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चुनावी रण से पहले यूपी कांग्रेस में गर्माया 'गृहयुद्ध', नए संगठन को भी लगा गुटबाजी का 'पुराना रोग'

पूर्णकालिक अध्यक्ष की मांग को लेकर 23 वरिष्ठ कांग्रेसियों द्वारा दिल्ली में फोड़े गए लेटर बम के बाद वहां तो दिग्गजों ने हालात को संभाल लिया लेकिन यूपी में स्थिति बिगड़ने लगी है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Sat, 29 Aug 2020 02:16 AM (IST)Updated: Sat, 29 Aug 2020 02:17 AM (IST)
चुनावी रण से पहले यूपी कांग्रेस में गर्माया 'गृहयुद्ध', नए संगठन को भी लगा गुटबाजी का 'पुराना रोग'
चुनावी रण से पहले यूपी कांग्रेस में गर्माया 'गृहयुद्ध', नए संगठन को भी लगा गुटबाजी का 'पुराना रोग'

लखनऊ, जेएनएन। पूर्णकालिक अध्यक्ष की मांग को लेकर 23 वरिष्ठ कांग्रेसियों द्वारा दिल्ली में फोड़े गए 'लेटर बम' के बाद वहां तो दिग्गजों ने हालात को संभाल लिया, लेकिन उत्तर प्रदेश में स्थिति बिगड़ने लगी है। लखीमपुर खीरी में पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद के खिलाफ खोले गए मोर्चे ने पार्टी की वह खिड़की भी खोल दी, जहां से नजर आ रहा है कि पार्टी में पाले और चौड़े हो सकते हैं। कुछ कार्यकर्ताओं की अनुशासनहीनता पर नेतृत्व की चुप्पी के निहितार्थ भी बिल्कुल स्पष्ट हैं।

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लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में पार्टी की करारी हार के बाद परिणामों की समीक्षा में यह बात लगभग हर जुबां पर थी कि पार्टी संगठन एकजुट नहीं था और गुटबाजी ने बड़ा नुकसान किया है। उसके बाद कांग्रेस महासचिव व प्रदेश प्रभारी प्रियंका वाड्रा ने संगठन को नए सिरे से खड़ा करना शुरू किया। प्रदेश अध्यक्ष व प्रदेश की टीम सहित जिलों में अपने अनुसार पदाधिकारी नियुक्त किए, लेकिन शुरुआत से ही अंदरखाने इस बात पर तकरार रही कि नए पदाधिकारियों को तो तवज्जो दी जा रही है, लेकिन उसके साथ पुराने कार्यकर्ताओं का सम्मान नहीं रखा जा रहा।

संगठन के तौर-तरीकों पर असंतोष जाहिर करने पर ही दशकों पुराने दस वरिष्ठ कांग्रेसी निष्कासित कर दिए गए। इससे तमाम कार्यकर्ताओं में नाराजगी घर कर गई। धीरे-धीरे कई पुराने कार्यकर्ताओं ने पार्टी मुख्यालय आना कम कर दिया। इधर, प्रियंका वाड्रा विधानसभा चुनाव की पूरी तैयारी में हैं। तमाम नेता अधिकृत रूप से कुछ भी कहने से बच रहे हैं, लेकिन दर्द साझा करते हैं कि कुछ पदाधिकारी दिल्ली से भेजे गए हैं। हर फैसला उन्हीं का होता है, जो कि मूल रूप से कांग्रेसी हैं ही नहीं।

कुछ माह पहले कांग्रेस से निष्कासित किए गए पूर्व विधायक भूधर नारायण मिश्र कहते हैं कि उन्होंने पचास वर्ष कांग्रेस की सेवा की है। अभी भी यही चाहते हैं कि पार्टी मजबूत हो, लेकिन मौजूदा हालात ठीक नहीं हैं। जिस तरह से जितिन प्रसाद जैसे वरिष्ठ नेता का सार्वजनिक अपमान कराया गया, वह अशोभनीय है। लखीमपुर खीरी के जिलाध्यक्ष का बयान वायरल है, जिसमें हाईकमान के इशारे पर विरोध करने की बात कही जा रही है। यह पार्टी का ही नुकसान करने वाला कदम है।

पार्टी के पूर्व प्रदेश महासचिव द्विजेंद्रराम त्रिपाठी कहते हैं कि सबसे बड़ी जिम्मेदारी वरिष्ठजन और प्रदेश नेतृत्व की है। सभी को भरोसे में लेना होगा। आज भाजपा सरकार से हर कोई नाराज है, लेकिन शायद कांग्रेस जनता की उम्मीदों पर अभी उतना खरा उतरती नजर नहीं आ रही। एक प्रदेश पदाधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि लखीमपुर खीरी में कुछ कार्यकर्ताओं की अनुशासनहीनता पर नेतृत्व की चुप्पी संगठन में गुटबाजी को और हवा दे सकती है। वहीं, पूर्व मंत्री जितिन प्रसाद ने इस मामले पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया।


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