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बिहार में टूट रहा जातिगत वोट बैंक का मिथक, अब सवर्ण कार्ड के साथ आगे बढ़ रही एलजेपी

बिहार की राजनीति करवट ले रही है। यहां जाति आाधारित वोट बैंक अब टूट रहा है। इस कारण राजनीतिक दल भी इससे किनारा करते दिखे हैं। ताजा मामला एलजेपी का है।

By Amit AlokEdited By: Published: Mon, 16 Dec 2019 06:21 PM (IST)Updated: Tue, 17 Dec 2019 06:25 PM (IST)
बिहार में टूट रहा जातिगत वोट बैंक का मिथक, अब सवर्ण कार्ड के साथ आगे बढ़ रही एलजेपी
बिहार में टूट रहा जातिगत वोट बैंक का मिथक, अब सवर्ण कार्ड के साथ आगे बढ़ रही एलजेपी

पटना [स्‍टेट ब्यूरो]। राजनीतिक दलों के बीच खत्म हो रहे वोट बैंक केंद्रित मिथक के साथ लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) भी पूरी गति के साथ तालमेल बिठाने का जतन कर रही है। मिथक यूं खत्म हो रहे कि पहली बार राष्‍ट्रीय जनता दल (RJD) ने अगड़ी जाति के नेता को प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपी। भारतीय जनता पार्टी (BJP) में अति पिछड़े की बात तेजी से चल रही है। ऐसे में अपने वोट बैंक से परे एलजेपी ने पूरी रणनीति के साथ सवर्ण कार्ड (Upper Caste Card) को आगे बढ़ाना आरंभ किया है।

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पदाधिकारियों में आधे से अधिक सवर्ण

बिहार में सवर्णों का वोट बैंक (Upper Caste Vote Bank) 17 से 20 फीसद का है। अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election) को ध्यान में रखकर एलपेजी ने हाल ही में 10 पदाधिकारियों की सूची जारी की है, जिनमें आधे से अधिक सवर्ण हैं। इसके साथ ही एलजेपी अपने सभी कार्यक्रमों में इस बात का जिक्र कर रही है कि आर्थिक दृष्टि से सवर्णों के लिए आरक्षण की जो वैधानिक व्यवस्था की गई है, उसे सबसे पहले उसने ही आगे किया। अपने घोषणा पत्र में 19 वर्ष पहले ही पार्टी ने इसे शामिल किया था।

'अगड़ों ने ही पिछड़ों को बढ़ाया आगे'

एलजेपी के पदाधिकारियों की नयी सूची जारी होने के दो दिनों बाद तत्‍कालीन पार्टी सुप्रीमो व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान (Ram Vilas Paswan) का यह बयान आया कि अगड़ी जाति के नेताओं ने पिछड़ों और दलितों को आगे बढ़ाया। सामाजिक न्याय की लड़ाई में अगड़े वर्ग के नेताओं की भूमिका आरंभ से अहम रही है। यह व्‍यक्‍तव्‍य अनायास ही नहीं है।

एलजेपी ने तैयार की भविष्‍य की टीम

राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में पहली बार चिराग पासवान (Chirag Paswan) ने पिछले हफ्ते 10 उपाध्यक्ष बनाए। इनमें सात उपाध्यक्ष सुनील पांडेय, राजू तिवारी, नूतन सिंह, हुलास पांडेय, विनोद कुमार सिंह, विरेश्वर सिंह और उषा शर्मा अगड़ी जातियों से हैं। पासवान जाति के लोगों को अपना वोट बैंक समझने वाली एलजेपी ने इस सूची में केवल दो पासवान  रामविनोद पासवान और संजय पासवान को ही शामिल किया है। एक उपाध्यक्ष राजकुमार साह पिछड़ी जाति के हैं। इस लिहाज से एलजेपी ने आने वाले समय के लिए अपनी टीम तैयार कर ली है।

सवर्ण धुरंधरों के बूते जमीन की तलाश

सवर्ण जाति के इन धुरंधरों के बूते ही पार्टी अपने सदस्यता अभियान के बहाने जमीन की तलाश भी करेगी। इन्हें प्रमंडल के हिसाब से कमान सौंपी गई है। जवाबदेही यह दी गई है कि यह परखें कि कौन-कौन सी सीट के लिए एलजेपी अपनी दावेदारी कर सकती है।


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