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CAA Protest in UP : PFI सदस्यों के खातों से खुलेंगे फंडिंग के तार, एक साल से चल रही थी साजिश

डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी ने बताया कि बीते चार दिनों में 19 व 20 दिसंबर 2019 को हुई हिंसा की घटनाओं में पुलिस ने पीएफआइ के 108 और सक्रिय सदस्यों को गिरफ्तार किया है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Mon, 03 Feb 2020 09:04 PM (IST)Updated: Tue, 04 Feb 2020 04:10 PM (IST)
CAA Protest in UP : PFI सदस्यों के खातों से खुलेंगे फंडिंग के तार, एक साल से चल रही थी साजिश
CAA Protest in UP : PFI सदस्यों के खातों से खुलेंगे फंडिंग के तार, एक साल से चल रही थी साजिश

लखनऊ, जेएनएन। यूपी में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ हुई हिंसा में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के सदस्यों की बढ़ती गिरफ्तारी के साथ ही अब गहरे षड्यंत्र के पीछे की गई फंडिंग के तार भी जल्द सामने आ सकते हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ED) के निशाने पर पहले ही संगठन के प्रदेश अध्यक्ष वसीम अहमद समेत 25 सदस्यों व उनके करीबियों के खाते थे। अब गिरफ्तार 108 सक्रिय सदस्यों के खातों में हुए लेनदेन की जांच में कई बड़े तथ्य जांच एजेंसियों के हाथ लगने की उम्मीद है।

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दरअसल, उत्तर प्रदेश में पिछले एक साल से संगठन आपत्तिजनक व भड़काऊ पोस्टरों के जरिये वर्ग विशेष के युवाओं को सरकार के खिलाफ खड़ा करने की कोशिशें लगातार कर रहा था। पुलिस ने इसे लेकर पहले कई मुकदमे भी दर्ज किए थे, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर सकी थी। डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी ने बताया कि पिछले साल 19 और 20 दिसंबर को हुई हिंसा की घटनाओं में पुलिस ने बीते चार दिनों में पीएफआइ के 108 और सक्रिय सदस्यों को गिरफ्तार किया है। इनमें सबसे अधिक मेरठ में 21, वाराणसी में 20, बहराइच में 16 और लखनऊ में 14 आरोपित दबोचे गए हैं। कुछ अन्य की भूमिका की गहनता से पड़ताल की जा रही है।

प्रवर्तन निदेशालय ने बीते दिनों सीएए के विरोध में हुए हिंसात्मक प्रदर्शनों के दौरान पीएफआइ और उसके सहयोगी संगठनों के बैंक खातों की पड़ताल की रिपोर्ट गृहमंत्रालय को सौंपी थी, जिसमें दिसंबर की कुछ खास तारीखों में पीएफआइ के खाते में बड़ी रकम जमा कराए जाने व निकाले जाने के तथ्य सामने आए थे। इस रिपोर्ट के बाद उत्तर प्रदेश में पीएफआइ सदस्यों के खिलाफ बढ़ी पुलिस कार्रवाई को बेहद अहम माना जा रहा है।

पुलिस हिंसा की घटनाओं के पीछे की साजिश की परतें खंगलने के लिए अन्य जांच एजेंसियों की मदद भी ले रही है। इन स्थितियों में 19 व 20 दिसंबर 2019 के अलावा इसी माह की कुछ अन्य तारीखों में कई बैंक खातों की पड़ताल बेहद खास होगी। आशंका है कि उत्तर प्रदेश के कई खातों में बड़ी रकम जमा की गई और निकाली गई।

पत्थरबाजी ने पुलिस को चौंकाया

हिंसात्मक प्रदर्शनों के दौरान कश्मीर की तर्ज पर की गई पत्थरबाजी की घटनाओं ने खुफिया एजेंसियों से लेकर पुलिस तक को कई संगठनों की जड़ें खंगालने पर मजबूर किया है। तीन तलाक, अनुच्छेद 370 व अन्य मुद्दों को लेकर अपनी सक्रियता बढ़ा रहे कुछ संगठनों ने प्रदेश में नुक्कड़ सभाओं के जरिये अपनी पैठ बढ़ाई थी। इस दौरान फंड इकट्ठा किए जाने के तथ्य भी सामने आए थे।

प्रतिबंधित करने की हो चुकी सिफारिश

हिंसा की घटनाओं में पीएफआइ की भूमिका सामने आने के बाद बीते दिनों पुलिस प्रशासन ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर सिमी की तरह इस संगठन को भी प्रतिबंधित किए जाने की सिफारिश की थी।

यूपी में अब तक 133 पीएफआइ के सदस्य दबोचे गए

सीएए के विरोध में हुई हिंसा के पीछे पीएफआइ की सुनियोजित भूमिका सामने आई है। ईडी के इस संगठन पर शिकंजा कसने के बाद यूपी पुलिस ने भी बड़ी कार्रवाई की है। डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी ने बताया कि 19 व 20 दिसंबर 2019 को हुई हिंसा की घटनाओं में पुलिस ने पीएफआइ के 108 और सक्रिय सदस्यों को गिरफ्तार किया है। प्रदेश में अब तक पीएफआइ के कुल 133 सदस्य गिरफ्तार किए जा चुके हैं। इनमें लखनऊ में 14, सीतापुर में तीन, मेरठ में 21, गाजियाबाद में नौ, मुजफ्फरनगर में छह, शामली में सात, बिजनौर में चार, वाराणसी में 20, कानपुर में पांच, गोंडा में एक, बहराइच में 16, हापुड़ व जौनपुर में एक-एक गिरफ्तारी हुई है।

यहां है अधिक सक्रियता

शामली, मुजफ्फरनगर, मेरठ, बिजनौर, लखनऊ, बाराबंकी, गोंडा, बहराइच, वाराणसी, आजमगढ़, गाजियाबाद व सीतापुर में पीएफआइ अधिक सक्रिय है।

ऐसे पड़ी पीएफआइ नींव

वर्ष 2001 में स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) संगठन पर लगे प्रतिबंध के बाद नेशनल डेवलपमेंट फ्रंट केरल, मनीथा निथि परसाई तमिलनाडु व कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी संगठनों ने वर्ष 2006 में एक संयुक्त सम्मेलन किया था, जिसके बाद केरल में 22, नवंबर 2006 को पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआइ) की स्थापना हुई थी। खुफिया रिपोर्ट के अनुसार सिमी के कई वरिष्ठ पदाधिकारियों व सदस्यों की पीएफआइ में सक्रिय भूमिका रही है।


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