गिर रहा बसपा का जनाधार, संकट में राष्ट्रीय दल की मान्यता
अगर बसपा का वोट प्रतिशत सम्मानजनक न रहा तो उसकी राष्ट्रीय दल की मान्यता भी खतरे में पड़ सकती है। यही वजह है कि इस बार छत्तीसगढ़ में बसपा पूरी ताकत झोंक रही है।
नई दुनिया, रायपुर। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का जनाधार लगातार गिर रहा है। छत्तीसगढ़ समेत तीन राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव में बसपा की साख दांव पर है। इन चुनावों में अगर बसपा का वोट प्रतिशत सम्मानजनक न रहा तो उसकी राष्ट्रीय दल की मान्यता भी खतरे में पड़ सकती है। यही वजह है कि इस बार छत्तीसगढ़ में बसपा पूरी ताकत झोंक रही है।
राष्ट्रीय दल की मान्यता बनाए रखने के लिए बसपा को छत्तीसगढ़ में कम से कम तीन सीटें जीतना और कुल छह फीसद वोट हासिल करना जरूरी है। छत्तीसगढ़ के साथ ही मध्य प्रदेश व राजस्थान में बसपा को छह फीसद वोट हासिल करना जरूरी है। ऐसा न हुआ तो हाथी चुनाव चिह्न छिन सकता है।
छत्तीसगढ़ में 2003 के विधानसभा चुनाव में बसपा को 6.94 प्रतिशत वोट मिले थे, जो वर्ष 2013 के विधानसभा के चुनाव में घटकर 4.29 प्रतिशत रह गए। 1998 में बसपा के तीन विधायक थे। राज्य बनने के बाद 2003 में पार्टी दो सीटों पर जीतीं, 2008 में भी यह प्रदर्शन दोहराने में कामयाब रही, लेकिन 2013 में पार्टी का सिर्फ एक विधायक ही सदन में पहुंच पाया। इससे साफ है कि बसपा का जनाधार धीरे-धीरे कम होता जा रहा है। बसपा के प्रदेश प्रभारी एमएल भारती का कहना है कि इस बार हम पूरी ताकत से मैदान में उतरेंगे।
दस लाख वोट का लक्ष्य
एमएल भारती ने बताया कि पार्टी ने विधानसभा चुनाव में दस लाख वोट हासिल करने का लक्ष्य रखा है। जिन सीटों पर पार्टी पहले दूसरे या तीसरे नंबर पर रही वहां ज्यादा फोकस किया जा रहा है। दो दर्जन सीटों पर पार्टी की निगाह है।