Move to Jagran APP

बदली-बदली दिख रही बिहार की सियासत: विपक्ष, BJP पर गरम, JDU के साथ नरम

बिहार की राजनीति बदली-बदली दिखायी दे रही है। विधानमंडल के मानसून सत्र में जहां एक ओर विपक्ष भाजपा पर गरम दिख रहा है तो वहीं जदयू को लेकर थोड़ी नरमी बरत रहा है। जानिए इस रिपोर्ट में

By Kajal KumariEdited By: Published: Sat, 20 Jul 2019 02:05 PM (IST)Updated: Sat, 20 Jul 2019 09:39 PM (IST)
बदली-बदली दिख रही बिहार की सियासत: विपक्ष, BJP पर गरम, JDU के साथ नरम
बदली-बदली दिख रही बिहार की सियासत: विपक्ष, BJP पर गरम, JDU के साथ नरम

पटना [अरुण अशेष]। विधानमंडल का मानसून सत्र उम्मीद के विपरीत अपेक्षाकृत शांति से चल रहा है। विधानसभा में तो प्रश्नकाल में 52 सवाल पूछे जाने और उनके जवाब मिलने का रिकार्ड बन गया। विधान परिषद की कार्यवाही आम तौर पर हंगामे से कम ही प्रभावित होती है। चालू सत्र में भी यही हो रहा है।

loksabha election banner

परिषद की खास बात यह है कि कई मौके पर मुख्य विपक्षी दल राजद के सदस्य भी दूसरे सदस्यों से आग्रह करते हैं कि सदन को चलने दें। माहौल इतना बेहतर है तो विधान परिषद के सभापति हारुण रशीद विपक्ष की तारीफ करने से खुद को रोक नहीं पाते।

उधर विधानसभा में भी अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी विपक्ष की जायज मांगों को मानने में सरकार की नाक को आड़े नहीं आने दे रहे हैं। फर्जी राशन कार्ड की जांच सदन की समिति से कराने की मांग उन्होंने जिस आसानी से मान ली, वह विपक्ष के सम्मान का एक उदाहरण है। 

एइएस से हुई मौतों के सवाल पर विपक्ष के कामरोको प्रस्ताव को जितनी आसानी से स्वीकार किया गया, वह भी कम आश्चर्यनजक नहीं है। इसी सदन में कामरोको प्रस्ताव को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच लंबी तकरार हुई है। अतीत में ऐसे मामले में विपक्ष को ही चुप रहना पड़ जाता था।

एक बात और नोट करने लायक है-विपक्षी दल सरकार को दो हिस्से में बांट कर कार्रवाई तय कर रहा है। सदन के भीतर जदयू कोटे के मंत्रियों से सवाल करते वक्त उसका रुख अपेक्षाकृत नरम रहता है। जबकि भाजपा कोटे के मंत्रियों को देखते ही विपक्षी भड़क उठते हैं। इसका श्रेष्ठ उदाहरण स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय हैं। उन्हें देखते ही विपक्षी सदस्यों का पारा गरम हो जाता है।

हालांकि राजद के मुख्य सचेतक भाई वीरेंद्र स्वीकार नहीं करते हैं कि सरकार के एक फरीक के लिए उनके दिल में नरमी है। उनका कहना था कि हम सरकार का समग्रता में विरोध करते हैं। यह महज संयोग भी हो सकता है कि विधानसभा में भाई वीरेंद्र की भाजपा विधायक नीरज बब्लू के साथ ही तीखी झड़प हुई थी। 

राजनीतिक विश्लेषक सदन के भीतर राजद विधायक की भूमिका को कुछ अलग नजरिया से देखते हैं। लोकसभा चुनाव में राजद की जिस तरह से पराजय हुई, वह पार्टी विधायकों में हताशा पैदा करने के लिए काफी है।

विधानसभा चुनाव अगले साल है। सबको अपने अपने भविष्य की चिंता है। उन्हें यह भी याद है कि विधानसभा के पिछले चुनाव में उनकी जो जीत हुई थी, उसमें जदयू और खासकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की भूमिका थी।

लालू प्रसाद की भूमिका को लोकसभा चुनाव ने संदेह से भर दिया है। लेकिन, नीतीश की भूमिका लोकसभा चुनाव में भी साबित हुई। सो, चुनावी नफा नुकसान के बारे में गहन चिंतन करने वाले विधायक नीतीश कुमार का जबरदस्त विरोध कर अगले विधानसभा चुनाव के लिए संभावनाओं के दरवाजे को बंद नहीं करना चाहते हैं।

उनकी भावना अंतत: नेतृत्व तक भी पहुंची है। यही वजह है कि विपक्षी सदस्य कम तकलीफ देकर सरकार को अधिक काम करने का अवसर दे रहे हैं।  


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.