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गुलाम नबी आजाद बोले, जितनी मायूसी कश्मीर में; उतनी ही निराशा जम्मू में

Ghulam Nabi Azad in Jammu. गुलाम नबी आजाद का कहना है कि जितनी मायूसी और निराशा कश्मीर घाटी में है उतनी ही निराशा जम्मू और जम्मू संभाग में है।

By Sachin MishraEdited By: Published: Wed, 25 Sep 2019 05:41 PM (IST)Updated: Wed, 25 Sep 2019 07:23 PM (IST)
गुलाम नबी आजाद बोले, जितनी मायूसी कश्मीर में; उतनी ही निराशा जम्मू में
गुलाम नबी आजाद बोले, जितनी मायूसी कश्मीर में; उतनी ही निराशा जम्मू में

राज्य ब्यूरो, जम्मू। राज्यसभा में विपक्ष के नेता और जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद का कहना है कि जितनी मायूसी और निराशा कश्मीर घाटी में है उतनी ही निराशा जम्मू और जम्मू संभाग में है। प्रशासन का जितना आतंक जम्मू कश्मीर में है, उतना आतंक मैंने दुनिया में कहीं नहीं देखा। जम्मू-कश्मीर का छह दिवसीय दौरा पूरा कर दिल्ली जाते समय गांधीनगर में अपने सरकारी आवास के बाहर सड़क पर गाड़ी से बाहर निकल कर पत्रकारों से संक्षिप्त बातचीत में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आजाद ने कहा कि आज मेरा छठा दिन है। मैंने चार दिन कश्मीर और दो दिन जम्मू में बिताए हैं। इसके बारे में मैं पूरी जानकारी एक-दो दिन में दे दूंगा। जो मैंने देखा, सुना, इसके लिए संभव नहीं है कि चलती हुई गाड़ी से बता दूं, फ्लाइट का समय हो रहा है। मैं संक्षेप में दो लाइन बता रहा हूं।

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उन्होंने कहा कि जितनी मायूसी और निराशा मैंने कश्मीर घाटी में देखी है, उतनी ही निराशा जम्मू संभाग और जम्मू में भी है। उन्होंने कहा कि सत्ताधारी पार्टी के एक-दो सौ लोगों को छोड़कर कोई खुश नहीं है। जम्मू का कारोबार कश्मीर पर निर्भर था। छोटे दुकानदार, किराने वाला हो या ट्रांसपोर्टर या फिर गाड़ी या बस वाला। निराशा इतनी है कि कुछ लोगों ने तो कहा कि वह खुदकुशी कर लेंगे। प्रशासन का इतना आतंक मैंने दुनिया में कहीं नहीं देखा। लोकतंत्र नाम की कोई चीज नहीं है। जब जम्मू कश्मीर में कानून बदला तो उसके साथ साथ लोकतंत्र भी बदल गया। बात करने से आदमी डरता है। वह देखता है कि कहीं कैमरा फिक्स तो नहीं है, कहीं मुखबरी तो नहीं हो रही। बोलने की आजादी नहीं है, अभिव्यक्ति की आजादी नहीं है, आंदोलन की आजादी नहीं है। सामान्य रूप से अगर आदमी बिजली और पानी की बात करता है तो उसे कहते हैं कि हिंदुस्तान की कौन सी जेल में जाओगे।

इससे पहले आजाद ने बुधवार को भी जम्मू में विभिन्न प्रतिनिधिमंडलों से बातचीत कर उनकी समस्याओं को सुना। आजाद ने जम्मू आने से पहले कश्मीर में श्रीनगर, बारामुला और अनंतनाग का दौरा कर लोगों के मसलों को सुना था। आजाद गत मंगलवार को जम्मू पहुंचे थे। सर्वोच्च न्यायालय से अनुमति मिलने के बाद आजाद का जम्मू कश्मीर का दौरा संभव हो पाया है।

जम्मू पहुंचे आजाद बोले-कश्मीर के हालात खराब

कश्मीर का चार दिवसीय दौरा समेटकर मंगलवार को जम्मू पहुंचे राज्यसभा में विपक्ष के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने कहा कि घाटी के हालात काफी खराब हैं। आजाद दोपहर को हवाई अड्डे से सीधे अपने गांधी नगर स्थित सरकारी आवास पर पहुंचे। आवास के नजदीक मुख्य सड़क पर आजाद ने अपनी गाड़ी को कुछ समय के लिए रुकवाते हुए वहां पर मौजूद पत्रकारों से संक्षिप्त बातचीत की। जब उनसे पूछा गया कि क्या कश्मीर के हालात सुधर रहे हैं तो उन्होंने कहा कि कश्मीर के हालात बहुत खराब हैं।

आजाद ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय से अनुमति मिलने के बाद मैं कश्मीर गया था। चार दिन बिताए। इस दौरान कई लोगों से बातचीत की, लेकिन प्रशासन की अनुमति न मिलने पर मैं दसवां हिस्सा भी मिल नहीं पाया। अब दो दिन जम्मू में लोगों से मिलूंगा और छह दिवसीय दौरे की रिपोर्ट सर्वोच्च न्यायालय को दूंगा। उन्होंने कहा कि वह इससे अधिक कुछ नहीं बोल सकते हैं।

इससे पहले गुलाम नबी आजाद ने कश्मीर के श्रीनगर, बारामुला और अनंतनाग में लोगों से मिलकर उनका हाल जाना। आजाद ने अभी तक कोई राजनीति बयान नहीं दिया है। सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार, आजाद कुछ नहीं बोल रहे हैं। जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद आजाद विपक्ष के पहले नेता हैं जिन्हें लोगों से बातचीत करने का मौका मिला है। हालांकि उन्होंने यह कहा कि वह छह दिवसीय दौरा समाप्त करने के बाद मीडिया से बात करेंगे।

आजाद के घर के बाहर सुरक्षा व्यवस्था को कड़ा किया गया है। मीडिया कर्मी उनके घर के बाहर इकट्ठे हुए थे, लेकिन पुलिस ने वहां पर ठहरने नहीं दिया। उसके बाद मीडिया कर्मी घर से थोड़ी दूरी पर मुख्य सड़क पर आ गए। इस दौरान आजाद का काफिला वहां पर पहुंचा और उन्होंने खुद गाड़ी रोकी, शीशा नीचे किया और संक्षिप्त बातचीत की।

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