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Exclusive Interview : डॉ. रामविलासदास वेदांती ने कहा, कम से कम दो सौ एकड़ भूमि पर बने रामलला का भव्य मंदिर

रामजन्मभूमि न्यास के वरिष्ठ सदस्य एवं पूर्व सांसद डॉ. रामविलासदास वेदांती की कल्पना का अयोध्या में राममंदिर प्रस्तावित मॉडल से बहुत बड़ा है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Wed, 13 Nov 2019 09:40 AM (IST)Updated: Thu, 14 Nov 2019 09:39 AM (IST)
Exclusive Interview : डॉ. रामविलासदास वेदांती ने कहा, कम से कम दो सौ एकड़ भूमि पर बने रामलला का भव्य मंदिर
Exclusive Interview : डॉ. रामविलासदास वेदांती ने कहा, कम से कम दो सौ एकड़ भूमि पर बने रामलला का भव्य मंदिर

अयोध्या [रमाशरण अवस्थी]। फैसला आने के बाद रामलला के भव्य मंदिर निर्माण की परिकल्पना परवान चढ़ती जा रही है। यह परिकल्पना इतनी प्रबल हो चुकी है कि रामजन्मभूमि न्यास की ओर से प्रस्तावित मानचित्र बौना नजर आने लगा है। यह महसूस करने वालों में स्वयं न्यास के ही लोग शामिल हैं। रामजन्मभूमि न्यास के वरिष्ठ सदस्य एवं पूर्व सांसद डॉ. रामविलास दास वेदांती की भी कल्पना का राममंदिर प्रस्तावित मॉडल से बहुत बड़ा है।

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डॉ. रामविलास दास वेदांती को राममंदिर से सरोकार विरासत में मिला। 1968 में उन्होंने हनुमानगढ़ी के जिन गुरु अभिरामदास के मार्गदर्शन में साधु जीवन अंगीकार किया, वे 22-23 दिसंबर 1949 की रात विवादित ढांचे के नीचे रामजन्मभूमि पर रामलला के प्राकट्य प्रसंग की केंद्रीय भूमिका में थे। हनुमानगढ़ी स्थित गुरु आश्रम में रहने की शुरुआत के साथ वेदांती को रामलला की सेवा-पूजा का अवसर मिला। कालांतर में वे इस अवसर से वंचित हुए, तो मंदिर आंदोलन की अगुआई कर उन्होंने रामलला से सरोकार अर्पित किया। 1984 में रामजन्मभूमि मुक्ति का संकल्प लेने से पूर्व विहिप ने राम-जानकी रथयात्राएं निकालीं, तो इन यात्राओं को कामयाब बनाने का दायित्व वेदांती ने संभाला।

इसके बाद वह राममंदिर के लिए 25 बार जेल गए। मंदिर निर्माण के लिए शिलान्यास, कारसेवा और ढांचा ध्वंस के समय भी वे आंदोलन के नायक की भूमिका में रहे। ढांचा ध्वंस के मामले में वे आरोपी भी हैं। हालांकि इस सक्रियता का उन्हें पुरस्कार भी मिला। 1996 और 98 में लगातार दो बार लोकसभा सदस्य चुने गए वेदांती की गिनती मंदिर के लिए मुखर रहने वाले चुनिंदा नेताओं में होती है। रामलला के हक में सुप्रीमकोर्ट का फैसला आने के बाद 'दैनिक जागरण ने उनसे मंदिर निर्माण सहित अन्य आयामों में निकट भविष्य की संभावनाओं पर विस्तार से बातचीत की, जो इस प्रकार है-

सवाल : आपने मंदिर निर्माण के लिए पूरी शक्ति-सामर्थ्य अर्पित की, अब रामलला के हक में फैसला आने के बाद कैसा लग रहा है?

जवाब : यह अवसर अत्यंत गौरव का है। यह अवसर मुझ जैसे आंदोलनकारी रामभक्त को ही नहीं, दुनिया के करोड़ों-करोड़ रामभक्तों और इस देश की संस्कृति-संविधान में भरोसा करने वाले सभी देशवासियों को गौरवान्वित करने वाला है।

सवाल : मंदिर निर्माण को लेकर क्या तैयारी है?

जवाब : मंदिर निर्माण तो शासकीय न्यास को करना है। हां, हम यह जरूर अपेक्षा करते हैं कि शासकीय न्यास का गठन न्यायसंगत और रामजन्मभूमि पर बनने वाले मंदिर की मर्यादा के अनुरूप हो तथा रामलला का बनने वाला मंदिर दुनिया का भव्यतम हो।

सवाल : आपकी दृष्टि में शासकीय न्यास के न्यायसंगत और मर्यादा के अनुरूप गठन का क्या स्वरूप है?

जवाब : जैसा कि सोमवार को ही विहिप के केंद्रीय उपाध्यक्ष चंपत राय ने स्पष्ट किया है कि शासकीय न्यास बद्रीनाथ मंदिर की तर्ज पर गठित हो। हालांकि, इसमें शीर्ष धर्माचार्यों और मंदिर आंदोलन से जुड़े प्रतिनिधियों को भी शामिल किया जाना चाहिए। इसकी पवित्रता-पारदर्शिता सुनिश्चित रखने के लिए शासन के नुमाइंदों और प्रशासनिक अधिकारियों को न्यास से अलग रखा जाना चाहिए।

सवाल : आपकी यह ख्वाहिश स्वाभाविक है कि रामलला का मंदिर भव्यतम हो पर इसका कोई मानक है?

जवाब : मैंने अनेक भव्य मंदिर देखे हैं। सोमनाथ और अक्षरधाम मंदिर भव्यता की नजीर भी हैं पर हाल ही में गुजरात के मांडवी में जैन धर्मावलंबियों के जिस शंखेश्वर मंदिर को देखने का अवसर मिला, उसकी बात ही निराली है। मेरी चाहत है कि श्वेत संगमरमर से दो सौ एकड़ में विस्तृत शंखेश्वर मंदिर को ध्यान में रखकर रामलला का मंदिर बने और वह शंखेश्वर मंदिर से भी भव्य हो।

सवाल : मंदिर के लिए फिलहाल 70 एकड़ का ही परिसर सुलभ है, ऐसे में दौ सौ एकड़ भूमि की उपलब्धता कैसे संभव है?

जवाब : कुछ पौराणिक स्थलों और प्रमुख मंदिरों को सलामत रखते हुए आस-पास की भूमि अधिग्रहीत कर दो सौ एकड़ की जरूरत पूरी की जा सकती है।

सवाल : आप भव्यतम मंदिर की कल्पना कर रहे हैं, जबकि रामजन्मभूमि न्यास ने जो मंदिर प्रस्तावित कर रखा है, वह 268 फीट लंबा, 140 फीट चौड़ा और 128 फीट ऊंचा है और यह परिकल्पित भव्यता के आगे नहीं ठहरता। ऐसे में प्रस्तावित मंदिर के उस मॉडल का क्या होगा, जिसे देखकर रामभक्त मंदिर निर्माण का सपना बुनते रहे हैं?

जवाब : मैं स्वयं इसी मॉडल के आधार पर दशकों से मंदिर निर्माण का स्वप्न देखता रहा हूं पर आज जब मंदिर निर्माण का अवसर मिला है, तो इस अवसर का उपयोग दुनिया के भव्यतम राम मंदिर निर्माण के रूप में होना चाहिए। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि रामजन्मभूमि धार्मिक-आध्यात्मिक-सांस्कृतिक अस्मिता का कितना बड़ा केंद्र है और इसकी मुक्ति के लिए सदियों तक संघर्ष चला।

सवाल : कोर्ट ने मस्जिद के लिए जमीन देने का आदेश दिया है, उसे आप किस रूप में स्वीकार कर रहे हैं?

जवाब : हम इस आदेश का भी स्वागत करते हैं। यह तय है कि मस्जिद का नाम बाबर के नाम पर नहीं होगा, तो उसे अयोध्या जिला की सीमा में उचित स्थान देखकर निर्मित कराया जाय।

सवाल : निर्माण के दौरान जन्मभूमि पर विराजे रामलला की पूजा-अर्चना में व्यवधान पैदा होगा। फैसले के बाद रामलला को उपेक्षा के परिचायक टेंट के अस्थायी मंदिर से हटाकर वैकल्पिक मंदिर में स्थापित करने की मांग होने लगी है। इस मांग पर आपका क्या विचार है?

जवाब : हां, यह होना ही चाहिए। ऐसी परिस्थिति में रामलला को कुछ समय के लिए समुचित स्थान पर स्थापित किए जाने की व्यवस्था होनी चाहिए।


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