Haryana Politics News: गहराया JJP का संकट, विधायक रामकुमार गौतम का दुष्यंत चौटाला से मिलने से इन्कार
जननायक जनता पार्टी के विधायक रामकुमार गौतम की बगावत के बाद पार्टी में संकट गहरा गया है। गौतम ने उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला से मुलाकात करने से भी इन्कार कर दिया है।
हिसार, जेएनएन। हरियाणा में भाजपा के साथ सत्ता में साझीदार जननायक जनता पार्टी में बगावत का संकट गहराता दिख रहा है। पार्टी के नारनौंद से विधायक राम कुमार गौतम का गुस्सा शांत होने का नाम ही नहीं ले रहा। गौतम की बगावत से पार्टी में हड़कंप की हालत है। पार्टी उपाध्यक्ष के पद से इस्तीफा देने वाले गौतम ने उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला से मुलाकात करने से भी इन्कार कर दिया है। इसके साथ ही वह अपने साथ पार्टी के कई अन्य विधायकों के भी जुड़े होने का संकेत दे रहे हैं।
गौतम ने फिर अपने तीखे तेवर दिखाए हैं। उन्होंने कहा है वह पार्टी प्रमुख और उप प्रमुख से मुलाकात नहीं करेंगे। ऐसे में समझा जाता है कि जजपा में बगावत की आग शांत करना आसान नहीं होगा। पूरे मामले में अब यह देखना है कि गौतम की अगली गुगली के निशाने पर कौन आएगा।
रामकुमार गौतम ने कहा कि उन्हें पार्टी उपाध्यक्ष के पद से इस्तीफा देने का कोई पछतावा नहीं है। वह आदर्शों पर चलने वालों में से हैं। मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा, मेरे स्वाभिमान को ठेस पहुंची हैं, इसलिए उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला से मिलने नहीं जाऊंगा। जेजेपी मेरे ही द्वारा बनाई गई पार्टी है। उप मुख्यमंत्री बनने के बाद दुष्यंत चौटाला ने 11 विभागों को अपने नियंत्रण में ले लिया और पार्टी के दूसरे नेताओं को भूल गए।
उन्होंने दुष्यंत चौटाला की मां नैना चौटाला पर भी हमला किया। गौतम ने कहा कि दुष्यंत चौटाला की मां नैना चौटाला कांग्रेस की किरण चौधरी के साथ समझौते के कारण बाढड़ा से विधायक बनी हैं। जेजेपी ने किरण चौधरी के खिलाफ तोशाम निर्वाचन क्षेत्र से एक कमजोर उम्मीदवार को मैदान में उतारा था। इसी शर्त पर नैना चौटाला जीती हैं।
बता दें कि गौतम ने बुधवार को पार्टी उपाध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया, क्योंकि वह पार्टी के कामकाज से प्रभावित थे। इसके बाद उन्होंने नारनौंद के बारह खाप के चबूतरे से दुष्यंत पर कई पलटवार किए थे। गौतम ने कहा था कि उप मुख्यमंत्री 11 मंत्रालयों पर बैठे हैं। अन्य विधायक कहां जाएंगे। उन्होंने कहा था कि अनदेखी के कारण बाकि विधायकों में असंतोष है। चुनावों में, भाजपा ने विधानसभा की 40 सीटें जीती थीं, जबकि कांग्रेस को 31 सीटें मिलीं। भाजपा ने दुष्यंत चौटाला की नवगठित पार्टी के साथ गठबंधन किया था।
बगावती तेवर के बाद गौतम के अगले कदम पर टिकी सभी की निगाहें
रामकुमार गौतम ने पार्टी के उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद राजनीतिक गलियारों में में हैं। अब निगाहें गौतम के अगले ठिकाने या फिर से दुष्यंत के साथ काम करने पर रहेंगी। हालांकि गौतम ने ये स्पष्ट कर दिया है कि वो किसी भी कीमत पर दुष्यंत के साथ काम नहीं करेंगे। जब तक काम चलेगा वो पार्टी में बने रहेंगे।
सूत्रों के अनुसार दुष्यंत ने भी गौतम की नाराजगी को दूर करने के लिए अपने करीबी नेताओं की ड्यूटी लगाई है। पूर्व वित्तमंत्री कैप्टन अभिमन्यु पर एक मॉल में दुष्यंत चौटाला से सेंटिंग करने के मामले में अभिमन्यु की तरफ से अभी तक कोई भी प्रतिक्रिया जारी नहीं की गई है। बताया जा रहा है कि कैप्टन इन दिनों विदेश दौरे पर हैं।
गौतम ने जिस भी पार्टी से चुनाव लड़ा दोबारा उसमें नहीं रहे
गौतम का इतिहास है कि उन्होंने जिस भी पार्टी से चुनाव लड़ा वो दोबारा उस पार्टी में नहीं रहे। 2005 में भाजपा से विधायक बने थे। कुछ ही दिन बाद उन्होंने कांग्रेस पार्टी से नजदीकियां बढ़ा ली और 2010 का चुनाव उन्होंने कांग्रेस से लड़ा था, हालांकि चुनाव हार गए थे। फिर उनका कांग्रेस से भी मोह भंग हो गया। 2014 का चुनाव निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में लड़ा था और फिर हार गए। 2019 का चुनाव जेजेपी से लड़ा और दो महीने बाद ही उनके सुर पार्टी विरोधी हो गए।
गौतम ने सात विधायकों की नाराजगी का बयान किस आधार पर दिया : सिहाग
जेजेपी के बरवाला से विधायक जोगीराम सिहाग ने कहा कि गौतम ने सात विधायकों की नाराजगी का बयान किस आधार पर दिया है वो उनकी समझ से परे है। हम पार्टी के सच्चे सिपाही हैं और पार्टी को मजबूत करने का काम करेंगे।
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