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Rajya Sabha Election 2020: तृणमूल के दो उम्मीदवारों दिनेश त्रिवेदी व सुब्रत बक्शी ने दाखिल किया नामांकन

Rajya Sabha Election 2020. तृणमूल कांग्रेस उम्मीदवार दिनेश त्रिवेदी व सुब्रत बक्शी ने राज्य विधानसभा में नामांकन दाखिल किया।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Wed, 11 Mar 2020 07:43 PM (IST)Updated: Wed, 11 Mar 2020 07:43 PM (IST)
Rajya Sabha Election 2020: तृणमूल के दो उम्मीदवारों दिनेश त्रिवेदी व सुब्रत बक्शी ने दाखिल किया नामांकन
Rajya Sabha Election 2020: तृणमूल के दो उम्मीदवारों दिनेश त्रिवेदी व सुब्रत बक्शी ने दाखिल किया नामांकन

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। Rajya Sabha Election 2020. बंगाल से राज्यसभा की सीटों के लिए तृणमूल कांग्रेस उम्मीदवार दिनेश त्रिवेदी व सुब्रत बक्शी ने बुधवार को राज्य विधानसभा में नामांकन दाखिल किया। गुरुवार को तृणमूल की दो अन्य उम्मीदवार अर्पिता घोष व मौसम बेनजीर नूर भी पर्चा भरेंगी। वहीं, वाममोर्चा व कांग्रेस के संयुक्त उम्मीदवार माकपा के विकास रंजन भट्टाचार्य भी गुरुवार को नामांकन दाखिल करेंगे।

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गौरतलब है कि दिनेश त्रिवेदी बैरकपुर लोकसभा सीट से दो बार सांसद रहे हैं। सुब्रत बक्शी भी कोलकाता दक्षिण से सांसद रहे हैं। अर्पिता घोष भी बालुरघाट से सांसद रही हैं जबकि मौसम बेनजीर नूर कांग्रेस छोड़कर तृणमूल में शामिल हुई हैं। दूसरी ओर विकास रंजन भट्टाचार्य पिछले लोकसभा चुनाव में जादवपुर सीट से वामो प्रत्याशी थे। उन्हें तृणमूल की मिमी चक्रवर्ती से शिकस्त झेलनी पड़ी थी। विकास रंजन भट्टाचार्य को रास उम्मीदवार बनाने पर माकपा पोलितब्यूरो ने मुहर लगाई है।

पहले उम्मीदवार के तौर पर माकपा के राष्ट्रीय सचिव सीताराम येचुरी के नाम की चर्चा थी। राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक बंगाल से रास की पांचवीं सीट से विकास रंजन भट्टाचार्य का रास पहुंचना तय माना जा रहा है क्योंकि चार सीटें सुनिश्चित करने के बाद तृणमूल के लिए अपने बूते पांचवीं सीट पर कब्जा जमाना आसान नहीं होगा। उसे अन्य दलों के कम से कम 24-25 विधायकों के समर्थन की जरुरत पड़ेगी, जो फिलहाल संभव नहीं दिख रहा।

नामांकन दाखिल करने के बाद सुब्रत ने कहा-'पार्टी सुप्रीमो ममता बनर्जी के निर्देश पर मैंने नामांकन दाखिल किया है। वे दिल्ली से बंगाल के लिए जो भी काम देंगी, पूरी निष्ठा से करूंगा।'

नामांकन दाखिल करने के समय सुब्रत-दिनेश के साथ राज्य के खेल मंत्री अरूप विश्वास व संसदीय मंत्री तापस राय भी मौजूद थे।

दिनेश त्रिवेदी

पूर्व रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी तृणमूल के संस्थापक सदस्यों में एक हैं। उन्होंने 1980 में कांग्रेस से अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत की थी। 1990 में वे जनता दल में चले गए। फिर 1998 में ममता द्वारा तृणमूल कांग्रेस की स्थापना के समय उनके साथ जुड़ गए और पार्टी के पहले महासचिव बने। 69 वर्षीय त्रिवेदी जुलाई 2011 से मार्च 2012 तक मनमोहन सिंह सरकार में रेल मंत्री रहे। तृणमूल के वरिष्ठ नेता त्रिवेदी कोलकाता से सटे बैरकपुर लोकसभा सीट से दो बार लोकसभा सांसद (2009-14 व 2014-19) रहे हैं। हालांकि इस बार करीब 14 हजार वोटों के अंतर से उन्हें भाजपा उम्मीदवार अर्जुन सिंह के हाथों हार का मुंह देखना पड़ा। वे दो बार राज्यसभा सदस्य (1990-96 और 2002-2008) भी रह चुके हैं। उन्हें 2016-17 में सर्वश्रेष्ठ सांसद का भी अवार्ड मिल चुका है।

त्रिवेदी ने कोलकाता के सेंट जेवियर्स कॉलेज से वाणिज्य में स्नातक किया है। इससे पहले उन्होंने हिमाचल के बोर्डिग स्कूलों में शिक्षा पाई। स्नातक के बाद उन्होंने 20 हजार रुपये कर्ज लिए और टेक्सास विश्र्वविद्यालय से एमबीए की पढ़ाई की। 1974 में एमबीए करने के बाद भारत लौटने से पहले उन्होंने दो सालों तक शिकागो में डेटेक्स कंपनी में काम किया। भारतीय वायुसेना के विमानों को उड़ाने की इच्छा लेकर उन्होंने पायलट की भी ट्रेनिंग ली। उन्होंने सितार बजाने की भी शिक्षा ली। एक समय स्वामी विवेकानंद की तस्वीर देखकर उन्होंने संन्यासी बनने का फैसला कर लिया, लेकिन परिवार और शिकागो में एक स्वामी की सलाह के बाद उन्होंने यह विचार छोड़ दिया। दिनेश गुजराती दंपत्ति हीरालाल और उर्मिला की सबसे छोटा संतान हैं, जो भारत विभाजन के समय कराची, पाकिस्तान से आए थे। दिल्ली आने से पहले उनके माता-पिता कई जगहों पर भटकते रहे। उनके पिता कोलकाता की एक कंपनी में काम करते थे।

सुब्रत बख्शी

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के सबसे भरोसेमंद नेताओं में शामिल सुब्रत बख्शी तृणमूल के राष्ट्रीय महासचिव व राज्य अध्यक्ष हैं। 69 वर्षीय बख्शी 2011 में तृणमूल की पहली बार सरकार बनने पर बंगाल के पीडब्ल्यूडी व परिवहन मंत्री भी रह चुके हैं। हालांकि करीब सात महीने ही वे मंत्री रहे। इसके बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा दक्षिण कोलकाता लोकसभा सीट से इस्तीफे के बाद दिसंबर 2011 में हुए उपचुनाव में बख्शी 2.30 लाख वोटों से जीत दर्ज कर पहली बार लोकसभा पहुंचे। फिर 2014 के लोकसभा चुनाव में भी उन्होंने इस सीट से जीत दर्ज की। हालांकि 2019 का चुनाव उन्होंने खुद ही लड़ने से मना किया था। इसके बाद उनकी जगह पार्टी ने इस सीट से माला राय को टिकट दिया। बख्शी ज्यादातर पार्टी संगठन का काम देखते हैं। वह तीन बार विधायक भी रह चुके हैं।

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