बसपा मुखिया मायावती ने नागरिकता संशोधन बिल को बताया विभाजनकारी
मायावती ने कहा कि सरकार को नागरिकता संशोधन विधेयक के पहलुओं पर पुनर्विचार करना चाहिए। किसी भी बिल को बहुत जल्दबाजी तथा बिना ठोस विचार के सदन में नहीं लाना चाहिए।
लखनऊ, जेएनएन। बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष नागरिकता संशोधन बिल के पक्ष में नहीं हैं। उनकी दलील है कि नागरिकता संशोधन बिल विभाजनकारी है। इससे कोई भी लाभ नहीं होगा।
मायावती ने कहा कि सरकार को नागरिकता संशोधन विधेयक के पहलुओं पर पुनर्विचार करना चाहिए। किसी भी बिल को बहुत जल्दबाजी तथा बिना ठोस विचार के सदन में नहीं लाना चाहिए। मायावती ने कहा कि हमारी पार्टी नागरिक संशोधन बिल का विरोध करेगी। बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि नागरिक संशोधन बिल संविधान पर हमला है। देश में किसी भी मजहब को मानने वालों पर यह बिल न थोपा जाए। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 से हम सहमत थे इसलिए सरकार के साथ खड़े रहे। इसका मतलब यह नहीं कि हम सरकार की हर बात पर सहमत हैं। हम नागरिक संशोधन विधेयक का जमकर विरोध करेंगे। नागरिक संशोधन बिल पर केंद्र सरकार को पुनर्विचार करना चाहिए। नागरिक संशोधन बिल जबरदस्ती न थोपा जाए। नागरिक संशोधन बिल को संसद की समिति को भेजा जाए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट ने छह बिलों को मंजूरी दी है। इसमें नागरिकता संशोधन बिल को भी मंजूरी दी गई। 1955 के नागरिकता अधिनियम को संशोधन करने वाले इस विधेयक को संसद के शीतकालीन सत्र में पेश किया जा सकता है। विपक्षी दल इस विधेयक को बांटने वाला एवं साम्प्रदायिक बता रहे हें। इसे भाजपा की विचारधारा से जुड़े महत्वपूर्ण आयाम का हिस्सा माना जा रहा है, जिसमें शरणार्थी के तौर पर भारत में रहने वाले गैर मुसलमानों को नागरिकता देने का प्रस्ताव किया गया है। इनमें से ज्यादातर लोग हिन्दू हैं। इसके माध्यम से उन्हें उस स्थिति में संरक्षण प्राप्त होगा, जब केंद्र सरकार देशव्यापी राष्ट्रीय नागरिक पंजी की योजना को आगे बढ़ायेगी। मायावती के साथ कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस सहित कुछ विपक्षी दलों ने इसकी तीखी आलोचना की है।