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केजरीवाल सरकार पर सख्त हुआ दिल्ली HC, कहा- दिल्ली सिर्फ दिल्लीवालों की नहीं

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने फैसले में टिप्पणी की थी कि देश की राजधानी सिर्फ देश का एक हिस्सा नहीं है, बल्कि छोटा भारत है।

By JP YadavEdited By: Published: Sat, 13 Oct 2018 10:18 AM (IST)Updated: Sat, 13 Oct 2018 10:19 AM (IST)
केजरीवाल सरकार पर सख्त हुआ दिल्ली HC, कहा- दिल्ली सिर्फ दिल्लीवालों की नहीं
केजरीवाल सरकार पर सख्त हुआ दिल्ली HC, कहा- दिल्ली सिर्फ दिल्लीवालों की नहीं

नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। गुरु तेग बहादुर अस्पताल में इलाज को लेकर दिल्ली सरकार के आदेश को खारिज करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट की मुख्य पीठ ने स्पष्ट किया है कि दिल्ली सिर्फ दिल्लीवालों की नहीं है। मुख्य न्यायमूर्ति राजेंद्र मेनन व न्यायमूर्ति वीके राव की पीठ ने कहा कि दिल्ली को राजधानी के तौर पर दिए गए विशेष दर्जे के तहत इसे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के नाम से जाना जाता है।

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पीठ ने दिल्ली को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा जगदीश सरन बनाम भारत सरकार के 1980 और हाल ही में बीर सिंह बनाम दिल्ली जल बोर्ड के मामले में की गई टिप्पणी को फैसले का आधार बनाया। सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने फैसले में टिप्पणी की थी कि देश की राजधानी सिर्फ देश का एक हिस्सा नहीं है, बल्कि छोटा भारत है। कई बार संस्कृति, शिक्षा, क्षेत्र व अल्पसंख्यक विभाग का प्रशासन इस तथ्य को भूल जाता है।

हाई कोर्ट की मुख्य पीठ ने कहा कि अगर हम राज्य सरकार द्वारा वोटर आइकार्ड धारक को विशेष लाभ देने की दलील को देखें तो कानूनी रूप से हमारा विचार यही है कि दिल्ली सरकार के आदेश को बरकरार नहीं रखा जा सकता।

पीठ ने कहा कि जहां तक वोटर कार्ड के आधार पर दो मरीजों की दो श्रेणी के वर्गीकरण का है तो अदालत के सामने कोई भी तर्कसंगत स्पष्टीकरण नहीं आया है। पीठ ने कहा कि सुनवाई के दौरान यह बताने की कोशिश की गई कि दिल्ली के आसपास के गांवों से लोग इलाज के लिए अस्पताल आते हैं और इसे रोका जाना चाहिए।

इस तर्क पर पीठ ने संविधान के अनुच्छेद-14 के तहत दिए गए प्रावधान का हवाला देते हुए कहा कि प्रत्येक नागरिक को समानता का अधिकार दिया गया है और अनुच्छेद-15 के तहत किसी भी नागरिक को उसके जन्मस्थान के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता।

प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि केजरीवाल ने केंद्र सरकार की ओर से दी जाने वाली आयुष्मान भारत योजना को दिल्ली में बाधित करने का काम किया, जिससे यहां की गरीब जनता को कल्याणकारी स्वास्थ्य योजनाओं का लाभ नहीं मिल सका। उन्होंने कहा कि दिल्ली में केजरीवाल का भेदभाव वाला कानून नहीं चलेगा।

वहीं, दिल्ली विधानसभा में प्रतिपक्ष नेता विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि हाई कोर्ट का फैसला केजरीवाल सरकार के लिए सीख है। केजरीवाल तुगलकी आदेश देने के स्थान पर उन अधिनियमों और योजनाओं को लागू करने पर ध्यान केंद्रित करें जो दिल्लीवासियों के स्वास्थ्य के क्षेत्र में ‘गेम चेंजर’ साबित हो सकती हैं।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन ने कहा कि दिल्ली में सरकारी और निजी सभी अस्पतालों में करीब 50 हजार बिस्तर हैं। इनमें से दिल्ली सरकार के अस्पतालों में 10,145, केंद्र सरकार के सुपर स्पेशलियटी अस्पतालों में करीब 11 हजार बिस्तर हैं। माकन ने आरोप लगाया कि पिछले करीब चार साल में आप सरकार एक भी नया अस्पताल नहीं बना पाई है। बिस्तरों की संख्या भी उतनी ही है। ऐसे में इस सरकार को चाहिए कि स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार करे न कि ऐसे उल-जुलूल नियम बनाए। हर समय कामचोरी और राजनीति न करती रहे।


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