उत्तर प्रदेश में विपक्ष को मुद्दा दे सरकार के लिए मुश्किलें बढ़ा रहे भाजपा नेताओं के बिगड़े बोल
गोरखपुर के भाजपा विधायक राधामोहन दास अग्रवाल द्वारा सोशल मीडिया के जरिए व्यवस्थाओं पर सवाल उठा कर उत्तर प्रदेश सरकार की मुश्किलें बढ़ाने वाले पहले विधायक नहीं हैं।
लखनऊ, जेएनएन। गोरखपुर के भाजपा विधायक राधामोहन दास अग्रवाल द्वारा सोशल मीडिया के जरिए व्यवस्थाओं पर सवाल उठा कर उत्तर प्रदेश सरकार की मुश्किलें बढ़ाने वाले पहले विधायक नहीं हैं। कभी अमर्यादित व्यवहार और कभी अनापशनाप बयानबाजी कर विपक्ष को बैठे ठाले मुद्दा थमाने वाले भाजपाइयों की फेहरिस्त बढ़ती जा रही है। कुछ विधायक तो पहले से ही अपने तीखे बयानों को लेकर अक्सर चर्चा में रहते हैं, लेकिन अब एक के बाद एक भाजपा नेता सोशल मीडिया पर कानून व्यवस्था व अन्य मुद्दों को लेकर अपनी नाखुशी जाहिर कर रहे हैं। अपनों के बिगड़े बोल भाजपा सरकार ही नहीं संगठन के लिए भी सिरदर्द बन गया है।
करीब आठ महीने पहले विधान सभा में लोनी क्षेत्र के विधायक नंद किशोर गुर्जर द्वारा पुलिस उत्पीड़न का मसला उठाने को सत्ता पक्ष के कुछ विधायकों का समर्थन मिला परंतु सदन में समूचा विपक्ष गुर्जर के पक्ष में सदस्य को न्याय दो के नारे लगाता दिखा था। इतना ही नहीं भाजपा विधायक के पक्ष में सपाइयों ने वेल में पहुंचकर नारेबाजी भी की। हालांकि इस अप्रत्याशित व्यवहार से नाराज पार्टी नेतृत्व ने गुर्जर को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया परंतु उनके द्वारा सफाई देने के बाद मामला रफादफा हो गया।
विपक्ष की सरकार विरोधी मुहिम में मददगार बने कुछ हालिया घटनाओं में अलीगढ़ में विधायक राजकुमार सहयाेगी से पुलिस थाने में अभद्रता, सुलतानपुर जिले के विधायक देवमणि द्विवेदी द्वारा ब्राह्मणों की हत्या और उत्पीड़न के मुद्दे को लेकर सरकार को कठघरे में खड़ा करने आदि भी शामिल है। गोरखपुर के भाजपा विधायक राधामोहन दास अग्रवाल ने सोशल मीडिया पर कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाकर विपक्ष को सरकार को घेरने का मौक दिया। हालांकि पार्टी ने इसे अनुशासनहीनता मानते हुए उनसे एक सप्ताह के भीतर स्पष्टीकरण मांगा है। इस संबंध में अग्रवाल ने कहा कि मैंने कोई अनुशासनहीनता नहीं की है, केवल अपने स्वाभिमान की रक्षा और क्षेत्र की जनता के हित की बात ही कर रहा हूं।
लॉकडाउन अवधि में बढ़े मामले : भाजपा के पूर्व विधायक राजकुमार का कहना है कि कोरोना वायरस संक्रमण के दौरान लाॅकडाउन की अवधि के दौरान पार्टी अनुशासन तोड़ने और संयम खो देने के मामले बढ़े हैं। इसकी एक वजह संपर्क व संवाद में कमी होना भी माना जा सकता है। सामान्य दिनों में जनप्रतिनिधियों को प्रदेश मुख्यालय में एक दूसरे से संवाद करने और गिले शिकवे करने का अवसर मिल जाता था। ऐसे में अधिकतर मामले वहीं निपट जाते थे। संगठन की ओर से वर्चुअल संवाद जारी रखने का प्रयास किया जाता रहा है परंतु अधिकांशतया एकतरफा संवाद होने के कारण बात नहीं बन पाती।
मर्यादा व अनुशासन तोड़ना उचित नहीं : उत्तर प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह का कहना है कि अपनी बात कहने का एक मर्यादित तरीका होता है। उसका पालन करना सभी का नैतिक दायित्व है। अनुशासन तोड़ना उचित नहीं है।