भ्रष्टाचार पर योगी आदित्यनाथ का करारा वार, 600 अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 50 वर्ष से अधिक उम्र के भ्रष्ट नाकारा व अकर्मण्य सरकारी अधिकारी-कर्मचारी को अनिवार्य सेवानिवृत्ति पर जोर दिया है।
लखनऊ, जेएनएन। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को किसी भी कर्मचारी व अधिकारी का भ्रष्टाचार तथा नकारापन बर्दाश्त नहीं है। भ्रष्टाचार व नकारापन के खिलाफ योगी आदित्यनाथ एक्शन में हैं। उन्होंने अब तक 600 के खिलाफ कार्रवाई की है। जिनमें से 201 को जबरिया सेवानिवृति भी दी गई है। इस कार्रवाई के अलावा 150 से ज्यादा अधिकारी अब भी सरकार के रडार पर हैं। इनमें ज्यादातर आईएएस और आईपीएस अफसर हैं। इन सभी पर फैसला केंद्र सरकार लेगी। इन अधिकारियों की सूची तैयार कर केंद्र सरकार को भेजी गई है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 50 वर्ष से अधिक उम्र के भ्रष्ट, नाकारा व अकर्मण्य सरकारी अधिकारी-कर्मचारी को अनिवार्य सेवानिवृत्ति पर जोर दिया है। इस कड़ी में प्रदेश में 400 से अधिक सरकारी कर्मियों पर कार्रवाई की तलवार लटक गई है। प्रदेश सरकार ने 201 अधिकारियों और कर्मचारियों को जबरन वीआरएस दिया है, जबकि 400 से ज्यादा अधिकारियों और कर्मचारियों को दंड दिया गया है यानी अब उनका प्रमोशन नहीं होगा, साथ ही उनका तबादला किया गया है। कुछ निलंबित होंगे जबकि बचे लोगों को प्रतिकूल प्रविष्टि दी जाएगी।
सचिवालय प्रशासन विभाग की 20 जून को समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बेईमान और भ्रष्ट अधिकारियों को आड़े हाथ लिया था। उन्होंने कहा था कि अब बेईमान-भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए सरकार में कोई जगह नहीं है। इन्हें तत्काल वीआरएस दे दीजिए। इन प्रतिकूल प्रविष्टि मिलने से प्रोन्नति नहीं हो सकेगी। बीते दो वर्ष में करीब 600 अधिकारियों पर कार्रवाई की गयी है। इनमें 169 बिजली विभाग के अधिकारी हैं। 25 अधिकारी पंचायती राज, 26 बेसिक शिक्षा, 18 पीडब्ल्यूडी विभाग के और बाकी अन्य विभाग के हैं।
पिछले दो वर्षों में योगी आदित्यनाथ सरकार ने 50 वर्ष की उम्र पार कर चुके सवा छह सौ अधिकारियों और कर्मचारियों को चिह्नित किया। 201 सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों को जबरन रिटायर कर दिया था। इनके अलावा बाकी लोगों का नाम वृहद दंड के लिए प्रस्तावित किया गया। अब उन्हीं कार्मिकों पर कार्रवाई होनी है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर मुख्य सचिव डा. अनूप चंद्र पांडेय ने नियुक्ति व कार्मिक विभाग को यह जिम्मेदारी सौंपी थी कि सभी विभागों से 50 वर्ष की उम्र पूरी कर चुके नाकारा अधिकारियों-कर्मचारियों का ब्यौरा हासिल करें। डा. पांडेय ने तीन जुलाई तक इसके लिए संकलन के निर्देश दिये थे। अभी तक सभी विभागों ने अपना ब्योरा नहीं भेजा है लेकिन, कमोबेश आकलन कर लिया गया है।
योगी सरकार वर्ष 2017 से ही सरकार भ्रष्टाचार में लिप्त, नाकारा कर्मियों की छंटनी के लिए अभियान चला रही है। इसकी पहल जुलाई 2017 में तत्कालीन मुख्य सचिव राजीव कुमार ने की थी। इस बार सबसे बड़ी संख्या में ऊर्जा विभाग से करीब डेढ़ सौ अधिकारी-कर्मचारी इसके दायरे में आ गये हैं। इसके अलावा पंचायती राज, दुग्ध विकास, चीनी उद्योग व गन्ना विकास, बेसिक शिक्षा, परिवहन, खाद्य व रसद, गृह आदि विभागों के अधिकारी-कर्मचारी को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दिये जाने की तैयारी है। इनमें बहुत से सेवानिवृत्त किये जा चुके हैं।
सर्वाधिक गृह विभाग से किये गये थे सेवानिवृत्त
सरकार ने 19 मार्च 2018 तक विभिन्न विभागों के 201 अधिकारी-कर्मचारी को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी थी। इनमें गृह विभाग के 51, श्रम के 16, मनोरंजन कर के 16, राजस्व के 36 कर्मी थे। तब विभिन्न विभागों के 417 कार्मिकों को वृहद दंड दिया गया था। वृहद दंड मिलने के बाद भी कार्मिकों में कोई सुधार नहीं आया।
भ्रष्ट अफसरों की कराई जा रही जांच
प्रवक्ता, राज्य सरकार एवं ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने कहा कि भ्रष्टाचार पर सरकार की जीरो टालरेंस की नीति है। मुख्यमंत्री की समीक्षा में यह बात सामने आई कि कुछ जिलों और कार्यालयों में लापरवाही हो रही है। भ्रष्ट अधिकारियों की भी अलग से जांच कराई जा रही है। जो भी गड़बड़ होगा उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार की भ्रष्ट और ढीले-ढाले अफसरों के खिलाफ 'जीरो टालरेंस' की नीति है। दो वर्ष में इन सभी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। उन्हें वीआरएस दिया गया है और कई अधिकारियों को चेतावनी दी गई है और उनके प्रमोशन रोक दिए गए हैं। शर्मा ने कहा कि उत्तर प्रदेश देश का पहला ऐसा राज्य है, जिसने इस तरह की कार्रवाई की है। हमने एक मिसाल पेश की है। अब आगे और कार्रवाई होगी।