कांशीराम जयंती पर बसपा को डबल झटका, कई नेता सपा में शामिल तो भीम आर्मी ने बनायी पार्टी
सपा ने जहां प्रमुख बसपा नेताओं को पार्टी की सदस्यता ग्रहण करायी तो वहीं भीम आर्मी सुप्रीमो चंद्रशेखर ने अलग राजनीतिक दल का गठन कर दलित सियासत को नया मोड़ देने की कोशिश की है।
लखनऊ, जेएनएन। संस्थापक कांशीराम की जयंती पर रविवार को बहुजन समाज पार्टी (BSP) को डबल झटका लगा है। एक तरफ समाजवादी पार्टी (SP) ने पूर्वांचल और बुंदेलखंड के एक दर्जन से ज्यादा प्रमुख बसपा नेताओं को पार्टी की सदस्यता ग्रहण करायी। वहीं दूसरी ओर दलित समाज में तेजी से लोकप्रिय होते जा रहे भीम आर्मी के अध्यक्ष चंद्रशेखर ने आजाद समाज पार्टी (एएसपी) नाम से नए राजनीति दल का गठन कर 2022 में विधानसभा चुनाव लड़ने का एलान किया।
सपा की सदस्यता ग्रहण करने वालों में कांशीराम के सहयोगी रहे आजमगढ़ के पूर्व राज्यसभा सदस्य बलिहारी बाबू, पूर्व एमएलसी व दर्जा प्राप्त मंत्री रहे झांसी के तिलक चंद्र अहिरवार, पूर्व विधायक ललितपुर के फेरनलाल अहिरवार व राठ के अनिल अहिरवार को समर्थकों समेत अखिलेश यादव ने सपा में सदस्य बनाया।अखिलेश यादव ने कहा कि हमारे साथ बसपा की नींव के पत्थर आ गए हैं। अब सपा 2022 में 351 सीटों पर जीत का अपना लक्ष्य जरूर हासिल होगा।
सपा में शामिल होने वाले नेताओं ने बसपा अध्यक्ष को जमकर कोसा और अखिलेश यादव का प्रदेश का अगला मुख्यमंत्री भी घोषित किया। मायावती पर मिशन से भटकने और कार्यकर्ताओं की उपेक्षा करने जैसे आरोप भी लगाए। पूर्वांचल और बुंदेलखंड से बसपा को समाप्त करने जैसे एलान भी किए गए। बसपा को दिए झटके से समाजवादी पार्टी में जबरदस्त उत्साह था।
पूर्वांचल और बुंदेलखंड के सभी प्रमुख समाजवादी नेताओं को भी सदस्यता ग्रहण समारोह में मौजूद रहने को कहा गया था। इनमें किरनमय नंदा, अहमद हसन, नरेश उत्तम पटेल, रमाकांत यादव, दरोगा प्रसाद, बलराम यादव, अवधेश प्रसाद, राजेंद्र चौधरी, दुर्गा यादव, मोहम्मद वसीम, आलम बदी, नफीस अहमद, चंद्रपाल सिंह, दीप नारायण सिंह उर्फ दीपक यादव, श्याम सुंदर यादव पूर्व विधायक, हवलदार यादव भी उपस्थित रहे।
दलित राजनीति को नया मोड़ देने की कोशिश
भीम आर्मी सुप्रीमो चंद्रशेखर ने भी अलग राजनीतिक दल का गठन कर दलित सियासत को नया मोड़ देने की कोशिश की है। पश्चिमी उप्र के सहारनपुर जिले से ताल्लुक रखने वाले चंद्रशेखर की लोकप्रियता तेजी से युवा दलितों में बढ़ रही है। प्रदेश की सीमाएं लांघ कर दिल्ली, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र व पंजाब में भीम आर्मी की लोकप्रियता का नुकसान बीते विधानसभा चुनावों में बसपा को उठाना पड़ा। आजाद समाज पार्टी का संगठनात्मक ढांचा तीन-चार माह में पूूरा करने का दावा करते हुए प्रमुख कार्यकर्ता रवींद्र भाटी का कहना है कि सरकार की तमाम बाधाओं के बाद भी दलित, पिछड़ा व अल्पसंख्यक वर्ग में भारी जोश है। बसपा व अन्य दलों के दो दर्जन से अधिक प्रमुख नेता नई पार्टी में शामिल हुए हैं।