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DefExpo2020: अफ्रीका से भारत के रिश्ते गहराने का गवाह बना लखनऊ, शांति-सुरक्षा-रक्षा क्षेत्रों में करेंगे सहयोग

इंडिया अफ्रीका डिफेंस मिनिस्टर्स कॉन्कलेव में भारत और अफ्रीकी देशों ने शांति सुरक्षा और रक्षा के क्षेत्र में परस्पर सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए लखनऊ घोषणापत्र को अंगीकार किया।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Fri, 07 Feb 2020 12:01 AM (IST)Updated: Fri, 07 Feb 2020 07:23 AM (IST)
DefExpo2020: अफ्रीका से भारत के रिश्ते गहराने का गवाह बना लखनऊ, शांति-सुरक्षा-रक्षा क्षेत्रों में करेंगे सहयोग
DefExpo2020: अफ्रीका से भारत के रिश्ते गहराने का गवाह बना लखनऊ, शांति-सुरक्षा-रक्षा क्षेत्रों में करेंगे सहयोग

लखनऊ [राजीव दीक्षित]। DefExpo2020: लखनऊ की सरजमीं गुरुवार को भारत और अफ्रीका के संबंधों में नया अध्याय जुड़ने की गवाह बनी। डिफेंस एक्सपो 2020 के तहत पहली बार आयोजित इंडिया अफ्रीका डिफेंस मिनिस्टर्स कॉन्कलेव में भारत और अफ्रीकी देशों ने शांति, सुरक्षा और रक्षा के क्षेत्र में परस्पर सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए लखनऊ घोषणापत्र को अंगीकार किया। इस मौके पर अफ्रीका के 54 में से 38 देशों के 154 प्रतिनिधि मौजूद थे। इनमें 12 देशों के रक्षा मंत्री, 19 सेना प्रमुख, आठ परमानेंट सेक्रेट्री डिफेंस और एक सांसद शामिल थे। हालांकि रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि लखनऊ घोषणापत्र पर अफ्रीका के सभी देशों की सहमति हासिल की जा चुकी है। 

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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में अंगीकार किये गए इस घोषणापत्र में भारत और अफ्रीकी देशों ने शांति और सुरक्षा के क्षेत्रों में अपनी साझेदारी को जारी रखने पर सहमति जतायी। वहीं रक्षा क्षेत्र में निवेश के माध्यम से रक्षा उपकरणों के संयुक्त उपक्रम लगाने, साफ्टवेयर, डिजिटल डिफेंस, अनुसंधान और विकास, रक्षा उपकरणों और उनके कलपुर्जों के रखरखाव में समन्वय स्थापित करने पर भी दोनों पक्ष रजामंद हुए।

दोनों पक्षों ने आतंकवाद, समुद्री डकैती तथा मानव, मादक पदार्थों व हथियारों की तस्करी की बढ़ती चुनौतियों की कड़े शब्दों में निंदा की और आतंकवाद और उसके ठिकानों को खत्म करने का आह्वान किया। सभी देशों से यह भी सुनिश्चित करने के लिए कहा कि उनकी जमीन का इस्तेमाल दूसरे देशों में आतंकवादी हमले करने के लिए न किया जाए। आतंकवाद व उसके विभिन्न स्वरूपों से निपटने के लिए भी भारत-अफ्रीका के बीच सहयोग व समन्वय बढ़ाने पर जोर दिया गया।

नीली अर्थव्यवस्था के लिए समुद्री सुरक्षा की महत्ता को रेखांकित करते हुए दोनों पक्षों ने सूचनाओं के आदान-प्रदान और बेहतर निगरानी तंत्र के जरिये समुद्री संचार व्यवस्था की सुरक्षा, समुद्री डकैतियों और गैरकानूनी तरीके से मछली पकड़ने की घटनाओं पर अंकुश लगाने का भी वादा किया। यह भी प्रस्ताव किया गया कि भविष्य में भारत और अफ्रीकी देशों के रक्षा मंत्री नियमित तौर पर मिलते रहेंगे।

कॉन्क्लेव को संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह ने साफ संकेत दिये कि भारत अफ्रीकी देशों के साथ रक्षा सौदों को लेकर आगे बढ़ने के लिए पूरी तरह से तैयार है। भारत कोशिश करेगा दोनों पक्ष पारस्परिक सहयोग से एक दूसरे की सैन्य क्षमता को मजबूत करने में सहयोग दें। भारत और अफ्रीका के बीच समझौतों की बुनियाद में अफ्रीकी देशों की आवश्यकताएं होंगी। आतंकवाद से निपटने, उग्रवाद से लड़ने और साइबर स्पेस को सुरक्षित बनाने तथा विश्व शांति कायम करने में भी हर संभव मदद देगा।

रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत अफ्रीकी देशों को समुद्र की निगरानी के लिए जहाज, मानवरहित एरियल व्हीकल, डॉर्नियर एयरक्राफ्ट, रात्रि दृश्य देखने वाले चश्में, हथियार और गोला बारूद आदि उपलब्ध कराने के लिए पूरी तरह से तैयार है। अफ्रीकी देशों द्वारा महसूस की जा रहीं चुनौतियों से निपटने के लिए उन्होंने रक्षा क्षेत्र में भारत में विकसित की गईं नई तकनीकें साझा करने की पेशकश की।

इस मौके पर रक्षा राज्य मंत्री श्रीपद नाइक, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत, भारत की तीनों सेनाओं के प्रमुख, रक्षा सचिव डॉ.अजय कुमार तथा रक्षा और विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।


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