Dr Ambedkar Jayanti : लॉकडाउन में पलायन करने वाले 90 फीसदी दलित, सरकारों ने की अनदेखी : मायावती
Dr Ambedkar Jayanti बसपा मुखिया मायावती ने बाबा साहेब भीमराव आम्बेडकर की 129वीं जयंती पर अपने आवास पर उनको नमन किया।
लखनऊ, जेएनएन। संविधान निर्माता बाबा साहेब डॉ. भीमराव आम्बेडकर की जयंती पर बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने उनको नमन किया। इसके बाद उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस के संक्रमण में लॉकडाउन के दौरान राज्य सरकारों ने दलितों और गरीबों की उपेक्षा की। इनके लिए कोई व्यवस्था नहीं की है।
बसपा मुखिया मायावती ने बाबा साहेब भीमराव आम्बेडकर की 129वीं जयंती पर अपने आवास पर उनको नमन किया। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस को लेकर से देश भर में लागू लॉकडाउन की वजह से दलितों और अति पिछड़ों की स्थिति और दयनीय हो गई। इसी कारण देश के कई हिस्सों से लोग पलायन करने को मजबूर हो गए हैं। उन्होंने कहा कि पलायन करने वालों में 90 फीसदी दलित और अति पिछड़े थे। बसपा सुप्रीमो मायवती ने डॉ. बीआर अंबेडकर की जयंती पर कहा कि बीएसपी और उनके अनुयायिसों की ओर से मैं उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करती हूं। उन्होंने कहा कि डॉ. बीआर अंबेडकर ने अपना सारा जीवन ये सुनिश्चित करने में बिताया कि दलित, आदिवासियों और अन्य हाशिए के समुदाय स्वाभिमान के साथ रहते हैं। सरकार को गरीबों, मजदूरों, किसानों और अन्य मजदूर वर्ग के हितों को ध्यान में रखना चाहिए और तालाबंदी के दौरान उन्हें मदद प्रदान करनी चाहिए।
केजरीवाल सरकार पर हमला
मायावती ने कहा कि अगर इन वर्गों की सरकार सत्ता में नहीं होगी तो इनकी दुर्दशा ऐसे ही बनी रहेगी। उन्होंने कहा कि दिल्ली के विधानसभा चुनाव में भी ऐसा ही कुछ देखने को मिला। जहां आम आदमी पार्टी ने इन्हें प्रलोभन देकर वोट तो लिया लेकिन लॉकडाउन के दौरान पलायन करने से भी नहीं रोका, बल्कि बसों से बॉर्डर तक छोड़ आए।
लॉकडाउन में दलित व गरीब की उपेक्षा
मायावती ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान राज्य सरकारों ने दलितों और गरीबों की उपेक्षा की गई। सरकारों ने इनके लिए कोई व्यवस्था नहीं की। इस वजह से इन सभी ने पलायन कर अपने अपने घरों की ओर जाना उचित समझा। इसके बाद सरकारों ने उन्हें ट्रक व बसों से शेल्टर होम पहुंचाया। उन्होंने कहा कि कोरोना की वजह से दलितों और गरीबों की स्थिति दयनीय हो गई है।
केंद्र सरकार से की अपील
मायावती ने केंद्र सरकार से अपील की है कि लॉकडाउन के दौरान मजदूरों का ख्याल रखे। मायावती ने कहा कि आज भी जातिवादी मानसिकता पूरी तरह से नहीं बदली है। आज यह बात मुझे बड़े दुख के साथ इसलिए भी कहनी पड़ रही है, क्योंकि जैसे ही कोरोना वायरस महामारी अपने देश में फैली और केंद्र सरकार ने इसे फैलने से रोकने के लिए लॉकडाउन की घोषणा की। उसके बाद दिल्ली समेत यूपी, मध्य प्रदेश, राजस्थान और अन्य राज्यों में रोजी-रोटी कमाने के लिए गए लोगों ने अपने मालिकों व राज्य सरकारों की उपेक्षा देखी। मजबूरी में यह लोग अपने घरों के लिए पलायन करने लगे।
राज्य सरकारें संवेदनहीन
पलायन करने वाले लगभग 90 फीसदी दलित, आदिवासी व अति पिछड़े वर्ग से थे। दस प्रतिशत समाज के अन्य वर्गों के गरीब लोग थे। जब यह लोग अपने-अपने घरों के लिए जा रहे थे तो उन-उन राज्यों की सरकारों ने जातिवादी व हीन भावना के चलते बॉर्डर तक छोड़ दिया। खराब हालात में भी सरकारों ने उन्हें नहीं रोका। उनकी रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने की कोशिश भी नहीं की गई। जिसकी वजह से इन लोगों को काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ा।
बाबा साहेब की बात न मानने का खामियाजा
मायावती ने कहा कि यह लोग जब पैदल ही घरों की ओर निकले तो राज्य सरकारों को कोरोना फैलने की चिंता सताई। इसके बाद मजबूरी में सरकारों को ट्रकों व बसों से उनके स्थानों तक भेजवाना पड़ा। मायावती ने कहा कि यदि इन लोगों ने स्वाभिमान के साथ खुद अपने पैरों पर खड़े होने के लिए बाबा साहेब की बात मानी होती और लोग अगर जातिवादी और पूंजीवादी लोगों के बहकावे में नहीं आए होते तो आज हमें पूरे देश में फैली महामारी के दौरान इनकी ऐसी खराब व दयनीय स्थिति नहीं होती।