा जाता रहा है, हालांकि उस समय भी प्रो. एमजीके मेनन जैसे कुछ बड़े नाम राजस्थान से राज्यसभा में गए हैं, लेकिन 1998 के बाद हर सरकार में राजस्थान से बाहर के बड़े नेताओं को राजस्थान से राज्यसभा की सदस्यता दिलाई गई है।

कांग्रेस के तीन और भाजपा के पांच बड़े नेता राजस्थान के नहीं होने के बावजूद यहां से राज्यसभा गए। कांग्रेस की बात करें तो 1998 के चुनाव में कांग्रेस ने 150 सीटों के बहुमत के साथ यहां सरकार बनाई। वर्ष 2000 में यहां से उद्योगपति आरपी गोयनका को कांग्रेस सदस्य के रूप में राज्यसभा भेजा गया। 2008 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस फिर से सत्ता में लौटी तो 2010 के राज्यसभा चुनाव में पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा यहां से राज्यसभा भेजे गए, जो मूलत: हिमाचल प्रदेश के रहने वाले हैं। 2009 में हालांकि कांग्रेस के पास स्पष्ट बहुमत नहीं था और इसने बसपा के सदस्यों के सहयोग से सरकार चलाई थी, लेकिन कांग्रेस और भाजपा की विधानसभा सीटों के बीच 18 का अंतर था इसलिए आनंद शर्मा को यहां से राज्यसभा में भेजने में ज्यादा परेशानी कांग्रेस को नहीं हुई।

अब 2018 में जब कांग्रेस फिर सत्ता में लौटी है तो पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह कांगे्रस सदस्य के रूप में ही राजस्थान से राज्यसभा में जा रहे हैं। इस बार कांग्रेस के पास स्पष्ट बहुमत है और निर्दलीय व बसपा को मिलाकर 119 सीटें कांग्रेस के खाते में हैं। भाजपा की बात करें तो दो दशक में भाजपा की दो बार सरकार बनी और दोनों बार पार्टी ने लगभग एकतरफा जीत हासिल की, इसलिए भाजपा को अपने नेताओं को राज्यसभा में भेजने में कोई मशक्कत नहीं करना पड़ी। वर्ष 2003 में पार्टी ने 120 सीटों के साथ सरकार बनाई। इसके बाद 2004 में हुए राज्यसभा चुनाव में राज्यसभा की उपसभापति रहीं नजमा हेपतुल्ला यहां से राज्यसभा भेजी गई।

वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी भी 2010 के चुनाव में भाजपा के टिकट पर ही राज्यसभा पहुंचे। उस समय हालांकि राजस्थान में भाजपा की सरकार नहीं थी, लेकिन समीकरण कुछ ऐसे बने कि वे जीतने में कामयाब रहे। वर्ष 2013 में भाजपा ने 163 सीटों के प्रचंड बहुमत से सरकार बनाई। इसके बाद 2014 के चुनाव में दिल्ली के विजय गोयल राजस्थान से राज्यसभा भेजे गए जो केंद्रीय मंत्री भी रहे। फिर 2016 में एम. वेंकैया नायडू यहां से राज्यसभा गए, हालांकि एक वर्ष बाद ही उन्हें उपराष्ट्रपति बना दिया गया।

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