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चारों प्रमुख दलों की अग्निपरीक्षा होंगे चार सीटों के Bye election, ये हैै पार्टियों का राजनीतिक गणित

पंजाब में कांग्रेस सरकार जब अपने कार्यकाल का आधा सफर पूरा कर चुकी है ऐन उसी मौके पर चार सीटों पर होने वाले विधानसभा उपचुनाव सभी दलों के लिए अग्निपरीक्षा होंगे।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sun, 22 Sep 2019 12:13 PM (IST)Updated: Mon, 23 Sep 2019 08:33 AM (IST)
चारों प्रमुख दलों की अग्निपरीक्षा होंगे चार सीटों के Bye election, ये हैै पार्टियों का राजनीतिक गणित
चारों प्रमुख दलों की अग्निपरीक्षा होंगे चार सीटों के Bye election, ये हैै पार्टियों का राजनीतिक गणित

चंडीगढ़ [इन्द्रप्रीत सिंह]। पंजाब में कांग्रेस सरकार जब अपने कार्यकाल का आधा सफर पूरा कर चुकी है, ऐन उसी मौके पर चार सीटों पर होने वाले विधानसभा के उपचुनाव सरकार के लिए अग्निपरीक्षा होंगे। निश्चित रूप से जैसी हवा 2017 के विधानसभा चुनाव में बह रही थी, अब वैसी नहीं है। जिस तरह का दबाव कांग्रेस पर है लगभग उससे दो गुणा दबाव शिअद-भाजपा गठजोड़ और आम आदमी पार्टी पर भी है। तीनों पार्टियों को यह साबित करना है कि कैप्टन सरकार चलाने में नाकाम रहे हैं। अगर कांग्रेस के बजाय उनकी पार्टी सत्ता में आती तो वे बेहतर ढंग से सरकार चला पाते।

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कांग्रेस, शिअद, भाजपा व आप की एक-एक सीट खाली हुई है। दोबारा उसे जीतने को लेकर चारों पार्टियों को कड़ी मशक्कत करनी होगी। ठीक एक महीने बाद यानी 21 अक्टूबर को चुनाव होने हैं। देखना होगा किसकी किस्मत में दीवाली के चिराग होंगे और किनकी दीवाली काली साबित होती है। फगवाड़ा और जलालाबाद की सीटें भाजपा के सोम प्रकाश और अकाली दल के सुखबीर बादल के सांसद बनने से खाली हुई, जबकि दाखा सीट आप नेता एचएस फूलका के इस्तीफे के कारण खाली हुई है। कांग्रेस के रजनीश बब्बी के निधन से मुकेरियां सीट खाली हुई है। शिअद-भाजपा गठजोड़ में दो सीटें अकाली दल लड़ेगा और दो भाजपा लड़ेगी। आप पर 2014 के संसदीय चुनाव और 2017 के विधानसभा चुनाव जैसी सफलता को दोहराने का दबाव होगा।

मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने दावा किया है कि कांग्रेस की प्रगतिशील नीतियों एवं कल्याणकारी योजनाओं के दम पर सूबे के चार विधानसभा क्षेत्रों में होने वाले उपचुनावों में पार्टी सभी सीटों पर जीत दर्ज करेगी। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं को सरकार के कामों एवं कांग्रेस की नीतियों को जनता तक पहुंचाने के लिए प्रेरित किया। कैप्टन शनिवार को पंजाब कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित दो दिवसीय किसान मेले के उद्घाटन के बाद संबोधित कर रहे थे।

चुनाव आयोग ने शनिवार को जब तारीखों का ऐलान किया तो कैप्टन लुधियाना में ही थे। उन्होंने तुरंत ही उपचुनाव पर टिप्पणी की और जीत का दावा किया। लुधियाना में दाखा सीट पर उपचुनाव होना है। कैप्टन ने जिले के सभी नेताओं को एकजुट होकर चुनावों में सक्रिय होने को कहा। उन्होंने कहा कि मौजूदा कार्यकाल में सरकार ने हर वर्ग की समस्याओं का समाधान किया है।

प्रदेश भाजपा प्रधान व राज्यसभा सदस्य श्वेत मलिक ने कहा कि कैप्टन सरकार के झूठे वादों का हिसाब लेने के लिए जनता बेताब है। वह त्रहि त्रहि कर रही है, कैप्टन किस मुंह से जनता के बीच वोट मांगने जाएंगे। भाजपा मुकाबला करने को तैयार है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा देश व जनता के हित्त में शुरू की गई लाभकारी नीतियों के चलते पूरे प्रदेश में भाजपा-अकाली दल को भारी समर्थन मिल रहा है। उपचुनाव में भाजपा-शिअद गठबंधन चारों सीटें जीतेगा और 2022 के चुनाव की नींव रखेगा। उन्होंने मुकेरियां विधानसभा के लिए पूर्व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अश्वनी शर्मा को चुनाव प्रभारी, सुजानपुर के विधायक दिनेश सिंह बब्बू व प्रदेश उपाध्यक्ष नरिंदर परमार को चुनाव सह-प्रभारी नियुक्त किया गया है। फगवाड़ा के लिए पूर्व कैबिनेट मंत्री तीक्ष्ण सूद को चुनाव प्रभारी, प्रदेश महासचिव प्रवीण बांसल व दयाल सोढ़ी को चुनाव सह-प्रभारी नियुक्त किया है।

सभी दलों के लिए चुनौती

  • सभी पार्टियों की एक-एक सीट हुई खाली, दोबारा जीतने को करनी होगी मशक्कत
  • शिअद-भाजपा गठजोड़ लड़ेंगे दो-दो सीटें, सवाल क्या साख कर पाएंगे बहाल
  • आम आदमी पार्टी पर 2014 व 2017 का इतिहास दोहराने का दबाव
  • कांग्रेस के लिए भी चुनौती क्योंकि पिछले विधानसभा चुनाव जैसी हवा नहीं

सत्तारूढ़ पार्टियां ही जीतती रहीं हैं उपचुनाव

इक्का-दुक्का मौकों को छोड़ दें तो ज्यादातर उपचुनाव सत्तारूढ़ पार्टियां ही जीतती रही हैं। साल 2012 से उपचुनाव की बात करें तो 2017 को छोड़कर हर साल ही प्रदेश में उपचुनाव होता रहा है। 2014 में पटियाला को छोड़कर शेष सभी उपचुनाव में सत्तारूढ़ पार्टी ही जीतती रही है। 2012 में दसूहा, 2013 में मोगा, 2014 में तलवंडी साबो और पटियाला, 2015 में धूरी, 2016 में खडूर साहिब और 2018 में शाहकोट के उपचुनाव हुए हैं। अब 2019 में चार उपचुनाव होने जा रहे हैं।

फगवाड़ा सीटःः सांपला व सोम प्रकाश में वर्चस्व की जंग भाजपा के लिए चुनौती

फगवाड़ा सीट पर जोर आजमाइश काफी तेज है। कांग्रेस ने इस सीट पर आइएएस अधिकारी बल¨वदर कुमार को टिकट देने का मन बनाया है। सूत्रों के अनुसार पूर्व विधायक त्रिलोचन सिंह सूंढ भी यहां से टिकट चाहते हैं। पिछले चुनाव में उन्हें पार्टी ने निलंबित कर दिया था, लेकिन अब पार्टी में वापस आ गए हैं। वहीं पूर्व विधायक जो¨गदर सिंह मान और बलबीर रानी सोढी भी दावेदार हैं।

भाजपा में भी यहां से टिकट लेने को घमासान कम नहीं होगा। पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री विजय सांपला और मौजूदा केंद्रीय राज्य मंत्री सोम प्रकाश के बीच अपने-अपने करीबियों को टिकट दिलाने के लिए जोर आजमाइश जारी है। सांपला जहां अपने बेटे को टिकट दिलाने के लिए सरगर्म हैं, वहीं सोमप्रकाश अपनी पत्नी के लिए टिकट चाहते हैं। पार्टी परिवारवाद के खिलाफ है, ऐसे में किसी वर्कर को ही टिकट दिया जाएगा। पार्टी के सीनियर नेता दिलबाग राय भी टिकट की दौड़ में हैं।

जलालाबाद सीटः सुखबीर की प्रतिष्ठा दांव पर 2017 में भारी अंतर से जीते थे

जलालाबाद सीट पर जीत अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर बादल के लिए प्रतिष्ठा का सवाल है, क्योंकि यहां से वह 2017 में भारी अंतर से जीते थे। लोकसभा चुनाव में भी उन्होंने बड़ी लीड हासिल की थी। पार्टी इस सीट पर किसी राय सिख बिरादरी के नेता को खड़ा करना चाहती है क्योंकि यहां इस बिरादरी का बाहुल्य है। यह भी कहा जा रहा है कि जगमीत सिंह बराड़ को भी किस्मत आजमाने के लिए उतारा जा सकता है जो पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान अकाली दल में शामिल हुए हैं। उधर, कांग्रेस ने रविंदर सिंह आमला ऊर्फ बबला का नाम फाइनल कर लिया है। पूर्व मंत्री हंसराज जोसन और अनीष सिडाना भी टिकट लेने को लेकर मशक्कत कर रहे हैं।

मुकेरियां सीटः कांग्रेस को मिल सकती है सहानुभूति, भाजपा भी कम नहीं

अगर सीट के अनुसार आकलन किया जाए तो मुकेरियां सीट पर कांग्रेस के दिवंगत विधायक रजनीश बब्बी की पत्नी को टिकट मिलना लगभग तय है। हालांकि पहले कहा जा रहा था कि उनके बेटे को लड़वाया जाएगा, लेकिन बेटे की उम्र कम होने के कारण रजनीश की पत्नी को टिकट दिया जा सकता है। भाजपा की ओर से दो बार के पूर्व विधायक अरुणोश शाकर और जंगी लाल महाजन के बीच टिकट लेने के लिए कड़ा मुकाबला है।

आम आदमी पार्टी ने अभी किसी को हां नहीं की है, लेकिन उम्मीदवारों की तलाश करने के लिए कमेटी बना दी है। इस सीट पर कांग्रेस को रजनीश बब्बी के निधन के कारण सहानुभूति मिल सकती है, लेकिन मई में हुए संसदीय चुनाव में भाजपा को यहां से मिली करीब 38 हजार वोटों की लीड को अनदेखा करना भी आसान नहीं होगा। भाजपा कांग्रेस के लिए कड़ी चुनौती पेश कर सकती है।

दाखा सीटः आप को फिर जीतने के लिए करनी पड़ेगी कड़ी मशक्कत

दाखा (लुधियाना) सीट पर बीते चुनाव में आप के एचएस फूलका जीते थे। अब वे इस्तीफा दे चुके हैं। आप को अपनी यह सीट फिर से जीतने के लिए मशक्कत करनी होगी। कांग्रेस ने यहां कैप्टन संदीप संधू का नाम लगभग फाइनल कर दिया है। वह सीएम के पॉलिटिकल सेक्रेटरी हैं। उन्हें आनंदपुर साहिब से संसदीय चुनाव लड़वाने की बात चली थी, लेकिन मनीष तिवारी को टिकट मिलने से उनका पत्ता कट गया। उनके अलावा पूर्व विधायक जस्सी खंगूड़ा और मलकीत सिंह दाखा सहित सोनी गालिब भी टिकट के लिए लाइन में हैं। शिअद यहां से पूर्व विधायक मनप्रीत सिंह अयाली को टिकट देगा। इस सीट पर सिमरजीत सिंह बैंस भी अपना प्रत्याशी खड़ा करेंगे।

झूठे वादे करने वाली कांग्रेस की होगी करारी हार : शिअद

शिअद के उपप्रधान और मुख्य प्रवक्ता डॉ. दलजीत सिंह चीमा ने कहा है कि हम पिछले कई दिनों से इन उपचुनावों का इंतजार कर रहे थे। अढ़ाई साल सरकार के बीत चुके हैं। सरकार ने जो जो वादे किए थे उसमें से एक-एक वादे का हिसाब जनता की कचहरी में लिया जाएगा। पार्टी इन चुनाव के लिए पूरी तरह से तैयार है और मुङो यकीन है कि जनता से झूठे वादे करने वाली कांग्रेस को इन चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ेगा।

जनता बताएगी कि उम्मीदों पर कितनी खरे उतरे : भगवंत मान

संगरूर से सांसद एवं आम आदमी पार्टी के प्रदेश प्रधान भगवंत मान ने कहा कि पार्टी उपचुनावों में पूरे जोश से उतरेगी। पार्टी की ओर से पहले ही उपचुनाव संबंधी सरगर्मियां आरंभ हैं और जल्द ही उम्मीदवारों का एलान किया जाएगा। इन चुनावों में कैप्टन को लोग बताएंगे कि कांग्रेस सरकार अपने ढाई वर्ष के कार्यकाल में जनता की उम्मीदों पर कितनी खरी उतरी है। पंजाब की नौजवान पीढी नशे की भेंट चढ़ रही है।

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