Move to Jagran APP

माकपा ने माना, पश्चिम बंगाल में भाजपा उससे ज्यादा हुई मजबूत

मा‌र्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने अपनी शक्ति आंकने के लिए पार्टी स्तर पर आंतरिक सर्वे कराया है। लेकिन जो रिपोर्ट मिली है उसे देख पार्टी नेतृत्व काफी चिंतित है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Sat, 25 Jan 2020 08:16 PM (IST)Updated: Sat, 25 Jan 2020 08:16 PM (IST)
माकपा ने माना, पश्चिम बंगाल में भाजपा उससे ज्यादा हुई मजबूत
माकपा ने माना, पश्चिम बंगाल में भाजपा उससे ज्यादा हुई मजबूत

कोलकाता, जागरण संवाददाता। बंगाल में नगर निकाय चुनाव की तैयारी शुरू हो चुकी है। इसे देखते हुए मा‌र्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने अपनी शक्ति आंकने के लिए पार्टी स्तर पर आंतरिक सर्वे कराया है। लेकिन, जो रिपोर्ट मिली है, उसे देख पार्टी नेतृत्व काफी चिंतित है। माकपा नेताओं की बेचैनी का प्रमुख कारण भाजपा का तेजी से विस्तार है। सर्वे के मुताबिक भाजपा ने माकपा को पीछे छोड़ दिया है। यही वजह है कि उत्तर कोलकाता व जादवपुर जैसे क्षेत्र में जिसे कभी लालदुर्ग कहा जाता था, वहां भी माकपा की हालत दयनीय है।

loksabha election banner

मा‌र्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने कराया आतंरिक सर्वे

माकपा की आतंरिक रिपोर्ट के मुताबिक पार्टी अब तक के सबसे बुरे दौर से गुजर रही है। उत्तर कोलकाता में पकड़ काफी कमजोर हो चुकी है, जबकि भाजपा काफी मजबूत स्थिति में है। इसका मानसिक दबाव माकपा नेताओं-कार्यकर्ताओं पर भी साफ दिख रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि उत्तर कोलकाता के अधिकांश इलाकों जैसे बागबाजार, श्यामबाजार और गिरीश पार्क इलाकों में तृणमूल कांग्रेस की लड़ाई सीधे-सीधे भाजपा से दिख रही है। बड़ाबाजार और उससे सटे वार्डो में भी तृणमूल को भाजपा ही टक्कर देती दिख रही है। बेलेघाटा और मानिकतल्ला बस्ती इलाकों के वोट पहले केवल माकपा को ही मिलते थे, लेकिन अब वहां भी भाजपा ने सेंधमारी कर दी है। कोलकाता में तत्काल चुनाव हो गये तो माकपा की रिपोर्ट में 107 से 133 नंबर तक के वार्डों में भाजपा की जीत निश्चित दिख रही है।

दक्षिण में भी तृणमूल व भाजपा के बीच लड़ाई

जादवपुर, गार्डेनरिच और बेहला आदि इलाकों में तृणमूल मजबूत दिख रही है, क्योंकि उक्त इलाकों में अल्पसंख्यक मतदाता एक्स फैक्टर हैं, जो तृणमूल की जीत में अहम भूमिका निभाएंगे। लेकिन, यहां भी लड़ाई भाजपा-तृणमूल के बीच ही दिख रही है। कभी वाममोर्चा के लिए सख्त घाटी रहे जादवपुर में भी लोकसभा चुनाव के दौरान राजनीतिक समीकरण बदला हुआ दिखा, क्योंकि वहां भाजपा का वोट बैंक तेजी से बढ़ा है।

जादवपुर के 107 और 108 नंबर वार्ड में भाजपा को 49.49 फीसद वोट मिले थे, जबकि तृणमूल को 45.8 फीसद। 111 और 112 नंवर वार्ड में भाजपा ही आगे दिख रही है। यहां 49.12 फीसद वोट मिल सकते हैं, जबकि तृणमूल को 47.8 फीसद। सीएए और एनआरसी जैसे ज्वलंत मुद्दे पर ¨हसक प्रदर्शन के बावजूद जादवपुर में भाजपा के बढ़ते जनाधार देख माकपा नेता भी आश्चर्यचकित हैं।

बनाई नई रणनीति

आत्ममंथन के बाद लोकसभा की पुनरावृत्ति रोकने के लिए माकपा नेताओं ने नई रणनीति बनाई है। 17 वामपंथी दलों के साथ गठबंधन करने वाली माकपा अब कांग्रेस के साथ भी समझौते को और मजबूत कर आगे बढ़ना चाह रही है। माकपा के कोलकाता जिला सचिव कल्लोल मजूमदार ने शनिवार को संवाददाता सम्मेलन कर कांग्रेस के साथ सीट समझौते को लेकर चल रही बातचीत की जानकारी भी दी है।

जीत को लेकर अपने-अपने दावे

प्रत्याशी चयन को लेकर भी माकपा काफी सतर्क दिख रही है। शिक्षित और अच्छी छवि वाले नेताओं को विशेष तरजीह दी जा रही है। नए चेहरों पर भी दांव खेलने की योजना है। हालांकि, माकपा नेता कहते दिख रहे हैं कि निकाय चुनाव में सत्तारूढ़ तृणमूल और वाम मोर्चा-कांग्रेस ही लड़ाई में हैं। भाजपा कहीं भी नहीं टिक रही। माकपा नेता शमिक लाहिड़ी का कहना है कि भाजपा किसी भी कीमत पर जीत नहीं पाएगी। वहीं, भाजपा अलग जीत की ताल ठोक रही है। उधर, कोलकाता के मेयर व मंत्री फिरहाद हकीम माकपा-भाजपा को महत्व नहीं दे रहे। उनका दावा है कि जन विरोधी नीतियों के चलते राज्य की जनता भाजपा-कांग्रेस और वाममोर्चा, तीनों को नकार देगी और फिर से तृणमूल ही सत्ता पर काबिज होगी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.