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बिहार विधानसभा नियुक्ति घोटाला में फंसे पूर्व अध्‍यक्ष सदानंद सिंह, 41 पर चार्जशीट की अनुमति

बिहार विधानसभा में साल 2000 से 2005 के बीच नियुक्ति घोटाला हुआ था। इस मामले में निगरानी अन्वेषण ब्यूरो 15 अगस्‍त के पहले कोर्ट में चार्जशीट दायर कर सकता है।

By Amit AlokEdited By: Published: Wed, 07 Aug 2019 03:45 PM (IST)Updated: Thu, 08 Aug 2019 08:42 AM (IST)
बिहार विधानसभा नियुक्ति घोटाला में फंसे पूर्व अध्‍यक्ष सदानंद सिंह, 41 पर चार्जशीट की अनुमति
बिहार विधानसभा नियुक्ति घोटाला में फंसे पूर्व अध्‍यक्ष सदानंद सिंह, 41 पर चार्जशीट की अनुमति
पटना [जेएनएन]। बिहार में राजनीति में शीर्ष पर बैठे नेताओं के भ्रष्‍टाचार की यह ताजा कड़ी है। मामला है तो डेढ़ दशक पुराना, लेकिन इसमें चार्जशीट अब दाखिल होने जा रहा है। निगरानी अन्वेषण ब्यूरो बिहार विधानसभा में 2000 से 2005 के बीच कथित अवैध नियुक्ति के मामले में विधान सभा के पूर्व अध्यक्ष सदानंद सिंह सहित 41 के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने जा रहा है। विधानसभा सचिवालय ने इसके लिए अनुमति दे दी है।
अवैध नियुक्तियों के लिए प्रावधानों की अवहेलना
मिली जानकारी के अनुसार विधान सभा में अधिकारियों व कर्मचारियों की मिलीभगत से उनके रिश्तेदारों को तृतीय वर्ग के पदों पर नियुक्‍त किया गया था। अपने लोगों को नौकरी देने के लिए प्रावधानों की अवहेलना की गई। साथ ही राज्यपाल के अध्यादेश की भी मनमानी व्याख्या की गई।
इस नियुक्ति में साक्षात्कार लेने का जिक्र नहीं था, लेकिन रिक्त पदों से कई गुना अधिक उम्मीदवारों को साक्षात्कार के लिए बुलावा भेजा गया। मनमाने तरीके से चयन कमेटी का गठन किया तथा इसमें वैसे सदस्यों को रखा गया, जिनके सगे-संबंधी परीक्षा में शामिल हुए थे। आरोप तो यह भी है कि नियुक्‍त कर्मियों की उत्तर पुस्तिकाएं भी बदली गईं। तत्‍कालीन विधानसभा अध्‍यक्ष सदानंद सिंह पर भी आरोप है कि उन्‍होंने अपने रिश्तेदार संजय कुमार की नियुक्ति के लिए मनमानी की।
बड़े पैमाने पर अधिकारियों के बेटे व रिश्‍तेदार चयनित
धांधली का हाल यह रहा कि बड़े पैमाने पर अधिकारियों के बेटे व रिश्‍तेदार चयनित कर लिये गए। बताया जाता है कि तत्‍कालीन उप सचिव वशिष्ठ देव तिवारी के पुत्र नवीन कुमार, आप्‍त सचिव विमल प्रसाद के पुत्र राकेश कुमार, अवर सचिव बैजू प्रसाद सिंह के पुत्र मनीष कुमार, सुबोध कुमार जायसवाल के पुत्र रतन कुमार का चयन किया गया। इसी तरह, उप सचिव पुरुषोत्तम मिश्रा के रिश्तेदार देव कुमार, उप सचिव ब्रजकिशोर सिंह के रिश्तेदार सत्यनारायण, उप सचिव अरुण कुमार के रिश्तेदार नीरज आनंद, उप सचिव ब्रजकिशोर सिंह के रिश्तेदार सत्यनारायण, उप सचिव नवलकिशोर सिंह के रिश्तेदार अवधेश कुमार सिंह, आप्त सचिव कामेश्वर प्रसाद सिंह के रिश्तेदार संजीव कुमार आदि को भी नियुक्ति के लिए चुन लिया गया था।
निगरानी की चार्जशीट तैयार, मिली स्‍वीकृति
निगरानी अन्वेषण ब्यूरो के एडीजी सुनील कुमार झा ने कहा कि इस अवैध नियुक्ति के इस मामले में जांच पूरी हो चुकी है। ब्‍यूरो ने चार्जशीट भी तैयार कर ली है। विधान सभा के सचिव बटेश्वर नाथ ने बताया कि चार्जशीट को स्वीकृति दे दी गई है।
15 अगस्‍त के पहले कोर्ट में दायर की जा सकती चार्जशीट
एडीजी सुनील कुमार झा ने बताया कि स्‍वीकृति मिलने के बाद अब चार्जशीट दायर की जाएगी। माना जा रहा है कि निगरानी अन्वेषण ब्यूरो 15 अगस्‍त के पहले विशेष निगरानी कोर्ट में चार्जशीट दायर कर देगा। इसमें सदानंद सिंह के अलावा उनके आप्‍त सचिव रहे अध्यक्ष के आप्त सचिव कामेश्वर प्रसाद सिंह, विधान सभा के तत्कालीन सचिव झौरी प्रसाद पाल, अवर सचिव रामेश्वर प्रसाद चौधरी, लेखा सचिव बैजू प्रसाद, उप सचिव नवल किशोर तथा प्रशाखा पदाधिकारी सुबोध जायसवाल सहित अन्‍य कर्मी शामिल हैं।
बिहार कांग्रेस के वरीय नेता हैं सदानंद सिंह
सदानंद सिंह बिहार के भागलपुर में कहलगांव से कांग्रेस के विधायक हैं। वे रिकार्ड नौ बार विधायक रहे हैं। उन्‍होंने पहली बार 1969 में कहलगांव सीट पर कांग्रेस के टिकट पर जीत दर्ज की थी। राष्‍ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के महेश मंडल ने उन्‍हें 1990 से 2000 के चुनाव में हराया था। आगे 2005 के उपचुनाव में वे जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के अजय मंडल ने उन्‍हें शिकस्त दी थी। 2010 के चुनाव में सदानंद सिंह फिर मतदाताओं को अपने पक्ष में गोलबंद करने में कामयाब हुए। तब से वे विधायक हैं।

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