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मध्यप्रदेशः सत्ता का वनवास दूर करने कांग्रेस नेता मंदिरों-संतों के लगा रहे फेरे

मप्र विधानसभा चुनाव से पहले मंदिर, शंकराचार्य, साधु-संतों और कथावाचकों के पास जाना बढ़ा

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Thu, 26 Apr 2018 12:19 PM (IST)Updated: Thu, 26 Apr 2018 01:56 PM (IST)
मध्यप्रदेशः सत्ता का वनवास दूर करने कांग्रेस नेता मंदिरों-संतों के लगा रहे फेरे
मध्यप्रदेशः सत्ता का वनवास दूर करने कांग्रेस नेता मंदिरों-संतों के लगा रहे फेरे

भोपाल [नईदुनिया]। मध्यप्रदेश में 15 साल से सत्ता से दूर कांग्रेस इस बार सरकार बनाने के लिए पूरी कोशिश कर रही है। इस राह को और आसान बनाने के लिए पार्टी के नेता भगवान की शरण में पहुंचने लगे हैं। ये नेता कभी मंदिर तो कभी शंकराचार्य और साधु-संतों के मठ में चरण वंदना कर आशीर्वाद लेने पहुंच रहे हैं। इसमें कांग्रेस के दिग्गज नेताओं से लेकर विधानसभा चुनाव में टिकट के दावेदार भी शामिल हैं। नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर कई अनिश्चितताओं के कारण कांग्रेस नेता ज्यादा चिंतित हैं। पिछले कुछ दिनों से कांग्रेस के इन नेताओं की कई तरह की चिंताओं ने उन्हें मंदिरों, शंकराचार्य और साधु-संतों की शरण में पहुंचा दिया है।

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कमलनाथ ने जैन मुनि, मोरारी बापू का लिया आशीर्वाद
पूर्व केंद्रीय मंत्री और सांसद कमलनाथ करीब तीन साल से प्रदेश कांग्रेस कमेटी की कमान संभालने की बाट जोह रहे थे। प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाए जाने से पहले वे 29 मार्च को छिंदवाड़ा प्रवास के दौरान जैन मुनि विमल सागरजी के दर्शन करने पहुंचे और आशीर्वाद लिया। उन्होंने हनुमान जयंती के अवसर पर संसदीय क्षेत्र छिंदवाड़ा के सेमरिया में 101 फीट ऊंची हनुमान प्रतिमा का लोकार्पण किया, जिसमें कथावाचक मोरारी बापू को बुलाया था। शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती से मिलने उनके झोतेश्वर स्थित आश्रम में दो बार जा चुके हैं। इसके साथ ही भिंड में रावतपुरा सरकार के संत समागम में भी वे इसी मंगलवार को पहुंचे।

शंकराचार्य की शरण में सिंधिया
चुनाव में चेहरा घोषित करने की मांग का समर्थन करने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री और चुनाव अभियान समिति के चेयरमैन ज्योतिरादित्य सिंधिया भी कोई धार्मिक अवसर नहीं छोड़ रहे हैं। ग्वालियर में जब शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती पहुंचे तो सिंधिया भी उनसे मिले। वैसे सिंधिया काफी धार्मिक प्रवृत्ति के हैं और जब अपने संसदीय क्षेत्र गुना-शिवपुरी क्षेत्र में भोपाल से जाते समय लालघाटी के पास मंदिर में पूजा-अर्चना कर ही रवाना होते हैं। ग्वालियर महल में नवरात्रि और दशहरा के मौके पर विधि-विधान से पारिवारिक पूजा होती है। उज्जैन में अक्सर महाकाल के दर्शन करने पहुंचते हैं।

न्याय यात्राओं की शुरुआत मंदिर में पूजा-पाठ से
प्रदेश कांग्रेस कमेटी इन दिनों न्याय यात्रा निकाल रही है। इसकी शुरुआत अभी तक तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव और नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने मंदिर में पूजा-पाठ से की है। पहले चरण में रायसेन जिले के उदयपुरा में छींद के हनुमान मंदिर में दोनों नेताओं ने पूजा की थी। वहीं विंध्य में दूसरे चरण की शुरुआत चित्रकूट के कामतानाथ मंदिर में पूजा-अर्चना करके की।

दिग्विजयसिंह की छह माह की नर्मदा परिक्रमा यात्रा
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह तो अपनी पत्नी अमृता राय के साथ नर्मदा परिक्रमा कर हाल ही में लौटे हैं। इसमें उन्होंने नर्मदा नदी किनारे के सभी मंदिरों में पूजा की और साधु-संतों का आशीर्वाद लिया। 6 महीने तक 3325 किमी की यात्रा के बाद नरसिंहपुर के बरमान घाट पर उन्होंने समापन में शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती और गृहस्थ संत दद्दाजी महाराज का आशीर्वाद लिया। इसके बाद वे ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने भी पहुंचे थे। बताया जाता है कि वे अपनी राजनीतिक यात्रा भी ओरछा के रामराजा दरबार से शुरू करने वाले हैं।

रावतपुरा सरकार की शरण में नेता
भिंड में रावतपुरा सरकार की शरण में कांग्रेस के कई नेता पहुंच रहे हैं। रावतपुरा सरकार के घोर विरोधी रहे विधायक डॉ. गोविंद सिंह भी उनके यहां पहुंचे। उनके अलावा पूर्व मंत्री राजा पटेरिया और अखंड प्रताप सिंह ने भी उनका आशीर्वाद लिया। वहीं विधायक जीतू पटवारी ने बुधवार को इंदौर में कथावाचक सुधांशु महाराज से मुलाकात की।


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