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रूपकंवर सती मामला: 32 साल चली सुनवाई, देश में पहली बार बना था सती निवारण कानून व कोर्ट

राजस्थान ही नहीं पूरे देश के चर्चित 32 साल पुराने रूप कंवर सती प्रकरण का फैसला मंगलवार को नहीं सुनाया जा सका। आजादी के बाद सती के 29 केस सामने आए

By Preeti jhaEdited By: Published: Tue, 03 Sep 2019 01:53 PM (IST)Updated: Tue, 03 Sep 2019 03:25 PM (IST)
रूपकंवर सती मामला: 32 साल चली सुनवाई, देश में पहली बार बना था सती निवारण कानून व कोर्ट
रूपकंवर सती मामला: 32 साल चली सुनवाई, देश में पहली बार बना था सती निवारण कानून व कोर्ट

जयपुर, जागरण संवाददाता। राजस्थान ही नहीं पूरे देश के चर्चित 32 साल पुराने रूप कंवर सती प्रकरण का फैसला मंगलवार को नहीं सुनाया जा सका। जयपुर की सती निवारण कोर्ट मंगलवार को इस मामले में अपना फैसला सुनाने वाली थी,लेकिन जज पुरूषोत्तम लाल सैनी ने सुनवाई टाल दी है।

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अभियोजन पक्ष की प्रार्थना पर सुनवाई टाली गई है। अब अगली तारीख पर फैसला सुनाया जाएगा। इस मामले में 39 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया था। इनमें से कुछ लोगों की मौत हो गई,11 लोग बरी हो गए और 8 लोगों के खिलाफ मंगलवार को फैसला सुनाया जाने वाला था।

लगातार 32 साल तक चली सुनवाई के दौरान राजस्थान सरकार के वकीलों और आरोपितों के बीच बहस पूरी हो चुकी है। मंगलवार को फैसला आने की उम्मीद के चलते राजपूत समाज के लोग बड़ी संख्या में कोर्ट पहुंचे,लेकिन सुनवाई टाले जाने के बाद वे वापस लौट गए। आजादी के बाद राजस्थान में सती के कुल 29 मामले सामने आए थे,इनमें रूपकंवर का प्रकरण अंतिम था।

रूप कंवर सती प्रकरण के कारण प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश की बदनामी हुई थी। इस प्रकरण की पूरे देश में चर्चा हुई थी और इसी के कारण सती निवारण कानून बनाया गया था। सती मामले की सुनवाई के लिए तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने जयपुर में विशेष कोर्ट बनाई थी। देशभर के राजपूत नेताओं ने सती प्रकरण का समर्थन किया था,लेकिन राज्य विधानसभा में तत्कालीन विपक्ष के नेता स्व.भैरोंसिंह शेखावत ने इस का विरोध करते हुए कानून बनाने की मांग की थी। हालांकि उस समय भैरोंसिंह शेखावत को राजपूत समाज का विरोध झेलना पड़ा था।

यह है पूरा मामला

राजस्थान में सीकर जिले के दिवराला गांव में करीब 32 साल पहले साल 1987 में सती की घटना हुई थी। जयपुर की रूप कंवर की दिवराला निवासी माल सिंह शेखावत के साथ 1987 में विवाह हुआ था। विवाह के 7 माह बाद गंभीर बीमारी से माल सिंह की मौत हो गई थी।

बताया जाता है कि पति के निधन के बाद रूप कंवर (18) ने सती होने की इच्छा जताई और 4 सितंबर,1987 को वह सती हो गई। इस घटना के बाद ग्रामीणों एवं राजपूत समाज के लोगों ने रूप कंवर को सती मां का दर्जा दिया और वहां मंदिर बनवाया। वहां पर बड़ी चुनरी का महोत्सव भी किया गया था। यह भी बताया जाता है कि रूप कंवर के मायके वालों को इसकी खबर उनके सती होने के बाद दी गई थी।

मामला सार्वजनिक होने के बाद उस समय इस पर प्रदेश ही नहीं देशभर में काफी बवाल मचा था। तत्कालीन मुख्यमंत्री स्व.हरिदेव जोशी के निर्देश पर पुलिस ने जांच करते हुए 39 लोगों को इस मामले में आरोपित बनाया था। उन सभी पर आरोप था कि वो घटना के समय वहां मौजूद थे और उन्होंने सती माता के जयकारे भी लगाए थे।

हालांकि सबूतों के अभाव में इस मामले में अब तक 11 लोग बरी हो चुके है। वहीं कई लोगों की ट्रायल के दौरान मौत हो चुकी है। शेष सभी आरोपी जमानत पर जेल से बाहर है। इनमें से 8 आरोपितों निहाल सिंह, भंवर सिंह, दशरथ सिंह, उदय सिंह, जितेंद्र सिंह, श्रवण सिंह, महेंद्र सिंह और नारायण सिंह को लेकर अदालत मंगलवार को अपना फैसला सुनाने वाली थी, लेकिन सुनवाई टल गई।   

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